विवाह पंजीकरण को लेकर केरल हाई कोर्ट की दो टूक, Marriage Registration के लिए धर्म पर विचार का कोई आधार नहीं
केरल हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल कुछ जाति समूहों द्वारा इन सुधारकों के नामों को हाईजैक करने का प्रयास किया जा रहा है जैसे कि वे उनके जाति के नेता हैं। इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Thu, 13 Oct 2022 02:56 AM (IST)
कोच्चि, आइएएनएस: केरल हाई कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि विवाह पंजीकृत के दौरान पार्टियों के धर्म पर विचार करने का कोई प्रासंगिक आधार नहीं है। साथ ही कोर्ट ने विवाह प्रभारी रजिस्ट्रार को याद दिलाया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और केरल कई सुधारकों का घर रहा है जैसे कि अय्यंकाली और श्री नारायण गुरु।
धर्मनिरपेक्ष देश है भारत
अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों को नियम 2008 के अनुसार विवाह का पंजीकरण करते समय यह याद रखना चाहिए कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो सभी नागरिकों को अपना धर्म अपनाने और अपने स्वयं के संस्कारों, रीति-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल कुछ जाति समूहों द्वारा इन सुधारकों के नामों को हाईजैक करने का प्रयास किया जा रहा है जैसे कि वे उनके जाति के नेता हैं। इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।