Sabrimala : परंपरा को तोड़ने वाली इन दोनों महिलाओं का माओवादियों से है क्या संबंध, जानें
एक दिन पहले जब मंदिर प्रशासन की कोशिशों के बावजूद दो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करने में सफल हो गईं तो यकायक वह मीडिया की सुर्खियां बन गईं। लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि आखिर ये महिलाएं कौन हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 03 Jan 2019 02:17 PM (IST)
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। सबरीमाला को लेकर पिछले काफी समय से बवाल चल रहा है। इस पर बवाल मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर है। एक दिन पहले जब मंदिर प्रशासन की कोशिशों के बावजूद दो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करने में सफल हो गईं तो यकायक वह मीडिया की सुर्खियां बन गईं। लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि आखिर ये महिलाएं कौन हैं। हम आपको यहां बता देते हैं कि मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाओं का नाम बिंदू और कनकदुर्गा है। इनमें से बिंदू अम्मिनी पेशे से प्रोफेसर हैं।
वहीं कनकदुर्गा सिविल सप्लाइ कॉर्पोरेशन आउटलेट में असिस्टेंट मैनेजर हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिंदू और कनकदुर्गा की मुलाकात फेसबुक पर हुई थी। दोनों फेसबुक पेज नवोतन केरलम सबरीमालायीलेकु से जुड़ी हुई थीं जो कि एक फेसबुक पेज है, जिसे सबरीमाला में प्रवेश चाहने वाली महिलाओं ने बनाया है। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि इस मंदिर में प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जो महिलाओं के हक में था। इन दोनों महिलाओं ने इससे पहले 24 दिसंबर को भी मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी। इस मंदिर में प्रवेश करने वाली ये दोनों महिलाएं विवाहित हैं और दोनों के बच्चे भी हैं।
42 साल की बिंदू कानू सान्याल सीपीआई ऐक्टिविस्ट पार्टी में कुछ वक्त के लिए राज्य सचिव रह चुकी हैं। हालांकि, 10 साल से उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ रखी है। बिंदू ने कानून की पढाई में मास्टर्स डिग्री ली है इसके बाद उन्होंने कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढाने का काम किया। इसमें कालीकट यूनिवर्सिटी शामिल है। अब वे कन्नूर यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं। वह पेशे से वकील भी हैं। 24 दिसबंर को प्रवेश न मिलने पर उन्होंने भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थीं। उनकी इस धमकी के बाद उनके समर्थन में कुछ लोग सामने आए थे और मंदिर में प्रवेश कराने का भरोसा दिलाया था। बिंदू दलित एक्टिविस्ट भी हैं और लोगों के बीच लैंगिक समानता की बड़ी पैरोकार के रूप में जानी जाती हैं। बिंदू केरल के पतनमथित्ता जिले की रहने वाली हैं। मीडिया रिपोट्स की मानें तो वह अपने छात्रों में काफी लोकप्रिय हैं। बिंदू के पति हरिहरन भी कॉलेज में लेक्चरर हैं। वे भी पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं। इनकी एक 11 साल की बेटी भी है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर में प्रवेश करने वाली कनकदुर्गा का परिवार भी इस हक में नहीं था कि वह ऐसा करें। यहां तक की इस पूरी मुहिम के दौरान वह अपने परिवार के संपर्क में भी नहीं रही। आलम ये रहा है कि उनके परिवार ने ही उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करा दी थी। इसके बाद उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह सुरक्षित हैं। कनक केरल राज्य सिविल सप्लाइज कारपोरेशन में अस्सिटेंट मैनेजर हैं और वो मलप्पुरम के अंगदीपुरम में पोस्टेड हैं। वो परंपरागत तौर पर केरल के धार्मिक नायर परिवार से हैं। 24 जनवरी को जब कनक ने सबरीमाला में जाने का प्रयास किया था तो इसके बाद इनके एरोकोड स्थित घर और उनके पति के अंगदीपुरम स्थित घर पर दक्षिणपंथी समूह के लोगों ने हमला भी किया था।
गौरतलब है कि धार्मिक मान्यताओं के आधार पर इस सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। मान्यता है कि रजस्वला उम्र वाली महिलाओं को भगवान अयप्पा के सामने नहीं आना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से करीब 17 महिलाओं ने मंदिर में पहुंचने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाईं। चीन के आंखों की किरकिरी बना ताइवान आखिर कैसे बना एक स्वतंत्र राष्ट्र
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