Cheetah Facts: रफ्तार का बादशाह है चीता, 8 माह की आयु में ही शुरू कर देते हैं शिकार
अधिकतर कारों से तेज दौड़ने वाले जानवर चीता भारत में आखिरी बार 1947 में दिखा था जिसका शिकार छत्तीसगढ़ के राजा ने किया था। 70 साल बाद आज देश की धरती पर इस जानवर की एक बार फिर वापसी हुई है। आइए जानते हैं इसकी खासियत...
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क । 1952 में विलुप्त करार दिया गया जानवर चीता 'रफ्तार का बादशाह ' कहलाता है। दरअसल यह मात्र 3 सेकेंड में 110 मीटर की दूरी तय कर सकता है लेकिन इसकी स्टैमिना इसका साथ नहीं देती। आज 17 सितंबर को दक्षिण अफ्रीकी देश नामिबिया से 8 चीतों को भारत लाया गया है, इन्हें यहां बसाने का मकसद है।
मेहमान चीतों के लिए कुनो पार्क ही क्यों
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में इन मेहमान चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो पार्क में लाया गया है। अब सवाल यह भी है कि इन्हें देश भर के किसी और पार्क में भी लाया जा सकता था यहीं क्यों...। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस पार्क में चीते के लिए खाने का पर्याप्त इंतजाम और सुविधाएं हैं। साथ ही दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्य जीव विशेषज्ञ इनपर नजर रखेंगे।
दहाड़ता नहीं गुर्राता है चीता
- चीता जंगल का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है। शेरों की तरह यह दहाड़ना नहीं जानता, इनकी गुर्राहट ही पर्याप्त है।
- खुद के लिए शिकार ढूंढने में सक्षम है 8 माह का चीता
- खास बात यह कि आयु के 8 माह पूरा होते ही चीता खुद के लिए शिकार में भी जुट जाता है।
- गुर्राहट के साथ ही 7 किमी ऊंची छलांग लगा सकता है।
एक बार में 7-8 किलो मटन खाता है चीता
ऐसा कहा जाता है कि चीता अपने शिकार का पीछा करने और पकड़ने में इतना थक जाता है कि उसे खाने से पहले कुछ देर आराम की जरूरत होती है और यही कारण है कि अक्सर उसके शिकारों को अन्य मांसाहारी जानवर लूट कर ले जाते हैं। यहां तक कि गिद्ध भी चीते के शिकार पर झपट्टा मारने की कोशिश में होते हैं। बता दें कि यह जानवर 7-8 किलो मटन एक बार में खा जाता है।
93 दिनों तक अपनी मां की गर्भ में रहता है यह जानवर
चीता एक बार में छह शिशुओं को जन्म देता है। इनकी औसत आयु 10-12 साल होती है। कैद में यानि नेशनल पार्क आदि जैसी जगहों पर इन चीतों की उम्र 17-20 साल तक होती है।
दुनिया का सबसे फुर्तीला स्तनधारी जानवर है चीता
दुनिया में सबसे अधिक फुर्तीला स्तनधारी जानवर चीता को माना जाता है जिसकी दो प्रजातियां हैं। 1952 में भारत में विलुप्त घोषित किया जाने वाला चीता एशिया में पाई जाने वाली प्रजाति थी। बता दें कि यह प्रजाति अब केवल ईरान में ही है। भारत में वर्ष 1947 में आखिरी बार चीता देखा गया था। मध्य प्रदेश के सरगुजा (अब छत्तीसगढ़ में) के जंगल में दिखाई दिए चीता का वहां के महाराज ने शिकार किया था।
वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीता को विलुप्त प्रजाति की अनुसूची में शामिल कर लिया था। तब से ही इन चीतों को भारत में लाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। शुरुआत में ईरान से चीतों को भेजने की योजना थी लेकिन अब दक्षिणी अफ्रीकी देशों से इन्हें भेजा जा रहा है। इस प्रयास में नामीबिया आठ चीतों को भेज रहा है।