14 साल पहले आयी इस आपदा ने छोटे कर दिए दिन और बदल दिया दुनिया का नक्शा
भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन कर सुनामी की सूचना देने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रणाली स्थापित कर दी है। इससे भविष्य में सुनामी पर नजर रख पहले अलर्ट किया जा सकेगा।
By Amit SinghEdited By: Updated: Wed, 26 Dec 2018 04:59 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 14 साल पहले, 25 दिसंबर 2004, दिन शनिवार, लोग देर रात तक क्रिसमस का जश्न मना चैन की नींद सो रहे थे। अगले दिन 26 दिसंबर को रविवार का अवकाश होने के कारण क्रिसमस का जश्न काफी धूमधाम से देर रात तक चला था। वीकेंड पर क्रिसमस और फिर नए साल का जश्न मनाने के लिए काफी संख्या में टूरिस्ट भारतीय समुद्री किनारों पर जुटे थे। ज्यादातर जगहों पर रविवार को भी क्रिसमस का धमाकेदार जश्न होना था, लेकिन इससे ठीक पहले भारतीय समयानुसार सुबह 6:28 बजे खूबसूरत समुद्री किनारों ने विकराल रूप धारण कर लिया।
उस वक्त ज्यादातर लोग अपने होटलों व घरों में सो रहे थे। जो लोग जगे थे, वो भी समुद्र में उठ रही 30 मीटर (100 फीट) ऊंची लहरों को देखकर ठिठक गए। इससे पहले की लोग कुछ समझ पाते सुनामी की विशाल लहरों ने भारत समेत हिंद महासागर किनारे के 14 देशों में कई किलोमीटर दूर तक तबाही फैला दी थी। सीधे शब्दों में समझा जाए तो तटीय इलाकों में समुद्र कई किलोमीटर अंदर तक पांव पसार चुका था। कुछ पल में ही बड़े-बड़े पुल, घर, इमारतें, गाड़ियां, लोग, जानवर और पेड़ सब समुंद्र की इन लहरों में तिनकों की तरह तैरने लगे थे।
करीब 150 साल बाद, 26 दिसंबर 2004 को आज ही के दिन इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में लगभग 9.0 की तीव्रता से भूकंप के कई झटके लगने से हिंद महासागर में उठी सुनामी से दुनिया भर में 2.5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसमें से अकेले भारत में 16,279 लोग मारे गए या लापता हो गए थे। आपदा इतनी बड़ी थी कि मृतकों के शव कई दिनों तक बरामद किए जाते रहे। अब भी बहुत से लोग लापता हैं, जिनका उस आपदा के बाद से कुछ पता नहीं है। 14 साल पहले आज ही के दिन समुद्र के रास्ते भीषण तबाही के रूप में आई सुनामी के जख्म अब भी हरे हैं। सुनामी प्रभावित एरिया के लोग आज भी उस हादसे को याद कर कांप उठते हैं। तबसे 26 दिसंबर की इस तारीख को प्राकृतिक आपदा सुनामी के लिए भी जाना जाता है।
सुमात्रा से ऐसे भारत पहुंची थी सुनामी
सुमात्रा में समुंद्र के नीचे दो प्लेटों में आई दरारें खिसकने से उत्तर से दक्षिण की ओर पानी की लगभग 1000 किलोमीटर लंबी दीवार सी खड़ी हो गई थी। सुनामी भूकंप के केंदर के चारों तरफ नहीं फैली, इसका रुख पूर्व से पश्चिम की तरफ था। भूकंप के पहले घंटे में 15 से 20 मीटर की लहरों ने सुमात्रा के उत्तरी तट को बर्बाद कर दिया। इसके साथ आचेह प्रांत का तटीय इलाका भी पूरी तरह से समुंद्री पानी में डूब गया। इसके कुछ देर बाद भारत के निकोबार व अंडमान द्वीप पर भी सुनामी लहरों ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। इसके बाद पूर्व की तरह बढ़ रही सुनामी ने थाईलैंड और बर्मा के तटों पर तबाही मचा दी। शुरूआती झटकों के दो घंटे में पश्चिम की तरफ बढ़ती सुनामी लहरों ने