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karnataka: कर्नाटक के मंदिरों में शा‌र्ट्स-फटी जींस पहनकर नहीं मिलेगी एंट्री, राज्य के 500 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू

कर्नाटक के मंदिरों मठों और धार्मिक संगठनों के संघ ने बेंगलुरु के 50 सहित राज्यभर के 500 से अधिक मंदिरों में बुधवार से भारतीय संस्कृति के अनुसार ड्रेस कोड लागू कर दिया। नए ड्रेस कोड के अनुसार पुरुषों को शा‌र्ट्स बरमूडा फटी जींस और सीना दिखाने वाली टी-शर्ट और महिलाओं को शा‌र्ट्स मिडी फटी जींस पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 10 Jan 2024 06:30 PM (IST)
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बेंगलुरु के 50 सहित राज्यभर के 500 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू (फाइल फोटो)
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक के मंदिरों, मठों और धार्मिक संगठनों के संघ ने बेंगलुरु के 50 सहित राज्यभर के 500 से अधिक मंदिरों में बुधवार से भारतीय संस्कृति के अनुसार ड्रेस कोड लागू कर दिया। नए ड्रेस कोड के अनुसार, पुरुषों को शा‌र्ट्स, बरमूडा, फटी जींस और सीना दिखाने वाली टी-शर्ट और महिलाओं को शा‌र्ट्स, मिडी, फटी जींस पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

कर्नाटक देवस्थान-मठ मट्टू धार्मिका संस्थगला महासंघ के संयोजक मोहन गौड़ा ने कहा कि आज जब मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया जा रहा है तो कुछ प्रगतिवादी, तर्कवादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक चिल्ला रहे हैं। हालांकि, ढीले और गैर-पारंपरिक पोशाक पहनकर भगवान के दर्शन करने जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो सकती है।

मंदिरों में मनुष्य को धर्मानुसार आचरण करना चाहिए

गौड़ा ने कहा कि प्रत्येक को घर अथवा सार्वजनिक स्थान पर कुछ भी पहनने की आजादी है, लेकिन मंदिर धार्मिक स्थल है और यहां मनुष्य को धर्मानुसार आचरण करना चाहिए।

भारतीय कपड़े आध्यात्मिक रूप से अधिक शुद्ध और सभ्य

उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी कपड़ों की तुलना में भारतीय कपड़े आध्यात्मिक रूप से अधिक शुद्ध और सभ्य हैं। आध्यात्मिक रूप से शुद्ध ड्रेस कोड देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों में वर्षों से लागू हैं। संघ ने बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण में आने वाले मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू करने के लिए राज्य के धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी से अपील की है।

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