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India's Agricultural Revolution: कृषि उत्पादों में हम आत्मनिर्भर और दूसरे देश अब हम पर निर्भर

Indias Agricultural Revolution भारत इस साल 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। बीते कई सालों में भारत ने कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है और नई ऊंचाइयों को छुआ है। आज के समय में भारत अन्य देशों को भी अनाज की आपूर्ति करने में सक्षम है। इस खबर में जानिए कि कैसे बीते सालों में भारत ने कृषि क्षेत्र में निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए।

By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 11 Aug 2023 04:11 PM (IST)
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कृषि के क्षेत्र में लगातार आसमान छू रहा हमारा देश
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। India's Agricultural Revolution: मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती.... ये केवल गीत नहीं बल्कि हमारे देश का गुणगान भी है। हमारा देश जिसे अतीत में सोने की चिड़िया कहा जाता था, उसे कई विदेशी आक्रांताओं ने लूटा। शताब्दियों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 की सुबह जो सूर्योदय हुआ वो स्वतंत्र भारत का उदय था। तब से आज तक हमारा देश लगातार आगे बढ़ रहा है।

इस साल हम अपने स्वतंत्रता दिवस की 77वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। पिछले 76 सालों में भारत ने विकास के कई क्षेत्रों में ऐतिहासिक और प्रशंनीय मुकाम हासिल किए हैं। इन्हीं में से एक है कृषि। यहां हम आपको कृषि एवं उससे संबंधित कुछ विशेष क्षेत्रों में देश की प्रगति के बारे बताने जा रहे हैं।

यहां हम आपको कृषि, मत्सय पालन, दुग्ध उत्पादन और निर्यात और अन्य के बारे में जानकारी देंगे।

क्यों कहा जाता है हमारे देश को कृषि प्रधान देश?

कृषि और भारत का संबंध हमेशा से रहा है। कृषि भारत की सभ्यता, संस्कृति और विरासत का आधार है। चाहे मुगल रहे हो या अंग्रेज इन्होंने भारतीय कृषि उत्पादों का भरपूर दोहन किया है। मुगल और अंग्रेज भारत से कपास, फल, दालें, रूई और सामान को निर्यात करते थे।

भारत की जनसंख्या का एक बड़ा भाग आज भी खेती करके अपना जीवन यापन करता है। किसानों की स्थिति को और अधिक मजबूत करने के लिए भारत सरकार कई तरह की योजनाओं को लेकर आई है। 

कृषि क्षेत्र में देश में चली ये क्रांतियां जिन्होंने भारत को बनाया दूसरे देशों के लिए एक मिसाल....

हरित क्रांति (Green Revolution)

भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए साल 1966-67 में हरित क्रांति की शुरुआत की गई थी, जिससे गेहूं के उत्पादन में भारी बढ़ोत्तरी हुई। जिससे आज भारत दुनिया के कई देशों को गेहूं निर्यात करता है। हरित क्रांति का जनक एमएस स्वामीनाथन को माना जाता है।

श्वेत क्रांति (White Revolution)

इस क्रांति को दुग्ध क्रांति या श्वेत क्रांति भी कहते हैं। ये क्रांति भारत को दुग्ध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरु हुई थी। इस क्रांति की शुरूआत 1970 में की गई थी। डॉ. वर्गिज कुरियन को इस क्रांति का जनक माना जाता है। आज के समय में हम दुग्ध उत्पादन में नंबर वन हैं।

नीली क्रांति (Blue Revolution)

नीली क्रांति मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए की गई थी, जिससे इस क्षेत्र में मछलियों के उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके। यह पंचवर्षीय योजना 1985 से 1990 के बीच शुरू हुई थी। इसकी वजह से देश में मछली पालन, प्रजनन, विपणन और निर्यात में बहुत सुधार हुआ।

पीली क्रांति (Yellow Revolution)

देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए पीली क्रांति की शुरूआत की गई। तिलहन के लिए ही मस्टर्ड मिशन भी शुरू किया गया है, तिलहन में 9 फसलों सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी, तिल, राई, सरसों, अलसी और कुसुम को शामिल किया जाता है। हालांकि तिलहन उत्पादन में देश आज भी पीछे है।

लाल क्रांति (Red Revolution)