श्रीलंका और दक्षिण भारत को अपनी चपेट में ले लिया था। तब तक प्रभावित देशों में समाचार एजेंसियो ने सुनामी से तबाही की रिपोर्ट देनी शुरू कर दी थी, लेकिन इससे निपटने की न तो की तैयारी थी औ न ही सूचनाओं के आदान-प्रदान का कोई तंत्र था। यही वजह है कि मालद्वीप और सेशल्स के तटों पर करीब साढ़े तीन घंटे बाद सुनामी ने दस्तक दी, लेकिन वह अलर्ट नहीं थे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2004 में आयी सुनामी में 9000 परमाणु बमों जितनी शक्ति थी। भारत में 2004 की सुनामी से प्रभावित क्षेत्र क्या है सुनामी
समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज हलचल (भूकंप या ज्वालामुखीय गतिविधि) होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरें उठना शुरू होती हैं, जो जबरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ती हैं। इन्हीं लहरों को सूनामी कहते हैं। दरअसल सूनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है। सू का अर्थ है समुद्र तट (बंदरगाह) औऱ नामी का अर्थ है लहरें। पहले सूनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में लिया जाता रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल समुद्र में लहरें चाँद सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती हैं, लेकिन सूनामी लहरें इन आम लहरों से अलग होती हैं।
क्या है प्रभाव
सुनामी लहरें समुद्री तट पर भीषण तरीके से हमला करती हैं और जान-माल का बुरी तरह नुक़सान कर सकती है। इनकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है। जिस तरह वैज्ञानिक भूकंप के बारे में भविष्य वाणी नहीं कर सकते वैसे ही सूनामी के बारे में भी पहले से अंदाज़ा नहीं लगाया सकता। 2004 के बाद सूनामी का अनुमान लगाने पर वैज्ञानिकों ने काफी काम किया। वैज्ञानिक अब तक के रिकॉर्ड को देखकर और महाद्वीपों की स्थिति को देखकर कुछ घंटे पहले इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहाँ-जहाँ मिलती है वहाँ के आसपास के समुद्र में सूनामी का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है। बच सकती थी लोगों की जान
भारतीय प्रायद्वीप की टेक्टोनिक प्लेटों के बीच पिछले करीब 150 साल से दबाव बन रहा था। ये भूकंप उसी का नतीजा था। आज तक के इतिहास में ये सबसे विनाशकारी सुनामी थी। इससे इंडोनेशिया, थाईलैंड, उत्तर पश्चिम में मलेशिया और हजारों किलोमीटर दूर बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, मालद्वीप, पूर्वी अफ्रीका में सोमालिया आसपास के देशों में भारी तबाही मची थी। हिंद महासागर में 1883 के बाद कोई बड़ी सुनामी नहीं आई थी। इसलिए इंडियन ओसियन में 2004 की सुनामी तक कोई सुनियोजित अलर्ट सेवा स्थापित नहीं की गई थी। अगर अलर्ट सेवा होती तो इस विनाश से करीब तीन घंटे पहले लोगों को अलर्ट कर सुरक्षित जगहों पर भेजा जा सकता था। ऐसे में माल की हानि तो होती लेकिन लाखों लोगों को बेमौत मरने से बचाया जा सकता था। इस हादसे के बाद भारत सरकार ने यहां अलर्ट सेवा स्थापित कर दी है।दुनिया में सुनामी का विनाशकारी इतिहास समय स्थान असर20 जनवरी 1607 - ब्रिस्टल चैनल, इंग्लैंड - हजारों लोग डूबे थे। काफी घर व गांव बह गए थे।
वर्ष 1896 - जापान - सानरीकू गांव पूरा नष्ट। 26,000 लोग बह गए थे।
