अस्सी करोड़ लोगों का पेट भर रही दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त राशन योजना, जानें PMGKAY के बारे में सबकुछ
कोरोना महामारी के विकराल स्वरूप के सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत ही जरूरतमंद लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गई थी
By Manish PandeyEdited By: Updated: Tue, 03 Aug 2021 08:52 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भारत सरकार दुनिया का सबसे बड़ा मुफ्त राशन वितरण कार्यक्रम बीते एक साल से संचालित रही है। संकट काल में देश के जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए चलाई जा रही पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को कई चरणों में बार-बार बढ़ाया गया है ताकि स्थिति सामान्य होने तक कोई भूखा न रहे। आइए समझें कि आखिर इस योजना में किन लोगों तक लाखों मीट्रिक टन खाद्यान्न बीते करीब सवा साल से मुफ्त पहुंचाया जा रहा है:-
क्या है पीएम गरीब कल्याण अन्न योजनाबीते साल कोरोना महामारी के विकराल स्वरूप के सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत ही जरूरतमंद लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गई थी, जो फिलहाल इस वर्ष दीपावली तक जारी रहेगी। यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 23 जून 2021 को हुई बैठक में लिया गया। हालांकि सात जून को ही पीएम नरेंद्र मोदी ने इस योजना का दीपावली तक विस्तार करने की घोषणा कर दी थी।
कौन ले सकता है लाभयोजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले देश के करीब 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों को प्रति सदस्य पांच किलो मुफ्त खाद्यान्न (गेहूं या चावल) की सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा एक किलो दाल भी दी जा रही है। यह पांच किलो खाद्यान्न राशन कार्ड पर पहले से मिल रहे खाद्यान्न के अतिरिक्त दिया जा रहा है। अगर एक राशन कार्ड पर प्रति सदस्य पांच किलो खाद्यान्न इस योजना के पहले तक मिलता रहा है तो अब प्रति सदस्य दस किलो खाद्यान्न मिलेगा जिसमें पांच किलो बिल्कुल मुफ्त होगा। योजना में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की मदद का लक्ष्य रखा गया है।प्राथमिकता वाले वर्ग फेरी वाले, रिक्शा चालक, प्रवासियों और सड़क पर रहने वालों को प्राथमिकता प्रदान दी जा रही है।
दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त खाद्यान्न योजनाइस योजना के तहत भारत में कवर किए जा रहे जरूरतमंदों की संख्या के लिहाज से देखें तो यह अमेरिका की आबादी का करीब ढाई गुना बैठती है। -ग्रेट ब्रिटेन की जनसंख्या के 12 गुना लोगों का पेट भरा जा सकता है। - पूरे यूरोपीय यूनियन के सभी देशों की सम्मिलित आबादी से दोगुने लोगों को बीते एक साल से अधिक समय से मुफ्त राशन का लाभ दिया जा रहा है।
योजना पर खर्चएक अनुमान के मुताबिक, इस योजना पर कुल खर्च करीब एक लाख पचास हजार करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। बीते साल नवंबर तक इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा करीब 90 हजार करोड़ का मुफ्त राशन गरीबों में वितरित किया जा चुका था। 2021 में इस योजना को विस्तार देने के फैसले के बाद मई और जून में करीब 26 हजार करोड़ के अतिरिक्त खर्च का अनुमान लगाया गया। राज्यों को मुफ्त राशन आवंटन की बात करें तो एक माह में करीब 18.8 लाख मीट्रिक टन गेहूं और लगभग 21 लाख मीट्रिक टन चावल दिया जा रहा है।
कितना खाद्यान्न वितरित किया जा रहाजानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने बीते साल जुलाई से नवंबर के बीच पांच महीने में 201 लाख मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न का आवंटन किया था। इस साल की बात करें तो मई में करीब 28 लाख मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया गया है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के जरिये 1,433 खाद्यान्न रैक्स राज्यों को दिए गए। हर दिन 46 रैक्स दिए गए। खाद्य सब्सिडी, राज्यों तक परिवहन खर्च और डीलर का मार्जिन केंद्र सरकार ही वहन कर रही है।
दुनिया में मुफ्त राशन योजनाएंविश्व में हर दिन करीब 69 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को विवश होते हैं। खासकर, अफ्रीकी देशों में अन्न का संकट अधिक रहता है। अकाल, अशांति और भौगोलिक परिस्थितियां इसके प्रमुख कारण हैं। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के तहत 82 देशों में मुफ्त खाद्यान्न वितरण बीते कई वर्षो से किया जा रहा है। अब इसे नया रूप देते हुए खाद्यान्न के बजाय नकद या वाउचर के वितरण की व्यवस्था में बदला जा रहा है। डब्ल्यूएफपी की वेबसाइट के अनुसार, इसका कारण कुपोषण का खात्मा करना भी है। नकद या वाउचर देने से जरूरतमंद न केवल भूख मिटा सकते हैं बल्कि अपने व बच्चों के लिए पोषक आहार भी चुन सकते हैं। डब्ल्यूएफपी को दुनिया के कई देशों से आर्थिक मदद मिलती है। साथ ही, तमाम संगठन भी इसका सहयोग लोगों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने में करते हैं। मध्य पूर्व के देश मिस्र में भी सामाजिक समानता और राजनीतिक स्थिरता के उद्देश्य से लंबे समय तक खाद्यान्न सब्सिडी योजना चलाई गई। एक समय तो इस योजना पर वहां की सरकार अपने कुल खर्च का 5.6 फीसद व्यय करती थी। 1997 तक यह राशि करीब एक अरब डालर से भी अधिक थी।