UP के सात महानगरों में Police Commissioner प्रणाली; क्या है यह सिस्टम, पुलिस को मिलते हैं क्या अधिकार
Police Commissionerate System कमिश्नर सिस्टम में पुलिस अधिकारियों के पास अधिक शक्तियां होती हैं। अधिकारियों को गिरफ्तारी करने और कानून व्यवस्था लागू करने के लिए नागरिक अधिकारियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। पुलिस गुंडा एक्ट गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकती है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 20 Dec 2022 06:16 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन जागरण। Commissioner System Of Policing: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने 7 महानगरों में बेहतर पुलिसिंग के लिए कमिश्नरी प्रणाली शुरू की है। सरकार ने अब गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज जिले में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का एलान कर दिया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी।
इससे पहले राजधानी लखनऊ, कानपुर, गौतमबुद्ध नगर और वाराणसी में कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई थी। मौजूदा समय में ये प्रणाली देश के 100 से ज्यादा शहरों में लागू है। कमिश्नर सिस्टम (Commissioner System) में पुलिस अधिकारियों के पास अधिक शक्तियां होती हैं। अधिकारियों को गिरफ्तारी करने और कानून व्यवस्था लागू करने के लिए नागरिक अधिकारियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
हालांकि, कुछ लोगों का ये भी मानना है कि, कमिश्नर प्रणाली से पुलिस को ज्यादा शक्तियां मिल जाती हैं। आखिर कमिश्नर सिस्टम क्या होता है, पुलिस को कैसे अधिक अधिकार मिल जाते हैं, इसके लाभ क्या है, चलिए हम आपको बताते हैं इस खास रिपोर्ट में।
मिल जाते हैं अधिकार
आसान भाषा में समझें तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते हैं। वो आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं।
कैसे होता है काम
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने पर कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करता है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।पुलिस कमिश्नर ले सकते हैं फैसले
कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाते हैं। कानून व्यस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर ही फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। डीएम के पास अटकी फाइलों पर भी अनुमति लेने की समस्या खत्म हो जाती है। यहां ये जानना भी जरूरी है कि, कमिश्नर सिस्टम में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाती है। इस तरह की पावर मिलने से पुलिस गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकती है।