Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

कठुआ: स्कूल पहुंचते ही अजीब हरकतें कर बेसुध हो रहे बच्चे

Kathua. अंधविश्वास में फंसे कुछ ग्रामीण इसे दैवीय शक्ति का असर मान झाड़-फूंक में फंसे हैं।

By Nitin AroraEdited By: Updated: Thu, 20 Jun 2019 02:01 PM (IST)
Hero Image
कठुआ: स्कूल पहुंचते ही अजीब हरकतें कर बेसुध हो रहे बच्चे

कठुआ, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में पहाड़ी क्षेत्र बनी के दूरदराज के गांव सित्ती का ग्रामीण स्कूल अनोखी वजह से चर्चा का केंद्र बन गया है। हाई स्कूल के कुछ छात्र-छात्राएं स्कूल पहुंचते ही कक्षा में जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं और अजीब हरकतें करने लगते हैं। एक पखवाड़े से चल रही हरकत को ग्रामीणों ही नहीं चिकित्सकों को भी परेशानी में डाल दिया है।

अंधविश्वास में फंसे कुछ ग्रामीण इसे दैवीय शक्ति का असर मान झाड़-फूंक में फंसे हैं। मेडिकल जांच में बच्चों को किसी प्रकार का रोग नहीं मिला है। मनोरोग विशेषज्ञ तमाम आशंकाओं को नकार केवल काउंसलिंग की सलाह दे रहे हैं।

कठुआ के इस रिमोट गांव सित्ती के हाई स्कूल में 330 विद्यार्थी हैं। एक पखवाड़े से बच्चों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला। शुरुआत में दो-तीन बच्चों ने ऐसी हरकत की।

उसके बाद बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती गई और 50 तक जा पहुंची। मामला प्रशासन तक पहुंचा तो एसडीएम स्वयं मौके पर पड़ताल करने पहुंचे। चिकित्सकों की टीम गांव भेजी गई पर बच्चों में कोई बीमारी नहीं मिली। स्कूल प्रभारी अध्यापक परवेज अहमद ने बताया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो उनके लिए परेशानी बन जाएगी।

अचानक सिर भारी होने लगता है..

पीडि़त विद्यार्थियों के अनुसार कक्षा में अचानक उनका सिर भारी हो जाता है। उसके बाद कुछ पता नहीं रहता है कि वो क्या कर रहे हैं। स्कूल प्रभारी परहेज अहमद का कहना है कि पहले ऐसा कुछ नहीं था। पहले दो या तीन बच्चे इस तरह की हरकतें करते थे, उन्हें बीमार समझ घर भेज दिया जाता। इस बार एक साथ 50 विद्यार्थियों का अजीब हरकतें करना चिंता की बात है।

और भी कुछ स्कूलों में हो चुकी घटनाएं

सरपंच सित्ती विंद्रावन ने कहा कि इस तरह की घटनाएं 2006 में हाई स्कूल रौलका, 2007 में मशेडी हाई स्कूल और 2015 मिडिल स्कूल बनेखी में चुकी हैं। वहां के स्कूलों में आठ से 10 विद्यार्थियों ने इस तरह की हरकतें की थीं। तब विशेषज्ञों ने काउंसलिंग की थी।

बच्चों की करवाई गई थी जांच

ब्लॉक मेडिकल आफिस (बीएमओ) बनी डॉ. बलकाली लाल चौधरी ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही हमने डॉ. गौतम के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम को भेजा। दो दिन डॉक्टरों ने बच्चों की जांच की, लेकिन सभी पूरी तरह स्वास्थ मिले। बच्चों को ऐसी कोई बीमारी नहीं है।

बच्चों को केवल काउंसलिंग की आवश्कता

जम्मू: मनोरोग अस्पताल जम्मू में विशेषज्ञ डा. अभिषेक चौहान का कहना है बच्चों के इस व्यवहार का प्रमुख कारण मास हिस्टीरिया है। यह कई बार तनाव के कारण होता है। बच्चों में किसी चीज के लेकर तनाव है और वे इस प्रकार का व्यवहार करते हैं। लेकिन जब इतने बच्चे एक साथ करें तो साथ बैठे अन्य बच्चों में भी डर पैदा हो जाता है। उन्हें भी ऐसा लगता है कि उनके आसपास कोई डरावनी चीज है। इस कारण वे ऐसा व्यवहार करते हैं। इसी प्रकार का मामला एक बार आरएस पुरा के पास एक स्कूल में भी हुआ था।

एक-दूसरे को देखकर करते हैं ऐसा

मनोरोग अस्पताल जम्मू में एचओडी डा. जगदीश थापा का कहना है कि यह मास हिस्टीरिया ही है। एक दूसरे को देखकर बच्चे इस तरह का व्यवहार करते हैं। बच्चों के अभिभावकों को चाहिए कि वे उनमें जादू वाली कोई भी बात न कहें। उनकी समस्याओं को समझें और उनका समाधान करे। यह मानसिक रोग है। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। इसमें सिर्फ काउंस¨लग की जानी चाहिए।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप