कश्मीरी पंडित विस्थापितों की संपत्ति पर किया जा रहा कब्जा
कश्मीरी विस्थापितों को सम्मानजनक घाटी वापसी के सरकार के प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं।
हालांकि यह आंकड़ा किसी के पास नहीं है कि कितनी जमीन हड़पी जा चुकी है। कश्मीरी विस्थापितों को सम्मानजनक घाटी वापसी के सरकार के प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं। केंद्र हो या राज्य सरकारें, समय-समय पर इन विस्थापितों को वापस भेजने के दावे तो करती रहीं, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। कश्मीरी विस्थापित शुरू से ही मांग करते रहे हैं कि कश्मीर में उनके लिए अलग होमलैंड बनाया जाए।
विधानमंडल में राहत, पुनर्वास और पुननिर्माण मंत्री ने बताया था कि कश्मीर संभाग के दस जिलों में कश्मीरी विस्थापितों की 1990 से 1996 के बीच 85749 कनाल (भूमि पैमाइश की स्थानीय ईकाई) भूमि पर संपत्ति थी। जम्मू कश्मीर माइग्रेंट इममूवएबल प्रापर्टी प्रीरेजेवेशन, प्रोटेक्शन एंड रिस्टेन ऑफ डिस्ट्रेस सेल एक्ट 1997 के तहत डिवीजनल कमिश्नर कश्मीर ने 6179 आवेदन में बिक्री की अनुमति दी। इसमें विस्थापितों ने 24692 कनाल भूमि पर बनी संपति को बेच दिया।
पुनर्वास के लिए दिया गया रोजगार: कश्मीरी विस्थापितों के पुनर्वास के लिए 2009 में घाटी में तीन हजार पदों को भरने के लिए मनमोहन सरकार ने प्रधानमंत्री पैकेज घोषित किया गया था। इसमें शिक्षा में 1760, समाज कल्याण विभाग में 234, राहत आर्गेनाइजेशन में 152, वित्त में 151, इंजीनियरिंग में 512, पर्यटन में 15, स्वास्थ्य में 86 और राजस्व में 90 पद शामिल थे। इन तीन हजार पदों में से 2900 चयनित सूचियां जारी की गईं। इसके बाद मोदी सरकार ने 29 जुलाई 2017 को अतिरिक्त तीन हजार पद सृजित किए गए। इन तीन हजार पदों में से 2835 स्टेट सर्विस सलेक्शन बोर्ड को रेफर किए गए। पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।
खेतों पर भी हो चुके हैं कब्जे: डॉ. अग्निशेखर
कश्मीरी विस्थापित- एक नजर
-केंद्र ने 2008-09 में 1618.40 करोड़ रुपये मंजूर किए गए।