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CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर दायर हुई याचिका, केरल सरकार ने की रोक लगाने की मांग

केरल ने SC में एक नई याचिका दायर कर नागरिकता (संशोधन) नियम 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को CAA 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे तक नागरिकता संशोधन नियम 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की थी।

By Agency Edited By: Shalini Kumari Updated: Sun, 17 Mar 2024 02:31 PM (IST)
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केरल सरकार ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। केरल ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में यह तर्क दिया है कि यह अधिनियम भेदभावपूर्ण, मनमाना और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

केंद्र ने 11 मार्च को प्रासंगिक नियमों की अधिसूचना के साथ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त किया था। इस अधिनियम के जरिए 31 दिसंबर, 2014 से पहले पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-प्रवासी मुस्लिमों को तेजी से भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

सीएए को बताया भेदभावपूर्ण अधिनियम

राज्य सरकार ने सीएए नियमों को 'असंवैधानिक' करार देते हुए कहा कि धर्म और देश के आधार पर वर्गीकरण भेदभावपूर्ण, मनमाना, अनुचित है और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया, "तथ्य यह है कि प्रतिवादी (संघ) को 2019 अधिनियम के कार्यान्वयन में कोई तात्कालिकता नहीं है, 2024 के नियमों पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कारण है।"

यह कहते हुए कि सीएए मनमाना है, याचिका में कहा गया, "धर्म और देश के आधार पर वर्गीकरण स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है। यह स्थापित कानून है कि किसी व्यक्ति के आंतरिक और मुख्य लक्षण के आधार पर भेदभाव करने वाला कानून एक समझदार अंतर के आधार पर उचित वर्गीकरण नहीं बना सकता है।"

19 मार्च को होगी सुनवाई

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे तक नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की थी।

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कोर्ट ने केंद्र को जारी किया था नोटिस

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गजट अधिसूचना के अनुसार, नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए। सीएए के कथित भेदभावपूर्ण प्रावधानों को लेकर 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। शीर्ष अदालत ने कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए 18 दिसंबर, 2019 को याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।

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