चांद पर भारत के Vikram से 1134 Km. दूर है चीन का लैंडर, इतनी ही दूरी पर लगा है US Flag!
चांद की सतह पर इस वक्त तीन चीजों की मौजूदगी है। पहला विक्रम लैंडर दूसरा चीन का Change 4 probe और तीसरा अमेरिकी झंडा। इन तीनों में हजार किमी से अधिक की दूरी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 15 Sep 2019 08:38 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे-वैसे चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं। हालांकि इसरो को ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई लैंडर की थर्मल इमेज के जरिए उसकी पॉजीशन का पता जरूर लग गया है। बहरहाल, उम्मीदें अब भी बरकरार हैं। गौरतलब है कि 6-7 सितंबर को लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर चांद के दो क्रेटर्स मजिनस सी (Maginus C) और सिमपेलियस एन (SimpeliusN) के बीच वाले मैदान में लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर उतरना था। इन दोनों के बीच की दूरी करीब लगभग 45 किमी है। लेकिन सतह छूने से दो किमी पहले ही यह अपने मार्ग से भटक गया और इसका संपर्क इसरो के मिशन कंट्रोल से टूट गया। 9 सितंबर को ऑर्बिटर ने न सिर्फ लैंडर विक्रम की पॉजीशन का पता लगाया था बल्कि उसकी थर्मल इमेज भी खींची थी। बहरहाल, नासा ने भी विक्रम की खोज में सहायता करने की बात कही है।
Chang'e 4 probe
आपको बता दें कि चांद पर लैंडिंग को लेकर इस साल अब तक दो मिशन गए थे जिनमें भारत के अलावा एक चीन का भी था। चीन का Chang'e 4 probe 3 जनवरी 2019 को चांद की धरती पर सफलता पूर्वक उतरा था। चीन के इस लैंडर का मॉडल काफी कुछ भारत के विक्रम से काफी कुछ मिलता-जुलता था। गौरतलब है कि Chang'e 4 probe भी चांद के उस हिस्से में ही उतरा था जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। चांद का यह हिस्सा भी साउथ पोल में ही आता है। लेकिन यदि भारत के विक्रम लैंडर और चीन के Chang'e 4 probe के लैंडिंग एरिया के बीच की दूरी की बात करें तो यह काफी है।
आपको बता दें कि चांद पर लैंडिंग को लेकर इस साल अब तक दो मिशन गए थे जिनमें भारत के अलावा एक चीन का भी था। चीन का Chang'e 4 probe 3 जनवरी 2019 को चांद की धरती पर सफलता पूर्वक उतरा था। चीन के इस लैंडर का मॉडल काफी कुछ भारत के विक्रम से काफी कुछ मिलता-जुलता था। गौरतलब है कि Chang'e 4 probe भी चांद के उस हिस्से में ही उतरा था जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। चांद का यह हिस्सा भी साउथ पोल में ही आता है। लेकिन यदि भारत के विक्रम लैंडर और चीन के Chang'e 4 probe के लैंडिंग एरिया के बीच की दूरी की बात करें तो यह काफी है।
Aitken basin
गौरतलब है कि चीन का Chang'e 4 probe Aitken basin पर उतरा था जिसका डायामीटर करीब 103 किमी है। यह चांद पर पता लगाए जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा और सबसे पुराना क्रेटर है। इसके आउटर रिम को धरती से भी देखा जा सकता है। इसके बीच बना बेसिन चांद का सबसे गहरा बेसिन है। आपको बता दें कि चीन का यह लैंडर भारत के विक्रम से करीब 1134.574 की दूरी पर है। मई 2018 में चीन ने Queqiao के नाम से एक रिले सेटेलाइट लॉन्च की थी। यही सेटेलाइट Chang'e 4 के संपर्क में है और इससे मिली जानकारी पृथ्वी पर भेज रही है। यह सेटेलाइट Chinese Lunar Exploration Program के तहत लॉन्च की गई थी।
गौरतलब है कि चीन का Chang'e 4 probe Aitken basin पर उतरा था जिसका डायामीटर करीब 103 किमी है। यह चांद पर पता लगाए जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा और सबसे पुराना क्रेटर है। इसके आउटर रिम को धरती से भी देखा जा सकता है। इसके बीच बना बेसिन चांद का सबसे गहरा बेसिन है। आपको बता दें कि चीन का यह लैंडर भारत के विक्रम से करीब 1134.574 की दूरी पर है। मई 2018 में चीन ने Queqiao के नाम से एक रिले सेटेलाइट लॉन्च की थी। यही सेटेलाइट Chang'e 4 के संपर्क में है और इससे मिली जानकारी पृथ्वी पर भेज रही है। यह सेटेलाइट Chinese Lunar Exploration Program के तहत लॉन्च की गई थी।
अपोलो 11
16 जुलाई 1969 को अपोलो 11 ने चांद की धरती को पहली बार छुआ था। इसी दौरान पहली बार मानव के कदम चांद की धरती पर पड़े थे। अपोलो 11 जिस जगह पर उतरा था उसको Mare Tranquillitatis के नाम से जाना जाता है। चांद की धरती पर उतरे नील आर्मस्ट्रांग ने यहीं पर अमेरिका का झंडा लगाया था। जिस जगह पर भारत का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा है वह जगह इससे 1970 किमी है। जानें- आखिर क्या है भारत के प्रोजेक्ट 75 और प्रोजेक्ट 17, जिस पर खर्च हो रहे हैं खरबों
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