वर्ष 1946 - एलयूटीयन टापू - हवाई के पास तबाही में 159 लोग मारे गए।
वर्ष 1958 - लिटूया खाड़ी, अलास्का - इस दौरान अब तक की सबसे ऊंची (500 मीटर) की लहरें उठी थीं,
लेकिन फैलाव क्षेत्र कम होने से मात्र दो लोग मारे गए थे।
16 अगस्त 1976 - मोरो गल्फ, फिलीपीन्स - कोटाबाटो शबर में 5000 लोग मारे गए थे।
वर्ष 1983 - पश्चिमी जापान - इसमें 104 लोग मारे गए थे।
17 जुलाई 1998 - पापुआ न्यू गुनिया - यहां 2200 लोगों की मौत। अरोप व वारापू गांव पूरी तरह से नष्ट। सुनामी की अन्य घटनाएं
वर्ष स्थान
1524 डाबोल के पास महाराष्ट्र।
1762 म्यामांर, अराकान कोस्ट।
1819 गुजरात, रन ऑफ कच्छ।
1847 ग्रेट निकोबार टापू पर।
1881 निकोबार द्वीप पर।
1883 कराकोटा ज्वालामुखी फटने से आयी सुनामी।
1945 बलूचिस्तान में मेकरान कोस्ट के पास।सुनामी ने बदल दी दुनिया की तस्वीर
2004 में हिंद महासागर में आयी सुनामी ने न केवल लाखों लोगों की जान ली, बल्कि दुनिया का नक्शा भी बदलकर रख दिया है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार सुनामी की अपार ताकत से पृथ्वी का आकार थोड़ा बदल गया है। कुछ प्रायद्वीप अपने स्थान से कई-कई मीटर तक खिसक गए हैं। इससे दुनिया का नक्शा थोड़ा बदल गया है। टेक्टोनिक प्लेटों में टक्कर से हिंद महासागर का तल इंडोनेशिया की तरफ 15 मीटर खिसक गया है। इससे सुमात्रा के भूगोल में भी थोड़ा परिवर्तन हुआ है।वैज्ञानिकों के अनुसार इस भूकंप से पृथ्वी भी अपनी धुरी से थोड़ा खिसक गई है। इससे दिन की पूरी अवधि में कुछ सेकेंड की कमी आ गई है। अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार सुनामी के कारण उत्तरी ध्रुव भी कुछ सेंटीमीटर खिसक गया है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर बिल मैकगायर भी मानते हैं कि सुमात्रा निश्चित रूप से अपनी जगह से खिसक गया है। ये प्रायद्वीप न केवल खिसके हैं, बल्कि समुद्र तल से इनकी ऊंचाई पर भी फर्क पड़ा है। नासा की जेट प्रोपलसन लेबोरेटरी में वैज्ञानिक रिचर्ड ग्रास कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी से एक इंच खिसक गई है।प्रमुख देशों पर सुनामी-2004 का असर
देश मृत या लापता बेघर लोग क्षतिग्रस्त घर नुकसान
भारत 16,279 7,30,000 1,57,393 2.1 अरब डॉलर
श्रीलंका 35,322 5,16,150 1,19,562 2.0 अरब डॉलर
मालद्वीप 108 11,231 6000 0.4 अरब डॉलर
पूर्वी अफ्रीका 303 2,320 ----- 0.2 अरब डॉलर
म्यांमार 61 3,200 1300 -------
थाईलैंड 8,212 6,000 4800 0.5 अरब डॉलर
मलेशिया 74 8,000 1500 --------
इंडोनेशिया 1,65,945 5,72,926 1,79,312 5.5 अरब डॉलरयह भी पढ़ेंः ईसाइयों, मुस्लिमों और यहूदियों के लिए बड़ा आस्था का केंद्र है ये जगह, लेकिन रहता है विवाद
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सुमात्रा में समुंद्र के नीचे दो प्लेटों में आई दरारें खिसकने से उत्तर से दक्षिण की ओर पानी की लगभग 1000 किलोमीटर लंबी दीवार सी खड़ी हो गई थी। सुनामी भूकंप के केंदर के चारों तरफ नहीं फैली, इसका रुख पूर्व से पश्चिम की तरफ था। भूकंप के पहले घंटे में 15 से 20 मीटर की लहरों ने सुमात्रा के उत्तरी तट को बर्बाद कर दिया। इसके साथ आचेह प्रांत का तटीय इलाका भी पूरी तरह से समुंद्री पानी में डूब गया। इसके कुछ देर बाद भारत के