देश में मांस और टमाटर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लाल क्रांति की शुरुआत हुई थी। जबकि झींगा मछली उत्पादन में वृद्धि के लिए गुलाबी क्रांति शुरू की गई थी।

गोल क्रांति

गोल क्रांति की शुरूआत देश में आलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए की गई थी। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और रोग रोधी किस्मों से भारत में आलू क्रांति संभव हुई। चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक भारत ही है।

सुनहरी क्रांति

सुनहरी क्रांति की शुरुआत फल उत्पादन से संबंधित है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन 2005-06 में फलों के बगीचों, बीजों के विकास के लिए शुरू किया गया था। भारत फल उत्पादन में लगातार आगे बढ़ रहा है।

हरित सोना क्रांति

हरित सोना क्रांति बांस उत्पादन के लिए की गई थी। भारत में बांस के सर्वाधिक वन हैं, देश में बांस की 136 किस्में हैं। इनमें से 89 किस्में पूर्वोत्तर क्षेत्र में मिलती हैं। बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए अब सरकार ने इसे घास की श्रेणी में डाल दिया है।

फूड प्रोसेसिंग - ‘द सनराइज सेक्टर’

(पिछले 5 वर्षों में औसत वार्षिक वृद्धि दर (AAGR) 8.3%)

  • भारत का खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र आर्थिक नीतियों और आकर्षक राजकोषीय प्रोत्साहनों को आगे बढ़ाते हुए खाद्य खुदरा क्षेत्र में विकास के साथ निवेश के अवसर प्रदान करता है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) के माध्यम से, भारत सरकार भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है।
  • भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है और इसका उत्पादन 2025-26 तक 535 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की भारतीय किसानों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उपभोक्ताओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) इसके लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है।
  • सभी पंजीकृत फैक्ट्री क्षेत्र में उत्पन्न रोजगार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (food processing industry) की हिस्सेदारी 12.38% (at 3-digit of NIC classification) पर है, जिसमें लगभग 1.93 मिलियन लोग शामिल हैं।
  • NSSO की 73वें दौर की रिपोर्ट के अनुसार अपंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र (Unregistered food processing sector) 5.1 मिलियन श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है।
  • भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (food processing industry) बनाने वाले प्रमुख क्षेत्र अनाज, चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थ और डेयरी उत्पाद हैं।
  • पीएम किसान योजना के तहत, 41 मेगा फूड पार्क, 376 कोल्ड चेन परियोजनाएं, 79 कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर, खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमताओं के निर्माण/विस्तार (CEFPPC) के तहत 489 प्रस्ताव, 61 बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज परियोजनाओं का निर्माण, 52 ऑपरेशन ग्रीन परियोजनाएं, 183 देशभर में खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है।
  • भारत में खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing industry) उद्योग के प्रमुख उप-खंड (key sub-segments) फल और सब्जियां, पोल्ट्री और मांस प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, खाद्य खुदरा, डेयरी उद्योग आदि हैं।

दुग्ध उत्पादन में भारत पहले स्थान पर

  • साल 2021-22 में कुल बागवानी उत्पादन 342.33 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो साल 2020-21 (अंतिम) की तुलना में लगभग 7.73 मिलियन टन (2.3% की वृद्धि) की वृद्धि दर्शाता है।
  • भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और 2021-22 के दौरान देश में कुल दूध उत्पादन 221.06 मिलियन टन है।
  • साल 2021-22 में दूध उत्पादन में 5.29% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई है।
  • 2021-22 में देश में कुल अंडा उत्पादन 129.60 Bn है जो पिछले साल की तुलना में 6.19% अधिक है।
  • 2021-22 में मछली उत्पादन 16.24 मिलियन टन है, जिसमें समुद्री मछली उत्पादन 4.12 मिलियन टन और एक्वाकल्चर से 12.12 मिलियन टन शामिल है।
  • भारत में ऑनलाइन किराना रिटेल (Online grocery retail ) में 50% से अधिक की CAGR देखी गई है और 2025 तक 10 अरब डॉलर से 12 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
  • पिछले तीन सालों के दौरान भारत से समुद्री खाद्य उत्पादों का निर्यात 6679 डॉलर से बढ़ गया है।

मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर

  • भारत ने वित्त साल 2022-23 में मत्स्य पालन और मत्स्य उत्पादों का 8.09 बिलियन डॉलर मूल्य का अब तक का सबसे अधिक 1.73 MMT निर्यात दर्ज किया।
  • प्रोटीन के किफायती गुणवत्ता वाले स्रोत की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र (fisheries and aquaculture sector) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 8% हिस्सा है और देश के GVA और कृषि GVA में क्रमशः 1.1% और 6.72% से अधिक का योगदान देता है।
  • वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 के बीच मात्रा के संदर्भ में 26.73% की निर्यात वृद्धि के साथ भारत मछली और मत्स्य उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। रोजगार के मामले में, सनराइज सेक्टर भारत में 28 मिलियन से अधिक लोगों की आजीविका का समर्थन करता है।
  • मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ाने के लिए नीली क्रांति का आगाज किया है जिसके लिए मंत्रालय ने एक प्रमुख योजना प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) लागू की है, जिसमें अब तक का सबसे अधिक निवेश किया गया है।
  • जानकारी के मुताबिक इसमें सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 साल के लिए 20,050 करोड़ निवेश किए गए हैं।
  • मछली उत्पादों के लिए भारत के शीर्ष 5 निर्यात गंतव्य (export destinations) संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, जापान और मध्य पूर्व हैं।
  • मत्स्य पालन क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2013-14 से 2021-22 तक उत्कृष्ट 8% औसत वार्षिक वृद्धि दर का प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 2021-22 में 16.25 MMT के रिकॉर्ड मछली उत्पादन हुआ है।
  • वित्त वर्ष 2021-2022 में मछली उत्पादन का 75% अंतर्देशीय मत्स्य पालन (inland fisheries) द्वारा योगदान दिया गया था और शेष 25% समुद्री मत्स्य पालन (marine fisheries) द्वारा योगदान दिया गया था।
  • भारत में मछली उत्पादन में 22 गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है, जो 1950-51 में 0.75 MMT से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 16.25 MMT हो गई है।
  • यह क्षेत्र 28 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
  • भारत वित्त वर्ष 2022-23 में 8.09 अरब डॉलर के निर्यात के साथ चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक देश है।
  • प्रति व्यक्ति मछली की खपत 6.31 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है।

भारत के सी-फूड जो होते हैं निर्यात 

  • फ्रोजन झींगा, 5.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई (वित्तीय वर्ष 2022-23) - भारत का शीर्ष समुद्री खाद्य निर्यात होने वाला खाद्य पदार्थ है।
  • बढ़ती जनसंख्या के साथ, पोषण आहार की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा संसाधनों पर तनाव काफी बढ़ रहा है। प्रोटीन की इस बढ़ती मांग को पूरा करने में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र (Fisheries and Aquaculture sector) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • वित्त वर्ष 2021-22 में यह क्षेत्र 16.25 MMT के रिकॉर्ड मछली उत्पादन तक पहुंच गया है।
  • अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन (Inland Fisheries production) वित्त वर्ष 21-22 के दौरान 12.12 MMT हुआ।
  • समुद्री मत्स्य (Marine Fisheries production ) उत्पादन वित्त वर्ष 21-22 में 4.13 MMT हुआ।
  • वित्त वर्ष 2021-2022 के दौरान मत्स्य पालन (ornamental fisheries) का 4.54 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया।
  • मत्स्य पालन (Ornamental Fisheries) के लिए शीर्ष निर्यात स्थान: थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, हांगकांग, चीन, जॉर्डन, ताइवान हैं।
  • मत्स्य पालन (Ornamental Fisheries) के विकास के लिए पहचाने जाने वाले संभावित राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, असम और मणिपुर हैं।
  • 1,547 अधिसूचित लैंडिंग केंद्र और 193 मछली लैंडिंग केंद्र चालू किए गए हैं।
  • 466,973.27 मीट्रिक टन क्षमता वाले 682 कोल्ड स्टोरेज।
  • 23,654.80 मीट्रिक टन क्षमता वाले 44 प्रतिशत भंडार।
  • 38,895.92 मीट्रिक टन क्षमता वाले 88 सूखी मछली भंडारण।
  • 35,830.63 मीट्रिक टन क्षमता वाले 622 प्रसंस्करण संयंत्र।
  • 67 छोटे मछली पकड़ने वाले बंदरगाह, 7 प्रमुख मछली पकड़ने वाले बंदरगाह चालू किए गए हैं।

