जानिए वोडाफोन-आइडिया को मिले राहत पैकेज का पूरा गणित और टेलीकॉम में हुए 9 बड़े सुधार के बारे में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में टेलीकॉम सेक्टर के लिए राहत पैकेज देने पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। मोदी सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया को होने वाला है।
By Vineet SharanEdited By: Updated: Wed, 15 Sep 2021 06:09 PM (IST)
नई दिल्ली, मनीष कुमार। वित्तीय संकट के दौर से जूझ रहे टेलीकॉम सेक्टर को मोदी सरकार ने बड़ी राहत पैकेज देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में टेलीकॉम सेक्टर के लिए राहत पैकेज देने पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। मोदी सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया को होने वाला है जिसके सेवाएं जारी रहने पर लगातार प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे थे।
राहत पैकेज की जानकारी देते हुये टेलिकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि टेलिकॉम सेक्टर में सरकार ने 9 बड़े सुधार ( Reforms) के फैसले और 5 संरचनात्मक सुधार ( Structural Reforms) के फैसले लिये हैं। उन्होंने कहा कि इन फैसलों के चलते टेलीकॉम सेक्टर में सुधार होगा, 5 जी में निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा, साथ ही इन सेक्टर में नए निवेश को आर्कषित करने में मदद मिलेगी। टेलीकॉम मंत्री ने बताया कि सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर को जो सौगात दी है उसका सरकार के खजाने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अब आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं टेलीकॉम को दिये जाने वाले राहत पैकेज में क्या – क्या है ?
क्या मिला सेक्टर को राहत पैकेज में
1. सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों पर स्पेक्ट्रम फीस और एजीआर (Adjusted Gross Revenue) के किश्त भुगतान में चार साल के लिये मोरेटोरियम देने की घोषणा की है। टेलिकॉम कंपनियां इस सुविधा को फायदा 1 अक्टूबर से ले सकेंगी। मोरेटोरियम के फायदा लेने पर टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को हर साल के लिए सालाना ब्याज का भुगतान करना होगा। ब्याज का भुगतान एमसीएलआर प्लस 2 फीसदी के दर से देना होगा।
2. एजीआर ( Adjusted Gross Revenue ) के परिभाषा को सरल किया गया है। नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू को एजीआर देय के मद में अब शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि ये पुराने एजीआर बकाये पर लागू नहीं होगा जिसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट से आ चुका है।
3. टेलिकॉम कंपनियों को जो पेनाल्टी देना होता है उस मोर्चे पर भी राहत दिया गया है। पहले चक्रवृद्धि ब्याज के दर से मासिक पेनाल्टी देना होता था जो अब सालाना पेनाल्टी देना होगा।
4. सरकार ने फैसला लिया है कि अब भविष्य में किसी भी टेलीकॉम कंपनी को टेलीकॉम लाइसेंस अब 20 साल की जगह 30 साल के लिये दिया जाएगा। 10 साल के लिये स्पेक्ट्रम लॉक इन पीरियड में रहेगा। इसके बाद जो कंपनियां स्पेक्ट्रम सरेंडर करना चाहती है वे सरेंडर चार्ज देकर सरकार को स्पेक्ट्रम लौटा सकती है।5. सरकार ने टेलिकॉम सेक्टर में विदेशी निवेश को लुभाने के लिये ऑटोमेटिक रूट के जरिये 100 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत दे दी है। पहले ये 49 फीसदी था।
6. मोबाइल कनेक्शन लेने के लिये पहले ग्राहकों को लंबा चौड़ा फॉर्म भरना पड़ता था। करीब 400 करोड़ फॉर्म ग्राहकों के भरे हुए पड़े थे। लेकिन अब सारे फॉर्म डिजिटाइज किये जायेंगे साथ ही नये ग्राहक अब फॉर्म केवल डिजिटल तरीके से ही भरेंगे।7. प्रीपेड से पोस्ट पेड या पोस्ट पेड से प्रीपेड कनेक्शन में शिफ्ट करने वाले ग्राहकों को केवाईसी कराने में भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। लेकिन कैबिनेट ने इस प्रोसेस को सरल करने का फैसला किया है।