निकोबार व अंडमान द्वीप पर भी सुनामी लहरों ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। इसके बाद पूर्व की तरह बढ़ रही सुनामी ने थाईलैंड और बर्मा के तटों पर तबाही मचा दी। शुरूआती झटकों के दो घंटे में पश्चिम की तरफ बढ़ती सुनामी लहरों ने श्रीलंका और दक्षिण भारत को अपनी चपेट में ले लिया था। तब तक प्रभावित देशों में समाचार एजेंसियो ने सुनामी से तबाही की रिपोर्ट देनी शुरू कर दी थी, लेकिन इससे निपटने की न तो की तैयारी थी औ न ही सूचनाओं के आदान-प्रदान का कोई तंत्र था। यही वजह है कि मालद्वीप और सेशल्स के तटों पर करीब साढ़े तीन घंटे बाद सुनामी ने दस्तक दी, लेकिन वह अलर्ट नहीं थे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2004 में आयी सुनामी में 9000 परमाणु बमों जितनी शक्ति थी। भारत में 2004 की सुनामी से प्रभावित क्षेत्र क्या है सुनामी
समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज हलचल (भूकंप या ज्वालामुखीय गतिविधि) होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरें उठना शुरू होती हैं, जो जबरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ती हैं। इन्हीं लहरों को सूनामी कहते हैं। दरअसल सूनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है। सू का अर्थ है समुद्र तट (बंदरगाह) औऱ नामी का अर्थ है लहरें। पहले सूनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में लिया जाता रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल समुद्र में लहरें चाँद सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती हैं, लेकिन सूनामी लहरें इन आम लहरों से अलग होती हैं।
दुनिया में 2004 की सुनामी से प्रभावित क्षेत्र
क्या है प्रभावसुनामी लहरें समुद्री तट पर भीषण तरीके से हमला करती हैं और जान-माल का बुरी तरह नुक़सान कर सकती है। इनकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है। जिस तरह वैज्ञानिक भूकंप के बारे में भविष्य वाणी नहीं कर सकते वैसे ही सूनामी के बारे में भी पहले से अंदाज़ा नहीं लगाया सकता। 2004 के बाद सूनामी का अनुमान लगाने पर वैज्ञानिकों ने काफी काम किया। वैज्ञानिक अब तक के रिकॉर्ड को देखकर और महाद्वीपों की स्थिति को देखकर कुछ घंटे पहले इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहाँ-जहाँ मिलती है वहाँ के आसपास के समुद्र में सूनामी का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है। बच सकती थी लोगों की जान
भारतीय प्रायद्वीप की टेक्टोनिक प्लेटों के बीच पिछले करीब 150 साल से दबाव बन रहा था। ये भूकंप उसी का नतीजा था। आज तक के इतिहास में ये सबसे विनाशकारी सुनामी थी। इससे इंडोनेशिया, थाईलैंड, उत्तर पश्चिम में मलेशिया और हजारों किलोमीटर दूर बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, मालद्वीप, पूर्वी अफ्रीका में सोमालिया आसपास के देशों में भारी तबाही मची थी। हिंद महासागर में 1883 के बाद कोई बड़ी सुनामी नहीं आई थी। इसलिए इंडियन ओसियन में 2004 की सुनामी तक कोई सुनियोजित अलर्ट सेवा स्थापित नहीं की गई थी। अगर अलर्ट सेवा होती तो इस विनाश से करीब तीन घंटे पहले लोगों को अलर्ट कर सुरक्षित जगहों पर भेजा जा सकता था। ऐसे में माल की हानि तो होती लेकिन लाखों लोगों को बेमौत मरने से बचाया जा सकता था। इस हादसे के बाद भारत सरकार ने यहां अलर्ट सेवा स्थापित कर दी है।दुनिया में सुनामी का विनाशकारी इतिहास समय स्थान असर20 जनवरी 1607 - ब्रिस्टल चैनल, इंग्लैंड - हजारों लोग डूबे थे। काफी घर व गांव बह गए थे।
