Move to Jagran APP

IFS Abhay Kumar ने कम उम्र में कायम की बेशकीमती मिसाल, विदेश सेवा के साथ-साथ लेखनी ने दिलाई खास पहचान

IFS Abhay Kumar आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में शामिल सिविल सेवा परीक्षा को पास कर आईएफएस अधिकारी बनने का सफर पूरा किया।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 11 Jan 2023 06:18 PM (IST)
Hero Image
IFS Abhay Kumar ने कम उम्र में कायम की बेशकीमती मिसाल।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो विदेश सेवा में अधिकारी रहते हुए किसी अन्य काम को भी साथ-साथ करते रहे हो। इन्हीं में से एक अभय कुमार हैं। अभय कुमार ने देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में शामिल सिविल सेवा परीक्षा को पास कर आईएफएस अधिकारी बनने का सफर पूरा किया। साथ ही कविताएं लिखकर लोगों के प्रेम व सम्मान को भी हासिल किया। यही नहीं वह मेडागास्कर में बनने वाले सबसे कम उम्र के राजदूतों में से एक हैं।

आईएफएस अधिकारी अभय कुमार का परिचय

बता दें कि सबसे कम उम्र के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी अभय कुमार का जन्म बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में हुआ है और यहीं पर उनका पालन पोषण भी हुआ है। उन्होंने नई दिल्ली स्थित नेहरू जवाहरलाल विश्वविद्यालय से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। साथ ही वह देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा की तैयारी करने लगे। उन्होंने वर्ष 2003 में सिविल सेवा परीक्षा में 71वीं रैंक प्राप्त की और भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी के रूप में चयनित हुए। 

मॉस्को यूनिवर्सिटी में रूसी भाषा व साहित्य का अध्य्यन

इसके बाद, अभय कुमार ने मॉस्को यूनिवर्सिटी से इतिहास, साहित्य व रूसी भाषा की पढ़ाई की। इसके साथ ही, उन्हें पुर्तगाली भाषा भी आती है और इसके अलावा वह हिंदी, अंग्रेजी व नेपाली भाषा का भी अच्छा ज्ञान रखते हैं। आईएफएस अधिकारी अभय कुमार सिर्फ एक अधिकारी होने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वह लिखने का भी शौक रखते हैं, जो उनकी असली पहचान बनीं। यही वजह है कि उन्होंने अपने द्वारा कई रचनाएं लिखी हैं। उन रचनाओं में से उनकी कुछ प्रसिद्ध रचना Seduction of Delhi, Earth Anthem और Colours of soul है। उनकी यह रचनाएं बेस्ट सेलर भी रही हैं।

रूस और नेपाल में सेवा दे चुके हैं अभय कुमार

बता दें कि भारतीय विदेश सेवा अधिकारी के रूप में अभय कुमार कई देशों में महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग और काठमांडू में कई भारतीय मिशनों पर काम करने का अनुभव है। साल 2010 में उन्होंने विदेश मंत्रालय में डिजिटल डिप्लोमेसी के अवर सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने तीन साल 2012 से 2015 तक काठमांडू में भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि के रूप में काम किया। इसके बाद वह 2015 में लंदन स्थित नेहरू सेंटर के निदेशक के रूप में नियुक्त हुए।

38 साल की उम्र में बने भारतीय राजदूत

अभय कुमार सिर्फ 38 वर्ष की उम्र में पहली बार किसी देश में भारत के राजदूत बने थे। आईएफएस अधिकारी को 2015 में भारत के उप उच्चायुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में वह ब्राजील में भारतीय दूतावास में भारत के मिशन के उप प्रमुख के रूप में नियुक्त हुए। अभय कुमार केवल 38 साल की उम्र में मेडागास्कर में राजदूत के रूप में नियुक्त हुए, इसके साथ ही उनके साथ एक नया किर्तिमान भी जुड़ गए। वह सबसे कम उम्र में राजदूत बनने वाले पहले अधिकारी बने।

ब्राजील में मना अंतरराष्ट्रीय राजनियक दिवस

ब्राजील ने पहली बार आईएफएस अधिकारी अभय कुमार के सुझाव पर ही पहली बार अंतरराष्ट्रीय राजनियक दिवस मनाया था। आईएफएस अधिकारी ने सुझाव दिया था कि 24 अक्टूबर को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर ही राजनियकों का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाना चाहिए, जिसके बाद साल 2017 में ब्राजील में पहली बार यह दिवस मनाया गया और दुनियाभर के राजनियकों की ओर से इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी।

अभय कुमार को लेखनी ने दिलाई अलग पहचान

आईएफएस अधिकारी अभय कुमार की कविताओं और रचनाओं ने उन्हें देश-विदेश में प्रसिद्धी दिलाई है। 2018 में वाशिंगटन डीसी में ग्रेस कैवलियरी द्वारा लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में लंबे समय से चल रही श्रृंखला द पोएट्स एंड द पोएम्स में कविता को रिकॉर्ड करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया था। वह इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में कविता को रिकॉर्ड करने वाले पहले भारतीय कवि बने थे।

ये भी पढ़ें: Fact Check: मायापुरी ASI हत्याकांड का आरोपी मुस्लिम नहीं, समुदाय विशेष के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार

ये भी पढ़ें: अमेरिका में बच्चों में दमे के हर 8 मामले में से एक का कारण गैस चूल्हा, अब इस पर रोक लगाने का विचार