Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

सामाजिक न्याय के लिए समर्पित कर्पूरी ठाकुर, करोड़ों लोगों के जीवन में आया बड़ा बदलाव

जिन लोगों से हम मिलते हैं जिनके संपर्क में रहते हैं उनकी बातों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है लेकिन कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिनके बारे में सुनकर ही आप उनसे प्रभावित हो जाते हैं। मेरे लिए ऐसे ही रहे हैं जननायक कर्पूरी ठाकुर। आज कर्पूरी बाबू की 100वीं जन्म-जयंती है। मुझे कर्पूरी जी से कभी मिलने का अवसर तो नहीं मिला।

By Jagran News Edited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Wed, 24 Jan 2024 09:16 AM (IST)
Hero Image
सामाजिक न्याय के लिए कर्पूरी बाबू ने जो प्रयास किए, उनसे करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया।

पीएम नरेंद्र मोदी। जिन लोगों से हम मिलते हैं, जिनके संपर्क में रहते हैं, उनकी बातों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है, लेकिन कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जिनके बारे में सुनकर ही आप उनसे प्रभावित हो जाते हैं। मेरे लिए ऐसे ही रहे हैं जननायक कर्पूरी ठाकुर। आज कर्पूरी बाबू की 100वीं जन्म-जयंती है। मुझे कर्पूरी जी से कभी मिलने का अवसर तो नहीं मिला, लेकिन उनके साथ बेहद करीब से काम करने वाले कैलाशपति मिश्र जी से मैंने उनके बारे में बहुत कुछ सुना है।

सामाजिक न्याय के लिए कर्पूरी बाबू ने जो प्रयास किए, उनसे करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया। उनका संबंध नाई समाज यानी समाज के अति पिछड़े वर्ग से था। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया और जीवनभर समाज के उत्थान के लिए काम करते रहे।

जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का पूरा जीवन सादगी और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा। वह सरल जीवनशैली और विनम्र स्वभाव के चलते आम लोगों से गहराई से जुड़े रहे। वह इस पर जोर देते थे कि उनके किसी भी व्यक्तिगत कार्य में सरकार का एक पैसा भी इस्तेमाल न हो। ऐसा ही एक वाकया बिहार में उनके सीएम रहने के दौरान हुआ। तब राज्य के नेताओं के लिए एक कालोनी बनाने का निर्णय हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने लिए कोई जमीन नहीं ली। जब भी उनसे पूछा जाता कि आप जमीन क्यों नहीं ले रहे हैं, तो वह विनम्रता से हाथ जोड़ लेते।

1988 में जब उनका निधन हुआ तो कई नेता श्रद्धांजलि देने उनके गांव गए। उनके घर की हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए कि इतने ऊंचे पद पर रहे व्यक्ति का घर इतना साधारण कैसे हो सकता है! कर्पूरी बाबू की सादगी का एक और लोकप्रिय किस्सा 1977 का है, जब वह बिहार के सीएम बने। तब केंद्र और बिहार में जनता सरकार सत्ता में थी। उस समय जनता पार्टी के नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानी जेपी के जन्मदिन के लिए कई नेता पटना में इकट्ठा हुए। उसमें शामिल मुख्यमंत्री कर्पूरी बाबू का कुर्ता फटा हुआ था।

ऐसे में चंद्रशेखर जी ने अपने अनूठे अंदाज में लोगों से कुछ पैसे दान करने की अपील की, ताकि कर्पूरी जी नया कुर्ता खरीद सकें, लेकिन कर्पूरी जी तो कर्पूरी जी थे। उन्होंने पैसा तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उसे मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया।

सामाजिक न्याय तो जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के मन में रचा-बसा था। उनके राजनीतिक जीवन को एक ऐसे समाज के निर्माण के प्रयासों के लिए जाना जाता है, जहां सभी लोगों तक संसाधनों का समान रूप से वितरण हो और सामाजिक हैसियत की परवाह किए बिना उन्हें अवसरों का लाभ मिले। अपने आदर्शों के लिए कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिबद्धता ऐसी थी कि उस कालखंड में भी जब सब ओर कांग्रेस का राज था, उन्होंने कांग्रेस विरोधी लाइन पर चलने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें काफी पहले ही इसका अंदाजा हो गया था कि कांग्रेस अपने बुनियादी सिद्धांतों से भटक गई है।

