Kerala: तेजी से बढ़ रहा मानव-पशु संघर्ष, निपटान के लिए कानून पर राष्ट्रीय स्तर की सहमति चाहती है केरल सरकार
Kerala News राज्य में मानव-पशु संघर्ष तेजी से बढ़ रहा है जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने इसके लिए कानून बनाने पर राष्ट्रीय सहमति मांगी है। स्थानीय लोगों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने बैठक कर कानून लागू करने का विचार किया है।
नई दिल्ली, पीटीआई। केरल सरकार ने देश भर में रिपोर्ट किए गए मानव-पशु संघर्षों से निपटने के लिए एक कानून लाने पर राष्ट्रीय स्तर की सहमति मांगी है। दरअसल, पिछले कुछ महीनों में राज्य में मानव और पशु के बीच संघर्ष के मामलों में हुई वृद्धि के मद्देनजर राज्य सरकार ने मांग की है।
राज्य में तेजी से बढ़ रहे ऐसे मामले
राज्य में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामले केरल के इडुक्की जिले से सामने आया है। दरअसल, यहां पर एक हाथी ने पिछले कुछ दिनों में काफी तहलका मचाया है। यह हाथी चावल की तलाश में राशन की दुकानों और घरों पर हमला करता था।
हाथी ने जिले के कुछ क्षेत्रों में मानव बस्तियों को काफी क्षति पहुंचाई है। महीनों तक परेशान होने के बाद आखिरकार हाथी को शनिवार को बेहोश करके पेरियार टाइगर रिजर्व के अंदर गहरे जंगल में छोड़ा गया।
राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति बनाने की जरूरत
ऑपरेशन के बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए राज्य के वन मंत्री एके ससींद्रन ने कहा कि मानव और पशु के बीच का संघर्ष देश के लिए नया नहीं है और हमें इस मुद्दे से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय सहमति की आवश्यकता है।
ससींद्रन ने कहा, "मनुष्य और पशु संघर्ष देश में एक उभरता हुआ मुद्दा है और हमें इस तरह के संघर्षों से निपटने के लिए एक कानून बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति बनाने की जरूरत है।" उन्होंने वन्य जीवों और मनुष्यों दोनों की रक्षा के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, "मैं हमेशा पशु संरक्षण समूहों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों जो वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाते हैं, उनसे कहता हूं कि वे मानव और पशु संघर्ष को हल करने के लिए अपने सुझाव दिया करें।"
स्थानीय लोगों के विरोध के बाद हुई बैठक
हाथियों के झुंड को इलाके में घुसने और कहर बरपाने से रोकने के लिए स्थायी समाधान की मांग को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा किए गए विरोध के मद्देनजर केरल सरकार ने बैठक आयोजित की थी। इस बैठक के दौरान यह फैसला भी किया गया था कि वन्यजीवों के हमले का सबसे ज्यादा सामना करने वाले रिहायशी इलाकों के आसपास 21 किलोमीटर लंबी सौर बाड़ लगाने का फैसला किया गया।
बाघों के बढ़ते खतरे से परेशान स्थानीय लोग
वायनाड जिले में, बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने मंगलवार को एक विरोध मार्च निकाला था और जंगली जानवरों, विशेषकर बाघों के बढ़ते खतरे की जांच के लिए अधिकारियों के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक व्यस्त सड़क की घेराबंदी की थी। पोनमुडीकोट्टा में पिछले दो महीनों में रिहायशी इलाकों में शिकार के बाघों ने बकरियों समेत लगभग 15 घरेलू पशुओं को अपना शिकार बना लिया है।