जानें- क्या है A68a और इससे किन्हें है सबसे अधिक खतरा, समाधान तलाशने में जुटे विज्ञानी
दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड लाखों जीवों के लिए खतरा बन गया है। ये हिमखंड लगातार आगे बढ़ रहा है। अब विज्ञानियों की एक टीम इसके अध्ययन के लिए अटलांटिक महासागर जा रही है जो इसके प्रभाव को जानेगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दक्षिणी अटलांटिक महासागर में दुनिया के सबसे बड़े आइसबर्ग (हिमखंड) ने दुनिया के विज्ञानियों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। अब विज्ञानियों की एक टीम को अटलांटिक महासागर में भेजा जा रहा है। यह टीम वातावरण पर आइसबर्ग के प्रभाव का अध्ययन करेगी। अभियान का नेतृत्व ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (बीएएस) करेगी। ए-68ए नामक इस आइसबर्ग का क्षेत्रफल करीब 4,000 वर्ग किलोमीटर है और यह दक्षिणी जॉर्जिया की ओर बढ़ रहा है। इसके कारण पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ सकता है और समुद्री जीवों के लिए परिस्थितियां मुश्किल हो सकती हैं।
मंजिल पर पहुंचाएगा जेम्स कुक
ए-68ए आइसबर्ग 2017 में अंटार्कटिका के लार्सन सी नाम की चट्टान से टूटा था। उस वक्त इसका आकार 5,800 वर्ग किमी था। दक्षिण जॉर्जिया में इसके कारण जीवजंतु खतरे में आ सकते हैं। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के शोधकर्ता 11 जनवरी को फॉकलैंड्स के लिए उड़ान भरेंगे। यह सुनिश्चित होने के बाद कि वे कोरोना वायरस से मुक्तहैं, शोधकर्ता जहाज आरआरएस जेम्स कुक के जरिये तीन दिन की यात्रा के बाद आइसबर्ग तक पहुंचेंगे।
आसपास के तापमान में परिवर्तन
विशाल आइसबर्ग अपने आसपास के समुद्री तापमान को बदल देते हैं और पिघलने पर ताजा पानी की बड़ी मात्रा देते हैं। दक्षिण जॉर्जिया के आसपास पानी का तापमान लगभग 4 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन आइसबर्ग के आसपास तापमान कुछ डिग्री कम हो सकता है। साथ ही क्षेत्र में अरबों टन ताजा पानी का स्राव हो सकता है। हालांकि यह पानी इस जगह के लिए विनाशकारी हो सकता है। बीएएस के विज्ञानी प्रो गेरेंट टारलिंग के मुताबिक, यदि आइसबर्ग जमीन में धंस जाता है, तो हम इसे 10 साल तक देख सकते हैं, क्योंकि यह बहुत बड़ा है।
समुद्र जीवों के लिए बड़ा खतरा
आइसबर्ग समुद्री जीवन की सभी परिस्थितियों को प्रभावित करता है। सबसे छोटे समुद्री जीवों से सबसे बड़े जीव व्हेल तक। टारलिंग कहते हैं कि भले ही आइसबर्ग आम हैं, लेकिन हमारे पास इसके आकार का कुछ भी नहीं था। यह पर्यावरण में बड़ा परिवर्तन लाता है। टारलिंग का कहना है कि यदि आइसबर्ग चट्टानों में फंस जाता है तो यह समुद्री जीवों के पसंदीदा भोजन स्थल के बड़े हिस्से को रोक देगा। साथ ही प्रजनन के मौसम में पेंगुइन और सील भी नजदीकी स्थान पर भोजन नहीं खोज सकेंगी। टारलिंग ने कहा कि व्हेल भोजन के अन्य स्थान खोजने में सक्षम है, लेकिन पेंगुइन और सील दूर तक जाने के लिए द्वीप नहीं छोड़ सकती हैं। वे अपने आधार से जुड़ी होती हैं और ज्यादा दूर जाए बिना बच्चों को खिलाने और जल्दी वापस जाने में सक्षम होती हैं, उनके लिए यह वास्तविक समस्या है।
पनडुब्बियों का भी होगा इस्तेमाल
शोध जहाज आइसबर्ग के निकट जाएगा तो विज्ञानी पानी में से समुद्री जीवों को इकट्ठा करेंगे। जाल और बोतलों के जरिये इन्हें एकत्रित किया जाएगा। साथ ही आइसबर्ग के आसपास के पानी में समुद्री पौधों के बारे में पता लगाने और तापमान व लवणता के स्तर को मापने के लिए ग्लाइडर्स नामक दो रोबोटिक पनडुब्बियां लांच की जाएंगी। यह चार महीने के लिए इस क्षेत्र में गश्त करेंगी और जहाज पर डाटा भेजेंगी। इन पनडुब्बियों से मिले डाटा और अपने द्वारा जुटाई गई जानकारी के आधार पर विज्ञानी पर्यावरण पर आइसबर्ग के प्रभाव के बारे में बताएंगे। भविष्य के अध्ययनों के लिए यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण होगी।
जमीन पर आया तो भी करेगा परेशान
अभियान के मुख्य विज्ञानी पोव्ल अब्राहमसेन ने कहा कि नई तस्वीरों से पता चला है कि आइसबर्ग दक्षिण जॉर्जिया के तट से करीब 60 मील की दूरी पर है। उन्होंने कहा कि यह हो सकता है कि आइसबर्ग तट के किनारे से टकराकर समाप्त हो जाए, लेकिन यह जमीन पर भी आ सकता है और महीनों या सालों तक बना रह सकता है। इस स्तर पर यह भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है कि आगे क्या होगा।