Move to Jagran APP

Ayodhya Verdict: जानें आखिर इलाहाबाद हाईकोर्ट से कितना अलग है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्‍या मामले पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए फैसले से काफी अलग है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 10 Nov 2019 09:12 AM (IST)
Hero Image
Ayodhya Verdict: जानें आखिर इलाहाबाद हाईकोर्ट से कितना अलग है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से बिल्‍कुल उलट फैसला दिया है। इस फैसले का सभी पक्षों ने स्‍वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक हजार से अधिक पन्‍नों में लिखा गया था। इस आईए बिंदुवार जानते हैं कैसे अलग है ये फैसला। 

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरी 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्‍सों में बांटा था। यह जमीन एक समान रूप से निर्मोही अखाड़े, रामलला विराजमान और सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड में बांटी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकार निर्मोही अखाड़े की याचिका खारिज करते हुए उसको मालिकाना कब्‍जे से बाहर कर दिया। वहीं शिया बार्ड की भी याचिका को खारिज कर दिया। 
  • कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए तीन माह में एक ट्रस्‍ट बनाने का आदेश दिया है, जिसमें निर्मोही अखाड़ा भी शामिल होगा। हाईकोर्ट ने जहां निर्मोही अखाड़े को सेवादार माना था वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उसको यह हक भी नहीं दिया है।
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश में एक समान रूप से एएसआाई की रिपोर्ट को आधार बनाया गया।सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उलट पूरी जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दिया जबकि सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को मस्जिद के लिए राज्‍य सरकार से अलग पांच एकड़ की जमीन मुहैया करवाने का आदेश दिया है। 
  • यह पूरा मामला 2.77 एकड़ की विवादित जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा था जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस जमीन से अलग पांच एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया करवाने की बात कहकर सांप्रदायिक सौहार्द को कायम करने की पूरी कोशिश की है। 
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गर्भगृह ही भगवान राम का जन्‍मस्‍थान है। 
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना था कि मंदिर का निर्माण मुगल शासक बाबर ने करवाया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद का निर्माण उसके सिपाहसलार मीर बाकी ने करवाया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने माना कि विवादित ढांचे के नीचे मंदिर मौजूद था। कोर्ट का कहना था महज आस्‍था से ही मालिकाना हक देना सही नहीं इसके लिए सुबूत जरूरी हैं। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे को गिराए जाने को कानून का उल्‍लंघन बताया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष इस पूरी जमीन पर एकाधिकार के अपने दावे को साबित करने में नाकाम रहा है। 
  • हाईकोर्ट का फैसला जहां बहुमत के आधार पर सुनाया गया था वहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकमत से लिया गया था। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट उस आदेश को पलट दिया जिसके आधार पर सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को विवादित जमीन के एक तिहाई भाग का मालिकाना हक दिया गया था। 
यह भी पढ़ें:- 

Ayodhya Verdict: निर्मोही अखाड़े का दावा सुप्रीम कोर्ट में खारिज, जानें इसके बारे में सबकुछ 
नवाज को मिला जीवनदान या इमरान ने सेना के साथ मिलकर खेली है नई चाल! 
जानें- आखिर ईरान के उठाए इस एक कदम से क्‍यों डरी है आधी दनिया, हो रही अपील