दुनिया की सबसे घातक माने जाने वाली इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल में जानें कहां आता है भारत
मौजूदा समय में लंबी दूरी की घातक मिसाइलों को विकसित करने की हर देश में होड़ सी लगी है। भारत को भी अपनी सुरक्षा के लिए इस तरह के हथियारों की जरूरत है। इसको देखते हुए ही भारत ने अग्नि-5 को देश की रक्षा के लिए समर्पित किया हुआ है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 09:34 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पूरी दुनिया के बड़े और ताकतवर देश आज सुरक्षा के मद्देनजर लंबी दूरी की घातक मिसाइल विकसित करने पर ध्यान दे रहे हैं। दुनिया के कई देशों में इस तरह की मिसाइल हैं भी। इन्हें इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इन मिसाइलों की रेंज दूसरे देश की सीमा के अंदर तक होती है। इनकी स्पीड, इनकी मारक क्षमता, दुश्मन से बचने की तकनीक, परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता, किसी जगह तैनात करने की खासियत ही इन्हें इतना खास बनाती है कि आज ये दुनिया के कई देशों की सबसे पसंदीदा हथियार है। दुनिया के कई बड़े देशों की तरफ भारत के पास भी इसकी क्षमता है। इसके अलावा चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, उत्तर कोरिया और फ्रांस के पास भी इस तरह की क्षमता है।
ICBM की श्रेणी में शामिल होने के लिए ये जरूरी है कि वो मिसाइल 5 हजार किमी के दायरे या उससे अधिक के दायरे में निशाना लगा पाने में सक्षम हो। भारत के पास अग्नि-5 ICBM हैं। अग्नि-5, 5-8 हजार किमी की दूरी तक सटीक निशाना लगा सकती है। इसको डीआरडीओ ने विकसित किया है और इसकी मैन्युफैक्चरिंग भारत डायनामिक लिमिटेड करता है। 18 हजार मीटर प्रति घंटा से भी अधिक की स्पीड या 24 मैक की स्पीड से ये हवा को चीरती हुई दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। इसको सड़क से कहीं भी ले जाया जा सकता है। ये ICBM पूरी तरह से आपरेशनल है।
तीन स्टेज सोलिड राकेट इंजन वाली ये मिसाइल 17 मीटर से अधिक लंबी है। इसका वजन करीब 56 हजार किग्रा है। ये अपने साथ 1500 किग्रा वारहेड ले जा सकती है। आपको बता दें कि भारत के पास जो अग्नि सीरीज की मिसाइलें हैं उनकी कम से कम रेंज 700 किमी है। इनको विकसित करने के पीछे चीन एक बड़ी वजह रहा है।अग्नि-5 की जद में पूरा चीन ही नहीं है बल्कि ये यूरोप तक मार करने में सहायक है। इसके अलावा ये MIRV (मल्टीपल इंडीपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) से लैस है।
आपको बता दें कि इस तरह की लंबी दूरी की ICBM आसमान में या यूं कहें कि अंतरिक्ष की ऊंचाई तक जाती हैं। इसके बाद ये दोबार धरती के वातावरण में दाखिल होकर अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ती हैं। MIRV की दूसरी खासियत होती है कि ये मल्टीपल टार्गेट को एक ही समय में हिट कर सकता है। इसलिए ये मिसाइल एक से अधिक वारहेट ले जाने में सक्षम है। जून 2018 से ही ये देश की सेवा में समर्पित है। मौजूदा समय में भारत अग्नि-6 पर भी बड़ी तेजी से काम कर रहा है। इसकी रेंज 12 हजार किमी तक होगी। इसी वर्ष जुलाई के अंत में इस मिसाइल का 10 हजार किमी की रेंज का टेस्ट काफी सफल रहा था। इस मिसाइल को सूर्या नाम दिया गया है।
दुनिया के दूसरे देशों के पास जो ICBM मौजूद हैं उनकी रेंज और नाम इस प्रकार हैं। अमेरिका के पास LGM-30 Minuteman-3 एक ICBM मिसाइल है जिसकी रेंज 10000 किमी है। इसके अलावा LGM-30F Minuteman-2 की रेंज 11265 KM, LGM-30A/B Minuteman-1 की रेंज 10186 KM, LGM-118 Peacekeeper की रेंज 14000 KM, titan-2 की रेंज 16000 KM, Titan-1 की रेंज 11300 KM तक है। अमेरिका के पास 400 से अधिक ICBM हैं जिसको उसने अपने तीन अलग-अलग एयरबेस पर तैनात कर रखा है।
इसी तरह से रूस के पास मौजूदा समय में 286 ICBM हैं। ये करीब 1 हजार वारहेड ले जा सकती हैं। रूस की ही बात करें तो उसके पास सोवियत जमाने से लेकर अब तक 6 हजार किमी से 18 हजार किमी की दूरी तक मार करने वाली ICBM मौजूद हैं। RS-28 Sarmat, RT-2UTTH Topol M, RS-24 Yars, RS-26 Rubez, UR-00N और R-36 (SS-18) का नाम इसमें शामिल है।इसी तरह से चीन के पास में DF-4 की रेंज 5500 किमी से लेकर 7000 किमी तक है। DF-31 की रेंज 7200 किमी से 11200 किमी तक है। DF-5 और DF-41 की रेंज 12 हजार से 15 हजार किमी तक है। DF-41 अपने साथ 10 वारहेड ले जाने में सक्षम है। एक जानकारी के मुताबिक चीन की ये सबसे घातक मिसाइील शिनजियांग, किंगघई गांसू, और इनर मंगोलिया में तैनात हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम अंडरग्राउंड ग्रेट वाल प्रोजेक्ट है।
उत्तर कोरिया के पास Hwasong-14,15,16 मिसाइल की रेंज 6700 किमी से 13 हजार किमी तक है। इजरायल के पास भी कथित तौर पर इस तरह की क्षमता है। हालांकि ये आपरेशनल नहीं है।