कहीं 2018 की तरह बेकाबू न हो जाएं केरल में बाढ़ के हालात, डरे हैं लोग और प्रशासन
केरल में बाढ़ के हालात गंभीर होते जा रहे हैं। लोगों को फिर 2018 की बाढ़ याद आने लगी है जब दस लाख लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया था।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 12 Aug 2019 01:32 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। केरल में बारिश की वजह से आई बाढ़ ने एक बार फिर से लोगों को दहशत में ला दिया है। यह दहशत 2018 की तरह होने वाले हालातों की वजह से है। जुलाई-अगस्त 2018 में आई बाढ़ से 483 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 140 लापता हो गए थे। 2018 की बाढ़ से राज्य को 400 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। इस बाढ़ की वजह से राज्य का पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। बाढ़ के बाद राज्य का पर्यटन कारोबार पटरी पर वापसी की कोशिश में लगा था कि इस बार फिर से राज्य के कुछ जिले बारिश और बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। वर्तमान में जो हालात बने हैं उसकी बदौलत केरल में 1.25 लाख लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। केरल के हालात कितने गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर कोच्चि एयरपोर्ट भी इसकी चपेट में है।
राज्य के वर्तमान हालात
केरल में बाढ़ और बारिश की सबसे अधिक मार वायनाड और कोझिकोड पर पड़ी है। यहां करीब 25-25 हजार लोग बेघर हुए हैं। वायनाड में बाढ़ में फंसे एक नवजात बच्चे को सेना के जवानों ने सुरक्षित निकाला है। राज्य में इसकी वजह से अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है। आठ जिलों में आठ अगस्त से भूस्खलन की 80 घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ लोगों के अब भी मलबे में दबे होने की आशंका है।
केरल में बाढ़ और बारिश की सबसे अधिक मार वायनाड और कोझिकोड पर पड़ी है। यहां करीब 25-25 हजार लोग बेघर हुए हैं। वायनाड में बाढ़ में फंसे एक नवजात बच्चे को सेना के जवानों ने सुरक्षित निकाला है। राज्य में इसकी वजह से अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है। आठ जिलों में आठ अगस्त से भूस्खलन की 80 घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ लोगों के अब भी मलबे में दबे होने की आशंका है।
सबसे प्रभावित जिलों में एक वायनाड में बाणासुरसागर बांध के चार दरवाजों में से एक को अतिरिक्त पानी को छोड़ने के लिए तीन बजे खोल दिया गया। केरल की कई ट्रेनें रद कर दी गई हैं। कोच्चि एयरपोर्ट के एक अधिकारी के अनुसार उड़ान संचालन रविवार पूर्वाह्न् तक बहाल हो सकेगा। वायनाड और कोझिकोड के अलावा एर्नाकुलम और कन्नूर में भी हालात गंभीर हैं। मौसम विभाग यहां पर ने भारी वर्षा का अलर्ट भी जारी किया है।
सुरक्षित ठिकानों पर दस लाख लोगों को पहुंचाया गया
2018 की ही बात करें तो उस वक्त करीब दस लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इसमें भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, सेना और नौसेना ने भी भूमिका निभाई थी। राज्य के 14 जिले बारिश और बाढ़ की वजह से उस वक्त सबसे अधिक प्रभावित थे। भारत सरकार ने 2018 में आई बाढ़ को तीसरे चरण की आपदा में रखा था। 1924 के बाद पहली बार राज्य ने इस तरह की आपदा को करीब से देखा था। राज्य के 45 बांध में से 35 के दरवाजे अत्यधिक पानी की वजह से खोल दिए गए थे। इसकी वजह से भी राज्य के कई जिलों में बाढ़ आ गई थी। कुछ बांध इस दौरान ऐसे भी थे जिन्हें बीते ढाई दशक में कभी इस तरह से खोलने की जरूरत नहीं पड़ी थी। इसमें मालमपुझा और पल्लकाड स्थित बांध शामिल थे। आपको बता दें कि वायनाड और इडुकी में पिछली बार बाढ़ और बारिश की वजह से कई जगहों पर भूस्ख्लन तक हुआ था। इसकी वजह से कुछ इलाके पूरी तरह से राज्य के दूसरे जिलों से कट गए थे। एक ही दिन में हुई सामान्य से 116 फीसद अधिक बारिश
