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Kerala में अलग हो चुके माता-पिता में नहीं बनी सहमति तो हाईकोर्ट ने रखा बच्ची का नाम

अलग-अलग रह रहे युगल अपनी बेटी के नाम को लेकर झगड़ रहे थे। जारी किए गए जन्म प्रमाणपत्र पर बच्ची का नाम नहीं था लिहाजा उसकी मां ने एक नाम पंजीकृत कराने का प्रयास किया था। लेकिन जन्म एवं मृत्यु पंजीयक ने नाम पंजीकृत करने के लिए माता-पिता दोनों की उपस्थिति पर जोर दिया। चूंकि नाम को लेकर दोनों किसी सहमति पर नहीं पहुंच सके।

By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Mon, 02 Oct 2023 06:39 AM (IST)
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हाईकोर्ट ने रखा बच्ची का नाम। (फाइल फोटो)
एजेंसी, कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने एक तीन वर्षीय बच्ची का नामकरण किया है, क्योंकि उसके अलग हो चुके माता- पिता में उसके नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी। जस्टिस बेचू कुरियन थामस ने पिछले महीने जारी आदेश में कहा कि बच्ची की मां द्वारा सुझाए गए नाम को उचित महत्व दिया जाना चाहिए, लेकिन पितृत्व पर किसी तरह का विवाद नहीं होने के कारण पिता का नाम भी शामिल किया जाना चाहिए। बच्ची वर्तमान में अपनी मां के साथ रह रही है।

मां ने केरल हाई कोर्ट में लगाई याचिका

पीटीआई के मुताबिक, यह मामला अलग-अलग रह रहे युगल का है जो अपनी बेटी के नाम को लेकर झगड़ रहे थे। जारी किए गए जन्म प्रमाणपत्र पर बच्ची का नाम नहीं था, लिहाजा उसकी मां ने एक नाम पंजीकृत कराने का प्रयास किया था। लेकिन जन्म एवं मृत्यु पंजीयक ने नाम पंजीकृत करने के लिए माता-पिता दोनों की उपस्थिति पर जोर दिया। चूंकि नाम को लेकर दोनों किसी सहमति पर नहीं पहुंच सके, इसलिए मां ने इसके लिए केरल हाई कोर्ट की शरण ली।

माता-पिता के संबंधों में आ गई थी कड़वाहट

बच्ची का जन्म 12 फरवरी, 2020 को हुआ था और इसके बाद उसके माता-पिता के संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। हाई कोर्ट ने अपने पांच सितंबर के आदेश में कहा कि अपने अभिभावक के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते समय उसने बच्ची के माता-पिता का अधिकार को नहीं, बल्कि उसके कल्याण को सर्वोपरि रखा। न्यायाधीश ने कहा, अभिभावक का अधिकार क्षेत्र एक ऐसा कानूनी सिद्धांत है जो राज्य या न्यायालय की अपने नागरिकों पर एक संरक्षक की भूमिका की परिकल्पना करता है।

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