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तंत्र के गण: महाकाल की नगरी में ऑपरेशन ‘पवित्र’ चलाकर IPS सचिन ने पेश की मिसाल

धर्मनगरी उज्जैन में पदस्थ होने के बाद अतुलकर ने इसे अपराध से मुक्त बनाने की ठानी और ऑपरेशन ‘पवित्र’ चलाया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 25 Jan 2019 11:30 AM (IST)
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तंत्र के गण: महाकाल की नगरी में ऑपरेशन ‘पवित्र’ चलाकर IPS सचिन ने पेश की मिसाल
उज्जैन, अभय जैन। अपनी बेमिसाल फिटनेस और शानदार लुक के कारण चर्चित रहने वाले उज्जैन, मप्र के पुलिस अधीक्षक (सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस, एसपी) सचिन अतुलकर की कार्यशैली और पुलिसिंग का उनका तरीका पुलिस विभाग के लिए मिसाल बनकर उभरा है। बतौर एसपी उज्जैन अतुलकर का यह तीसरा जिला है। खास बात यह है कि उन्होंने तीनों जिलों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार पुलिसिंग कर सफलता पाई। तीनों जिलों में उन्होंने बेहतर कार्य कर दिखाया तो जनता ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया।

ऐसे जीता जनता का विश्वास
धर्मनगरी उज्जैन में पदस्थ होने के बाद अतुलकर ने इसे अपराध से मुक्त बनाने की ठानी और ऑपरेशन ‘पवित्र’ चलाया। बकौल अतुलकर, ये इतना आसान नहीं था। इसके लिए नागरिकों का विश्वास जीतना जरूरी था। निष्पक्षता स्थापित करना जरूरी था। इसलिए पहले तो महकमे के लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई की और फिर बदमाशों को जिले से बाहर किया।

धर्मनगरी में खास ऑपरेशन
20 जुलाई 2017 को उज्जैन में पदभार लेने के बाद अतुलकर के सामने कई चुनौतियां थीं। प्राणघातक हमला, चेन स्नेचिंग, चाकूबाजी की सिलसिलेवार वारदात हो रही थीं। अपराधों को कम करने के लिए अतुलकर ने ऑपरेशन ‘पवित्र’ चलाया। इसके तहत अपराध और अपराधियों के रिकॉर्ड बनाए गए। आदतन अपराधियों की फेहरिस्त तैयार की गई। अतुलकर के अनुसार, जो व्यक्ति एक बार अपराध करता है तो उसके दोबारा अपराध करने की आशंका अधिक रहती है। इसके बाद अपराध की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की गई।

ऑपरेशन पवित्र के साथ-साथ अतुलकर ने अपने ही विभाग के कई लचर अफसरों को निलंबित, लाइनअटैच कर कार्रवाई भी की। कुछ थाना प्रभारी तो केवल एफआइआर (प्राथमिकी) नहीं लिखने जैसी शिकायतों पर निलंबित कर दिए गए। इससे महकमे में अतुलकर की छवि एक सख्त अधिकारी के रूप में उभरी और जनता का भरोसा भी उन्होंने जीता।

नक्सलग्रस्त क्षेत्र में भी बेहतर काम
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जन्मे 34 वर्षीय अतुलकर 2007 बैच के आइपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी हैं। उज्जैन से पहले वे बालाघाट और सागर जिलों में पदस्थ रह चुके हैं। नक्सल प्रभावित इलाके बालाघाट में उन्होंने दो नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। बालाघाट में तीन साल तक कई ऑपरेशन चलाए। इसके लिए राज्य और केंद्र शासन द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया। सम्मान में सड़कों पर उतरी जनता बालाघाट के बाद अतुलकर सागर के एसपी रहे। वहां लंबित अपराधों को खत्म करने से वे चर्चा में आए। साढ़े तीन साल सागर रहने के बाद जब वे रिलीव हुए तो सैकड़ों नागरिकों ने सड़क पर उतर उनका अभिवादन किया था।

500 जिलाबदर, 90 पर रासुका
ऑपरेशन पवित्र के तहत बीते एक वर्ष में उज्जैन जिले के 500 बदमाशों को जिलाबदर किया गया है। वहीं 90 पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई की गई है। इतनी बड़ी संख्या में जिलाबदर और रासुका की कार्रवाई पहली बार हुई है। इसके अलावा सैकड़ों बदमाशों पर प्रतिबंधात्मक धाराओं में कार्रवाई की गई। खास बात यह है कि जिन बदमाशों पर कार्रवाई की गई है उन पर हर सप्ताह नजर रखी जाती है। इससे बदमाशों में पुलिस का खासा खौफ है। रात में वारंट तामिली पुलिस के काम का एक हिस्सा है। मगर जिला पुलिस कॉम्बिंग गश्त कर एक ही रात में 100 से अधिक वारंट तामिल कराती रही है। 2017 के मुकाबले 2018 में जिले में जानलेवा हमलों, लूट, चेन स्नेचिंग और चाकूबाजी की घटनाओं में काफी कमी आई।

सजा दिलाने में भी पीछे नहीं
एसपी सचिन अतुलकर अपराध के पर्दाफाश के बाद आरोपित को सजा दिलाने के लिए भी जाने जाते हैं। 15 अगस्त 2018 को घट्टिया के ग्राम जलवा में रहने वाली चार साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड में 6 दिन के भीतर ही चालान पेश कर दिया था। बोर्ड ने 6 घंटे के भीतर ही सजा भी सुना दी थी। अपराध के 6 दिन के भीतर ही चालान पेश करने और कुछ घंटों के भीतर ही सजा सुनाए जाने के कारण यह केस काफी चर्चित रहा था। यह पहला केस था जब पुलिस ने इस तरह के अपराध में 6 दिन में ही जांच पूरी कर चालान पेश कर दिया था।

नागरिकों का विश्वास जीतना होगा
पुलिस को नागरिकों का विश्वास जीतना होगा। जो कमजोर वर्ग के हैं, उनकी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई हो। विदआउट फियर एंड फेवर (बिना डर और पक्षपात) की नीति पर पुलिस काम करे। पुलिस चाह ले तो समाज को अपराधमुक्त बना सकती है, उच्जैन में ऐसा हो रहा है। हालांकि यह काम आसान नहीं है। दरअसल पुलिस को पहले नागरिकों तक यह संदेश पहुंचाना होगा कि वह निष्पक्ष है। ऐसा तब होगा जब पुलिस अधिकारी महकमे और टीम को दुरुस्त रखेंगे। इससे नागरिकों में अच्छा संदेश जाएगा और वह पुलिस के साथ खड़ी होगी। इससे आप का विश्वास बढ़ेगा और फिर आप स्वतंत्र होकर ऑपरेशन पवित्र जैसी मुहिम चला सकते हैं। ऐसे ऑपरेशनों का कोई अंत नहीं है, इसके लिए सतत प्रयास जारी रखने होंगे।
सचिन अतुलकर, आइपीएस, एसपी उज्जैन, मध्य प्रदेश