Solar Eclipse 2022: जानिए, सूर्य ग्रहण के अनछुए पहलुओं के बारे में, इस लिहाज से क्यों खास है वर्ष 2026
इस कड़ी में सूर्य ग्रहण के कई अनछुए पहलुओं के बारे में भी आपको बताएंगे। इसके साथ यह भी जानकारी देंगे कि सूर्य ग्रहण आखिर क्यों पड़ता है और एक वर्ष में अधिकतम कितने सूर्य ग्रहण पड़ सकते हैं। वर्ष 2026 सूर्य ग्रहण के लिहाज से क्यों अहम है।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 25 Oct 2022 11:22 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। Solar Eclipse 2022: 25 अक्टूबर को यानी आज वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण है। इस कड़ी में हम इस ग्रहण की शुभता और अशुभता की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन कारणों की पड़ताल कर रहे हैं कि आखिर सूर्य ग्रहण कहीं पूर्ण तो कहीं आंशिक क्यों दिखाई पड़ता है। इसके साथ सूर्य ग्रहण के कई अनछुए पहलुओं के बारे में भी आपको बताएंगे। इन सब मामलों में जानकारों की क्या राय है। इसके साथ यह भी जानकारी देंगे कि सूर्य ग्रहण आखिर क्यों पड़ता है और एक वर्ष में अधिकतम कितने सूर्य ग्रहण पड़ सकते हैं। वर्ष 2026 सूर्य ग्रहण के लिहाज से क्यों अहम है।
आखिर क्या है आंशिक सूर्य ग्रहण और पूर्व सूर्य ग्रहण
1- सूर्य ग्रहण के दौरान आपने आंशिक ग्रहण, वलयाकार ग्रहण और पूर्ण सूर्य ग्रहण की चर्चा जरूर सुनी होगी। उन्होंने कहा कि आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा की परछाई सूर्य के पूरे हिस्से को ढकने की बजाए किसी एक हिस्से को ही ढके तब इसको आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।
वलयाकार सूर्य ग्रहण की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब चंद्रमा हमारी पृथ्वी से दूर होता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है। ऐसी स्थिति में उसका कुछ हिस्सा ही दिखाई देता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसके चलते पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है। यह खगोलीय घटना तब होती है जब चंद्रमा, पृथ्वी के एक दम निकट होता है।
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2- ज्याेतिषाचार्य एवं खगोल मामलों के जानकार हेरम्ब पांडेय जी ने बताया कि पृथ्वी के एक भाग में पूर्ण सूर्य ग्रहण और दूसरे भाग में आंशिक सूर्य ग्रहण लगने की प्रमुख वजह पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया पर ही निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आने से जिस जगह सबसे ज्यादा चंद्रमा की छाया होती है, उस स्थान पर एकदम अंधेरा रहता है।
उसे छायागर्भ कहते हैं। इस स्थान पर पूर्ण सूर्य ग्रहण नजर आता है। उन्होंने कहा कि जब चंद्रमा की छाया आंशिक रूप से पड़ती है उस समय आंशिक सूर्य ग्रहण की स्थिति होती है। लोगों को आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखाई देता है।3- उन्होंने कहा कि कई बार सूर्य ग्रहण को देखने पर लगता है, उसके चारों ओर जलती हुई आग का एक गोला बना हुआ है। इसे रिंग आफ फायर की घटना कहते हैं। यह स्थिति जब बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है। उन्होंने कहा कि चंद्रमा पृथ्वी के आसपास एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है।
इस वजह से पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी घटती-बढ़ती रहती है। सूर्य ग्रहण के समय जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है तो उसका आकार सामान्य के मुकाबले कुछ छोटा दिखाई देता है। छोटे आकार के कारण चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढ़क नहीं पाता है। चंद्रमा की सतह के किनारों से कुछ रोशनी धरती पर आती रहती है। पृथ्वी से देखने पर ये लाल गोले जैसे दिखाई देती है। इसे ही रिंग आफ फायर कहते हैं।
4- एक वर्ष में कितनी बार सूर्य ग्रहण लगता है। उन्होंने कहा कि अमुमन एक वर्ष में दो बार सूर्य ग्रहण लगता है। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण वर्ष में अधिक से अधिक पांच बार तक हो सकता है। आखिर बार वर्ष 1935 में पांच बार सूर्य ग्रहण पड़ा था। वर्ष 2026 में भी पांच बार सूर्य ग्रहण पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी सूर्य ग्रहण कुछ इलाकों में ही दिखता है। भारत में पूर्व सूर्य ग्रहण दिख रहा है तो जरूरी नहीं कि यूरोपीय देशों में भी पूर्ण सूर्य दिखे हो सकता है कि वहां आंशिक सूर्य ग्रहण की दिखे। यह सब कुछ सूर्य और चंद्रमा की दूरी पर निर्भर करता है।
1300 वर्षों के बाद बना यह योग
इन दो पर्वों के बीच सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में होना, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। ये ग्रहण भारत के अधिकतर हिस्सों में दिखेगा। इस कारण इसका सूतक रहेगा, सभी धार्मिक मान्यताओं का पालन किया जाएगा। दिवाली की रात पूजन के बाद लक्ष्मी जी की चौकी सूतक लगने से पहले हटा लें या 25 को ग्रहण खत्म होने के बाद हटाएं।यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2022 Timings: सूर्य ग्रहण आज, जानें- आपके शहर में इसका समय, यहां देखें लाइव