हालांकि कुछ जानकारों ने 2018 की बाढ़ को मानव निर्मित बताया था। ऐसा कहने वालों में मेट्रोमेन ई श्रीधरन भी शामिल थे। वहीं केरल सरकार ने इसकी शुरुआत वजह तमिलनाडु द्वारा बांध के गेट खोलने को बताया था। लेकिन यह सच है कि इस बाढ़ ने केरल को आर्थिकतौर पर ग्रहण लगा दिया था। इसकी वजह से हजारों की तादाद में लोग न सिर्फ बेघर हुए बल्कि बेरोजगार भी हो गए थे। लोगों को यहां पर आज भी 8 अगस्त का दिन याद है जब भीषण बारिश ने पूरा जनजीवन ठप कर दिया था।मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस दिन शाम तक सामान्य से करीब 116 फीसद अधिक बारिश हुई थी। इसकी वजह से जगह-जगह पानी भर गया और पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। इसकी वजह से शबरीमाला की यात्रा और ओणम पर्व के समारोह को भी सरकार ने रद्द कर दिया था। बाढ़ और राज्य के हालात को देखते हुए न सिर्फ भारत सरकार ने राज्य को वित्तीय मदद की बल्कि कई दूसरे राज्यों ने भी मदद के लिए द्वार खोल दिए। इसके अलावा कुछ अन्य देशों से भी राज्य को मदद मिली जिसमें सऊदी अरब और यूएई शामिल थे।सबसे बड़ा ऑपरेशन
2018 की भयंकर बाढ़ को देखते हुए केंद्र सरकार ने सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में से एक चलाया था। इस ऑपरेशन में 40 हेलीकॉप्टर, 31 एयरक्राफ्ट, 182 रेस्क्यू टीम, 18 डिफेंस सर्विस की मेडिकल टीम, एनडीआरएफ की 90 टीम, सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स की 7 कंपनियां, 500 रेस्क्यू बोट को लगाया गया था। इसमें राज्य के मछुआरों ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस ऑपरेशन में करीब 4537 मछुआरे शामिल थे। इसके अलावा उनकी करीब सात सौ नाकाएं भी रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा बनीं थीं। इन्हीं लोगों ने करीब 65 हजार लोगों को अलग-अलग जगहों से बचाया था। इसके लिए राज्य सरकार ने कुछ को सम्मानित तक किया था। इसके अलावा लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर और व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया जिससे लोग अपनी जानकारी और सूचना भेज सकें। जम्मू कश्मीर पर एक बार फिर चौंकाएगा पीएम मोदी का फैसला, किसी को नहीं होगा अंदाजा
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2018 की ही बात करें तो उस वक्त करीब दस लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इसमें भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, सेना और नौसेना ने भी भूमिका निभाई थी। राज्य के 14 जिले बारिश और बाढ़ की वजह से उस वक्त सबसे अधिक प्रभावित थे। भारत सरकार ने 2018 में आई बाढ़ को तीसरे चरण की आपदा में रखा था। 1924 के बाद पहली बार राज्य ने इस तरह की आपदा को करीब से देखा था। राज्य के 45 बांध में से 35 के दरवाजे अत्यधिक पानी की वजह से खोल दिए गए थे। इसकी वजह से भी राज्य के कई जिलों में बाढ़ आ गई थी। कुछ बांध इस दौरान ऐसे भी थे जिन्हें बीते ढाई दशक में कभी इस तरह से खोलने की जरूरत नहीं पड़ी थी। इसमें मालमपुझा और पल्लकाड स्थित बांध शामिल थे। आपको बता दें कि वायनाड और इडुकी में पिछली बार बाढ़ और बारिश की वजह से कई जगहों पर भूस्ख्लन तक हुआ था। इसकी वजह से कुछ इलाके पूरी तरह से राज्य के दूसरे जिलों से कट गए थे। एक ही दिन में हुई सामान्य से 116 फीसद अधिक बारिश
हालांकि कुछ जानकारों ने 2018 की बाढ़ को मानव निर्मित बताया था। ऐसा कहने वालों में मेट्रोमेन ई श्रीधरन भी शामिल थे। वहीं केरल सरकार ने इसकी शुरुआत वजह तमिलनाडु द्वारा बांध के गेट खोलने को बताया था। लेकिन यह सच है कि इस बाढ़ ने केरल को आर्थिकतौर पर ग्रहण लगा दिया था। इसकी वजह से हजारों की तादाद में लोग न सिर्फ बेघर हुए बल्कि बेरोजगार भी हो गए थे। लोगों को यहां पर आज भी 8 अगस्त का दिन याद है जब भीषण बारिश ने पूरा जनजीवन ठप कर दिया था।मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस दिन शाम तक सामान्य से करीब 116 फीसद अधिक बारिश हुई थी। इसकी वजह से जगह-जगह पानी भर गया और पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। इसकी वजह से शबरीमाला की यात्रा और ओणम पर्व के समारोह को भी सरकार ने रद्द कर दिया था। बाढ़ और राज्य के हालात को देखते हुए न सिर्फ भारत सरकार ने राज्य को वित्तीय मदद की बल्कि कई दूसरे राज्यों ने भी मदद के लिए द्वार खोल दिए। इसके अलावा कुछ अन्य देशों से भी राज्य को मदद मिली जिसमें सऊदी अरब और यूएई शामिल थे।सबसे बड़ा ऑपरेशन
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