Jamaat-e-Islami: 45 मिनट में बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा, क्या 15 साल की सत्ता पर भारी पड़ गया हसीना का एक फैसला
बांग्लादेश में हिंसा थम नहीं रही है। आरक्षण को लेकर भड़की हिंसा में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले शेख हसीना को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। बांग्लादेश के मौजूदा हालात के लिए जमात-ए-इस्लामी को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। हाल ही में इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से जारी हिंसा के बीच शेख हसीना की प्रधानमंत्री की कुर्सी चली गई है। हसीना ने सोमवार को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा। शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं, वो यहां से लंदन या फिनलैंड की शरण ले सकती हैं।
बांग्लादेश के मौजूदा हालात के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसमें जमात-ए-इस्लामी की भूमिका भी अहम है। आपको बताते हैं कि जमात-ए-इस्लामी क्या है और इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया।
जमात-ए-इस्लामी क्या है?
जमात-ए-इस्लामी को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। इसकी छात्र शाखा का नाम इस्लामी छात्र शिबिर है। हाल ही बांग्लादेश सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
क्यों लगा प्रतिबंध?
बांग्लादेश में तत्कालीन हसीना सरकार ने आतंकवाद रोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इस्लामी छात्र शिबिर पर प्रतिबंध लगा दिया था। आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में आंदोलन को भड़का रही है। जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की थी।
कभी बांग्लादेश की स्वतंत्रता का किया था विरोध
जमात-ए-इस्लामी 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के विरोध में उतर आया था। इसने मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों का पक्ष लिया था। इस संगठन पर प्रतिबंध का एक ये भी कारण है।
100 से ज्यादा लोगों की मौत
बांग्लादेश में हसीना सरकार की विदाई के बाद हुई हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सोमवार को अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। हसीना के देश छोड़कर जाने की खबर फैलते ही सैकड़ों लोगों ने उनके आवास में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की।
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