कर्पूरी ठाकुर जी श्रमिक वर्ग, मजदूर, छोटे किसानों और युवाओं के संघर्ष की सशक्त आवाज बने। शिक्षा एक ऐसा विषय था, जो उनके दिल के सबसे करीब था। वह स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के बहुत बड़े पैरोकार थे, ताकि गांवों और छोटे शहरों के लोग भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़ें। लोकतंत्र के लिए उनका समर्पण भाव, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही दिख गया था, जिसमें उन्होंने अपने-आप को झोंक दिया।

उन्होंने जबरन थोपे गए आपातकाल का भी पुरजोर विरोध किया। जेपी, लोहिया और चरण सिंह जी जैसी विभूतियां भी उनसे काफी प्रभावित हुई थीं। समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए कर्पूरी ठाकुर जी ने एक ठोस कार्ययोजना बनाई। यह कार्ययोजना सही तरीके से आगे बढ़े, इसके लिए पूरा एक तंत्र तैयार किया था। हालांकि उनके इस कदम का काफी विरोध हुआ, लेकिन वह किसी भी दबाव के आगे झुके नहीं।

उनके नेतृत्व में ऐसी नीतियों को लागू किया गया, जिनसे एक ऐसे समावेशी समाज की मजबूत नींव पड़ी, जहां किसी के जन्म से उसके भाग्य का निर्धारण नहीं होता हो। वह समाज के सबसे पिछड़े वर्ग से थे, लेकिन काम उन्होंने सभी वर्गों के लिए किया। हमारी सरकार निरंतर जननायक कर्पूरी ठाकुर जी से प्रेरणा लेते हुए काम कर रही है। यह हमारी नीतियों और योजनाओं में भी दिखाई देता है, जिससे देशभर में सकारात्मक बदलाव आया है।

भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही कि कर्पूरी जी जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर सामाजिक न्याय की बात बस एक राजनीतिक नारा बनकर रह गई। कर्पूरी जी के विजन से प्रेरित होकर हमने इसे एक प्रभावी गवर्नेंस माडल के रूप में लागू किया। मैं विश्वास और गर्व के साथ कह सकता हूं कि भारत के 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की उपलब्धि पर आज कर्पूरी जी जरूर गौरवान्वित होते।

गरीबी से बाहर निकलने वालों में समाज के सबसे पिछड़े तबके के लोग सबसे ज्यादा हैं, जो आजादी के 70 साल बाद भी तमाम बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे। हम आज इसके लिए प्रयास कर रहे हैं कि प्रत्येक योजना का लाभ शत प्रतिशत लाभार्थियों को मिले। हमारे प्रयास सामाजिक न्याय के प्रति सरकार के संकल्प को दिखाते हैं। आज जब मुद्रा लोन से एससी-एसटी और ओबीसी समुदाय के लोग उद्यमी बन रहे हैं तो इससे कर्पूरी जी के आर्थिक स्वतंत्रता का सपना पूरा हो रहा है।

हमारी सरकार ने एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण का दायरा भी बढ़ाया है। हमें ओबीसी आयोग (दुख की बात कि कांग्रेस ने इसका विरोध किया था) की स्थापना करने का भी अवसर प्राप्त हुआ, जो कर्पूरी जी के दिखाए रास्ते पर काम कर रहा है। कुछ समय पहले शुरू की गई पीएम-विश्वकर्मा योजना भी देश में ओबीसी समुदाय के करोड़ों लोगों के लिए समृद्धि के नए रास्ते बनाएगी।

पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने के नाते मुझे कर्पूरी ठाकुर जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिला है। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जनकल्याण के अपने कार्यों की वजह से करोड़ों देशवासियों के दिल और दिमाग में जीवित हैं। वह एक सच्चे जननायक थे।

कर्पूरी ठाकुर जी के राजनीतिक जीवन को एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए जाना जाता है, जहां सभी लोगों तक संसाधनों का समान रूप से वितरण हो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी