वन माफिया के लिए खौफ का पर्याय, आइएफएस महिला अधिकारी वासु कनोजिया
वन अमले में खौफ फैलाकर जंगलों में सक्रिय वन माफिया को काबू किया है भारतीय वन सेवा (आइएफएस) की महिला अधिकारी वासु कनोजिया ने।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:29 PM (IST)
पन्ना, राकेश शर्मा। पर्यावरण की सुरक्षा और वन्य प्राणियों के रहवास को सुरक्षित रखने के लिए वैसे तो सरकार ढेरों जतन कर रही है, लेकिन इसके लिए तैनात मैदानी अमले को निशाने पर रखकर वन माफिया और अतिक्रमणकारी जंगलों में न केवल अवैध कब्जा कर रहे हैं बल्कि लकड़ियों का अवैध कारोबार भी करते हैं। वन अमले में खौफ फैलाकर जंगलों में सक्रिय वन माफिया को काबू किया है भारतीय वन सेवा (आइएफएस) की महिला अधिकारी वासु कनोजिया ने।
265 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण मुक्त कराई वासु ने वन माफिया के जंगलराज को उखाड़ फेंका है। सख्त मिजाज और तेजतर्रार वासु माफिया से टकराने में परहेज नहीं करती हैं। अपने सख्त तेवर और काम के मामले में समझौता न करने से उन्हें कई बार तबादले का मुंह भी देखना पड़ा है। इसके बाद भी उन्होंने कभी वन माफिया और अतिक्रमणकारियों से हार नहीं मानी। अब वे वन माफिया के लिए खौफ का पर्याय बन गई हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या की मूल निवासी वासु कनोजिया फिलहाल मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में उपसंचालक हैं। यहां पदस्थ होते ही उन्होंने अतिक्रमणकारियों को हटाने की मुहिम चलाई। सार्थक परिणाम यह रहा कि टाइगर रिजर्व से लगे इलाके में करीब 265 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण मुक्तहो गई।
छतरपुर में 200 अतिक्रमण हटाए
वासु कनोजिया ने छतरपुर में पदस्थापना के दौरान यहां लौंडी-चंदला रेंज में 200 से भी अधिक अतिक्रमण हटाकर करीब 300 हेक्टेयर वनभूमि को अतिक्रमणमुक्त कर यहां हरियाली को जिंदा किया। अतिक्रमण हटाने के दौरान उन्हें अतिक्रमणकारियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। इतना ही नहीं तत्कालीन स्थानीय विधायक आरडी प्रजापति ने भी कार्रवाई का विरोध किया। इसके अलावा आला अफसरों ने भी कार्रवाई पर आपत्ति जताई, लेकिन जब उन्होंने नियमों का हवाला देकर आगे कदम बढ़ाए तो कोई उन्हें कोई रोक नहीं पाया। लौंडी- चंदला (लवकुश नगर) में प्लांटेशन के बाद यहां हजारों पेड़ लग गए हैं। पन्ना आने के बाद यहां भी उन्होंने यह मुहिम चलाई।
वासु कनोजिया ने छतरपुर में पदस्थापना के दौरान यहां लौंडी-चंदला रेंज में 200 से भी अधिक अतिक्रमण हटाकर करीब 300 हेक्टेयर वनभूमि को अतिक्रमणमुक्त कर यहां हरियाली को जिंदा किया। अतिक्रमण हटाने के दौरान उन्हें अतिक्रमणकारियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। इतना ही नहीं तत्कालीन स्थानीय विधायक आरडी प्रजापति ने भी कार्रवाई का विरोध किया। इसके अलावा आला अफसरों ने भी कार्रवाई पर आपत्ति जताई, लेकिन जब उन्होंने नियमों का हवाला देकर आगे कदम बढ़ाए तो कोई उन्हें कोई रोक नहीं पाया। लौंडी- चंदला (लवकुश नगर) में प्लांटेशन के बाद यहां हजारों पेड़ लग गए हैं। पन्ना आने के बाद यहां भी उन्होंने यह मुहिम चलाई।
सेवा के प्रति समर्पण का स्तर
वन अमला भी इनके स्वभाव से परिचित है और हमेशा सजग रहता है। कर्मचारियों को यह डर लगा रहता है कि कब मैडम उनके क्षेत्र में आकर भ्रमण कर लेंगी। वे जब जंगल भ्रमण व निरीक्षण के लिए निकलती हैं तो उनके ड्राइवर को भी इस बात की जानकारी नहीं रहती है कि कहां जाना है। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर एरिया में भ्रमण के दौरान उनके इशारे से ही वाहन चालक आगे बढ़ते हैं। जब मौके पर पहुंच जाते हैं तभी पता चलता है कि इस जगह का निरीक्षण किया जाना है। दबाव के आगे नहीं झुकती
वासु कनोजिया, उप संचालक, पन्ना टाइगर रिजर्व कहती हैं, सीधे-सादे लोग कभी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं करते हैं। लेकिन इन्हें हटाना हमारी जिम्मेदारी होती है। कई तरह के दबाव और विरोध का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन विरोध होने पर या दबाव आने पर अपना इरादा कभी नहीं बदला। अपना कार्य निष्ठा और ईमानदारी से करने के संकल्प को पूरा करने के मकसद से ही काम किया। नियम में रहकर सब किया तो किसी की नहीं मानी। वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त करानेके साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए हर जरूरी कार्रवाई की जाएगी, भले ही उसके परिणाम कुछ भी हों।
वन अमला भी इनके स्वभाव से परिचित है और हमेशा सजग रहता है। कर्मचारियों को यह डर लगा रहता है कि कब मैडम उनके क्षेत्र में आकर भ्रमण कर लेंगी। वे जब जंगल भ्रमण व निरीक्षण के लिए निकलती हैं तो उनके ड्राइवर को भी इस बात की जानकारी नहीं रहती है कि कहां जाना है। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर एरिया में भ्रमण के दौरान उनके इशारे से ही वाहन चालक आगे बढ़ते हैं। जब मौके पर पहुंच जाते हैं तभी पता चलता है कि इस जगह का निरीक्षण किया जाना है। दबाव के आगे नहीं झुकती
वासु कनोजिया, उप संचालक, पन्ना टाइगर रिजर्व कहती हैं, सीधे-सादे लोग कभी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं करते हैं। लेकिन इन्हें हटाना हमारी जिम्मेदारी होती है। कई तरह के दबाव और विरोध का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन विरोध होने पर या दबाव आने पर अपना इरादा कभी नहीं बदला। अपना कार्य निष्ठा और ईमानदारी से करने के संकल्प को पूरा करने के मकसद से ही काम किया। नियम में रहकर सब किया तो किसी की नहीं मानी। वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त करानेके साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए हर जरूरी कार्रवाई की जाएगी, भले ही उसके परिणाम कुछ भी हों।