8. टेलिकॉम कंपनियों को आपस में स्पेक्ट्रम शेयर करने की छूट दी गई है। कंपनियां जहां चाहे स्पेक्ट्रम अपने फायदे के लिये शेयर कर सकती हैं।9. टेलीकॉम कंपनियों को विदेशों से टेलिकॉम इक्विपमेंट के इंपोर्ट में भी राहत दी गई। 1953 के कस्टम कानून में संशोधन किया जाएगा जिससे कंपनियां आसानी से टेलिकॉम इक्विपमेंट विदेशों से आयात कर सके। बकाये रकम को इक्विटी में बदलने का विकल्प है खुला
टेलीकॉम मंत्री ने ऐलान किया कि 4 साल के मोरेटोरियम अवधि खत्म के बाद सरकार वित्तीय संकट से जूझ रहे टेलीकॉम कंपनी (वोडाफोन आइडिया) के माली हालत की समीक्षा करेगी। उसके बाद कंपनी पर सरकार के बकाये रकम को इक्विटी में बदलने का विकल्प खुला रहेगा। मतलब साफ है कि वोडाफोन आइडिया की माली हालत में सुधार नहीं हुआ तो बकाये कर्ज को सरकार इक्विटी में कंवर्ट कर सकती है। इस फैसले का मकसद वोडाफोन आइडिया कंपनी में निवेशकों के भरोसे को कायम है। दरअसल वोडाफोन आइडिया पिछले एक साल से 25,000 करोड़ रुपये निवेशकों से जुटाने की कोशिश में जुटी है। लेकिन कंपनी की माली हालत और देश में टेलीकॉम सेक्टर की पॉलिसी में अस्थिरता के चलते निवेशक निवेश करने से कतरा रहे थे।
वोडाफोन आइडिया पर 1.92 लाख करोड़ का है कर्जवोडाफोन आइडिया पर अप्रैल जून तिमाही तक 1.92 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। जिसमें स्पेक्ट्रम पेमेंट का 1.06 लाख करोड़ और एजीआर (Adjusted Gross Revenue ) के रूप में 62,180 करोड़ रुपये का बकाया शामिल है। इसके अलावा वोडाफोन आइडिया पर बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का भी 23,400 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।टेलिकॉम सेक्टर में Duopoly से बचना चाहती है सरकार
दरअसल टेलिकॉम सेक्टर के जानकार लगातार ये आशंका जता रहे थे कि सरकार ने वोडाफोन आइडिया को बचाने की कोशिश नहीं कि तो सेक्टर में केवल दो निजी ऑपरेटर (जियो और एयरटेल) ही रह जाएंगे जिसका खामियाजा ग्राहकों को ही होगा। सिर्फ दो टेलिकॉम कंपनी रह गयी तो कॉल और डेटा चार्ज महंगा हो सकता है। लेकिन टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ किया है सरकार प्रतिस्पर्धा के पक्ष में है। कस्टमर के पास विकल्प खुल रहे वे जिस कंपनी की चाहे उसकी सेवा लें। साथ ही टेलिकॉम सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश भी आ सके।
कितना होगा राहत पैकेज का फायदास्पेक्ट्रम फीस के भुगतान के लिए चार साल की राहत देने का फैसले के बाद वोडाफ़ोन-आइडिया को करीब 16,000 करोड़, भारती एयरटेल को 9500 करोड़ और रिलायंस जियो को 3000 करोड़ का फायदा होने की उम्मीद की जा रही है। इन कंपनियों के पास ज्यादा नगद उपलब्ध हो सकेगा जिससे ये कंपनियां 5जी में निवेश कर सकेंगी।देर आये दुरुस्त आये
सरकार के टेलिकॉम सेक्टर के लिये दिये गये राहत पैकेज पर पूर्व टेलिकॉम सचिव आर चंद्रशेखर ने कहा कि मौजूदा हालात में जो सर्वश्रेष्ठ हो सकता था सरकार ने वो फैसला लिया है। सरकार ने सेक्टर की मदद करने को लेकर अपनी गंभीरता दिखाई है लेकिन वोडाफोन आइडिया के लिये ये पर्याप्त होगा ये कहना अभी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वोडाफोन आइडिया का असली इम्तिहान इस बात पर होगा कि नये निवेशकों को लाने में वे किस हद तक सफल होते हैं। आर चंद्रशेखर ने कहा कि 5 - 10 सालों में टेलिकॉम सेक्टर में जो कुछ हुआ है उससे विदेशी निवशकों को भरोसा डगमगा गया था और नए निवेश को लाने के लिये भरोसा कायम करना जरूरी था। टेलिकॉम सेक्टर के जानकार अनिल कुमार कहते हैं कि वोडाफोन आइडिया की सभी मांगों को सरकार ने मान लिया है। लेकिन जिस तरह कर्ज को इक्विटी में बदलने का फैसला लिया गया वो गलत है। अनिल कुमार का कहना है कि सरकार को ये फैसला पहले लेना चाहिये था तब देश में कई टेलिकॉम कंपनियां बंद होने से बच जाती। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद हर सेक्टर में कर्ज को इक्विटी में बदलने की मांग उठेगी।