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Anti Constitution Remarks Row: संविधान पर की गई अपनी टिप्पणी पर फंसे केरल के मंत्री, पद से हटाने की हो रही मांग

Constitution remarks trigger row केरल के मंत्री साजी चेरियन ने देश के संविधान को लेकर कहा कि यह सही तरह से नहीं लिखा गया है। इसे जैसे ब्रिटिश ने कंपाइल किया वैसे ही एक भारतीय ने लिख दिया। इसमें नैतिक मूल्यों को दरकिनार किया गया है।

By Monika MinalEdited By: Updated: Tue, 05 Jul 2022 03:53 PM (IST)
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संविधान को लेकर की गई टिप्पणी पर घिरे केरल के मंत्री

पठनमथिट्टा, प्रेट्र।  देश के संविधान को गलत बताने वाले केरल के एक मंत्री को उनके पद से तुरंत हटाने की मांग जोरों पर है। राज्य के भाजपा अध्यक्ष ने तो यहां तक कह दिया है कि संविधान का अपमान करने के बाद वो अपने पद पर एक सेकेंड बने रहने का भी अधिकार खो चुके हैं। 

केरल के संस्कृति मंत्री हैं साजी चेरियन

केरल के संस्कृति मंत्री साजी चेरियन ने संविधान की कड़ी निंदा की है। इनका कहना है कि संविधान में शोषण के मामलों को माफ कर दिया जाता है। चेरियन ने कहा, 'संविधान को इस तरह लिखा गया है कि देश के लोगों को लूटपाट में मदद मिलती है। मंत्री के इस विवादित बयान के खिलाफ विपक्ष से तुरंत तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई। विपक्ष की ओर से पिनाराई विजयन नीत LDF कैबिनेट को हटाने की मांगी की गई है।

अपराध का साथ देता है संविधान- मंत्री

दक्षिणी जिला स्थित मल्लाप्पल्ली के  फिशरीज व कल्चरल अफेयर्स के मंत्री हालिया राजनीतिक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, 'हम कहते हैं कि हमारा संविधान खूबसूरती से लिखा गया है। लेकिन मैं कहूंगा, सुंदर संविधान  को अधिकांश लोगों को लूटने के इरादे से देश में लिखा गया।' 

देश के संविधान को लेकर कहीं अपमानजनक बातें 

देश के संविधान पर मंत्री ने आरोप लगाया कि देश के संविधान को ब्रिटिश ने कंपाइल किया था और इसे एक भारतीय  ने ऐसे ही लिख दिया और इसे 75 सालों से लागू कर दिया गया है। समाजवाद और लोकतंत्र जैसे मूल्यों को इसमें एक ओर रखा गया है। मंत्री ने कहा कि वो इस तरह से किसी का साथ नहीं देंगे जो देश के खिलाफ हो। 

भाजपा नेता ने कहा- पद पर एक सेकेंड भी रहने का खो चुके अधिकार 

BJP प्रदेश अध्यक्ष के सुरेन्द्रन ने भी चेरियन को तुरंत उनके पद से हटाने की मांग की  और कहा कि पद पर एक सेकेंड भी बने रहने का अधिकार खो चुके हैं। उन्होंने  यह भी कहा कि चेरियन के इन शब्दों में  Marxist पार्टी की संविधान के प्रति अनादर की भावना झलक रही है।