वर्ष 1896 - जापान - सानरीकू गांव पूरा नष्ट। 26,000 लोग बह गए थे।
वर्ष 1946 - एलयूटीयन टापू - हवाई के पास तबाही में 159 लोग मारे गए।
वर्ष 1958 - लिटूया खाड़ी, अलास्का - इस दौरान अब तक की सबसे ऊंची (500 मीटर) की लहरें उठी थीं,
लेकिन फैलाव क्षेत्र कम होने से मात्र दो लोग मारे गए थे।
16 अगस्त 1976 - मोरो गल्फ, फिलीपीन्स - कोटाबाटो शबर में 5000 लोग मारे गए थे।
वर्ष 1983 - पश्चिमी जापान - इसमें 104 लोग मारे गए थे।
17 जुलाई 1998 - पापुआ न्यू गुनिया - यहां 2200 लोगों की मौत। अरोप व वारापू गांव पूरी तरह से नष्ट। सुनामी की अन्य घटनाएं
वर्ष स्थान
1524 डाबोल के पास महाराष्ट्र।
1762 म्यामांर, अराकान कोस्ट।
1819 गुजरात, रन ऑफ कच्छ।
1847 ग्रेट निकोबार टापू पर।
1881 निकोबार द्वीप पर।
1883 कराकोटा ज्वालामुखी फटने से आयी सुनामी।
1945 बलूचिस्तान में मेकरान कोस्ट के पास।सुनामी ने बदल दी दुनिया की तस्वीर
2004 में हिंद महासागर में आयी सुनामी ने न केवल लाखों लोगों की जान ली, बल्कि दुनिया का नक्शा भी बदलकर रख दिया है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार सुनामी की अपार ताकत से पृथ्वी का आकार थोड़ा बदल गया है। कुछ प्रायद्वीप अपने स्थान से कई-कई मीटर तक खिसक गए हैं। इससे दुनिया का नक्शा थोड़ा बदल गया है। टेक्टोनिक प्लेटों में टक्कर से हिंद महासागर का तल इंडोनेशिया की तरफ 15 मीटर खिसक गया है। इससे सुमात्रा के भूगोल में भी थोड़ा परिवर्तन हुआ है।वैज्ञानिकों के अनुसार इस भूकंप से पृथ्वी भी अपनी धुरी से थोड़ा खिसक गई है। इससे दिन की पूरी अवधि में कुछ सेकेंड की कमी आ गई है। अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार सुनामी के कारण उत्तरी ध्रुव भी कुछ सेंटीमीटर खिसक गया है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर बिल मैकगायर भी मानते हैं कि सुमात्रा निश्चित रूप से अपनी जगह से खिसक गया है। ये प्रायद्वीप न केवल खिसके हैं, बल्कि समुद्र तल से इनकी ऊंचाई पर भी फर्क पड़ा है। नासा की जेट प्रोपलसन लेबोरेटरी में वैज्ञानिक रिचर्ड ग्रास कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी से एक इंच खिसक गई है।प्रमुख देशों पर सुनामी-2004 का असर
देश मृत या लापता बेघर लोग क्षतिग्रस्त घर नुकसान
भारत 16,279 7,30,000 1,57,393 2.1 अरब डॉलर
श्रीलंका 35,322 5,16,150 1,19,562 2.0 अरब डॉलर
मालद्वीप 108 11,231 6000 0.4 अरब डॉलर
पूर्वी अफ्रीका 303 2,320 ----- 0.2 अरब डॉलर
म्यांमार 61 3,200 1300 -------
थाईलैंड 8,212 6,000 4800 0.5 अरब डॉलर
मलेशिया 74 8,000 1500 --------
इंडोनेशिया 1,65,945 5,72,926 1,79,312 5.5 अरब डॉलरयह भी पढ़ेंः ईसाइयों, मुस्लिमों और यहूदियों के लिए बड़ा आस्था का केंद्र है ये जगह, लेकिन रहता है विवाद
यह भी पढ़ेंः अवैध शिकार का गढ़ रहा है भारत, अंतरराष्ट्रीय तस्करों से लेकर सेलिब्रिटी तक हैं सक्रिय
यह भी पढ़ेंः 107 साल पहले गाया गया था राष्ट्रगान ‘जन गण मन’, जानें- क्या है इसका इतिहास