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नाबालिग छात्रा से दुष्‍कर्म के केस में दोषी करार दिए गए केरल के पादरी को पोप फ्रांसिस ने निकाला

नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने के दोषी केरल के 52 वर्षीय कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी (Robin Vadakkumchery) को वेटिकन ने बर्खास्‍त कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 01 Mar 2020 03:49 PM (IST)
नाबालिग छात्रा से दुष्‍कर्म के केस में दोषी करार दिए गए केरल के पादरी को पोप फ्रांसिस ने निकाला
तिरुवनंतपुरम, आइएएनएस। नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने के दोषी केरल के 52 वर्षीय कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी (Robin Vadakkumchery) को वेटिकन ने बर्खास्‍त कर दिया है। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, पोप फ्रांसिस ने पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी के अपराधों की गंभीरता के मद्देनजर जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करते हुए यह कार्रवाई की।

मालूम हो कि रोबिन वडक्कुमचेरी को नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के तीन अलग-अलग मामलों में 20 वर्षों कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। 'द मंथावडी (वायनाड जिले में) डायोसिस के अधिकारियों ने संवाददाताओं को बताया कि वेटिकन ने पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद रॉबिन वडक्कमचेरी (Robin Vadakkumchery) को पुरोहितवाद यानी सभी प्रार्थना कर्तव्यों और अधिकारों से बर्खास्‍त करने का फैसला किया।

अधिकारियों ने बताया कि पोप फ्रांसिस ने यह निर्णय पिछले साल पांच दिसंबर को ही कर दिया था लेकिन फैसले के कागजात अब जाकर जेल में बंद पादरी को सौंपे गए हैं। मालूम हो कि पादरी वडक्कमचेरी कन्नूर में चर्च के अंतर्गत चलने वाले स्कूल का मैनेजर भी था। इसी स्कूल में11वीं क्‍लास की पी‍ड़‍िता छात्रा पढ़ती थी। पादरी को 27 फरवरी, 2017 की रात को कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास से उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह देश छोड़ने की फिराक में था।

स्कूली बच्चों के बीच काम करने वाली एक चाइल्ड लाइन एजेंसी (Child Line agency) ने पादरी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। साल 2017 में सात फरवरी को चर्च द्वारा संचालित अस्पताल में पीड़‍िता ने बच्चे को जन्म दिया था जिसके बाद पादरी पर कार्रवाई को लेकर दबाव बढ़ गया था। हालांकि, उसने बचने की काफी कोशिशें की। सुनवाई के दौरान पी‍ड़ि‍ता और उसकी मां मुकर भी गए थे। फ‍िर भी अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर अपना फैसला सुनाया।

पिछले साल 17 फरवरी को पादरी के खिलाफ अदालत ने अपना फैसला सुनाया था। पादरी पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया था। हालांकि पुलिस द्वारा पेश की गई चार्जशीट में इस मामले में सह आरोपी बनाए गए कान्वेंट के एक अन्य पादरी और एक महिला को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। फि‍लहाल, सिरो-मालाबार चर्च के पूर्व पादरी रॉबिन मंथावडी में जेल की सजा काट रहे हैं।