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र

  • वित्त वर्ष 2022 में कुल अर्थव्यवस्था में कृषि और संबद्ध क्षेत्र द्वारा जोड़े गए सकल मूल्य का हिस्सा 18.3% है।
  • वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले 9 महीनों में कृषि निर्यात 13% बढ़कर $ 19.69 बिलियन हो गया है।
  • अप्रैल-दिसंबर 2022 में गेहूं का निर्यात 1508 मिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो अप्रैल-दिसंबर 2021 में 1452 मिलियन डॉलर के पिछले उच्च स्तर से अधिक है।
  • कृषि क्षेत्र में वृद्धि तेज रहने की संभावना है, जिसे रबी की बुआई में अच्छी प्रगति का समर्थन प्राप्त है, जिसमें बुआई क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।
  • राजकोषीय नीति वक्तव्यों में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय कृषि क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि होने का अनुमान है।
  • घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा, भारत हाल के वर्षों में कृषि उत्पादों के शुद्ध निर्यातक के रूप में भी तेजी से उभरा है।
  • वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात 50.2 अरब डॉलर तक पहुंचने के साथ देश में कुल ख़रीफ़ खाद्यान्न उत्पादन 149.9 मीट्रिक टन अनुमानित है।
  • 2022-23 के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 3235.54 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 79.38 LMT अधिक है।
  • 2022-23 के दौरान चावल का उत्पादन (रिकॉर्ड) 1308.37 लाख टन होने का अनुमान है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 13.65 लाख टन अधिक है।
  • गेहूं का उत्पादन (रिकॉर्ड) 1121.82 LMT होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 44.40 LMT अधिक है।
  • 2022-23 के दौरान देश में मक्के का उत्पादन (रिकॉर्ड) 346.13 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के 337.30 लाख टन के उत्पादन से 8.83 लाख टन अधिक है।

  • डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिक्स (DGCI&S) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-दिसंबर) के 9 महीनों में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों (processed food products) के निर्यात में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • DGCI&S द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-जनवरी) में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों (processed food products) का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में 6.04% बढ़ गया है।
  • अप्रैल-दिसंबर, 2021 में ताजे फलों का निर्यात 1078 मिलियन डॉलर का हुआ, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 के इसी महीनों में बढ़कर 1121 मिलियन डॉलर हो गया।
  • प्रसंस्कृत एफएंडवी (Exports of processed F&V) का निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 के 9 महीनों में बढ़कर 1472 मिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष में 1129 मिलियन डॉलर था।
  • भारत दुनिया में अनाज उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा निर्यातक भी है। वित्त वर्ष 2022-23 के 9 महीनों में बासमती चावल के निर्यात में 40.26% की वृद्धि देखी गई, क्योंकि इसका निर्यात 2379 मिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल-दिसंबर 2021) से बढ़कर 3337 मिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल-दिसंबर 2022) हो गया, जबकि नॉन-बासमती राइस के निर्यात में पिछले वित्त वर्ष के 9 महीनों में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  • वित्त वर्ष 2022-23 के 9 महीनों में नॉन-बासमती राइस का निर्यात बढ़कर 4663 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2021-2022 में 4512 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • 9 महीनों में दालों के निर्यात में 80.38% की वृद्धि देखी गई है क्योंकि दाल का निर्यात $242 मिलियन (अप्रैल-दिसंबर 2021-22) से बढ़कर $436 मिलियन (अप्रैल-दिसंबर 2022-23) हो गया है।

जैविक उत्पाद-

भारत में दुनिया में सबसे अधिक 44.3 लाख जैविक किसान हैं और 2021-22 तक 59.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के तहत लाया गया है, जिसमें सभी प्रकार के खाद्य उत्पादों जैसे तेल बीज, फाइबर, गन्ना, अनाज, बाजरा, कपास, दालें, सुगंधित और औषधीय पौधे, चाय, कॉफी, फल, मसाले, सूखे फल, सब्जियां, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, आदि सहित प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन किया जाता है।

उत्पादन केवल खाद्य क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि जैविक कपास फाइबर, कार्यात्मक खाद्य उत्पाद आदि का भी उत्पादन करता है।

इन उत्पादों का बढ़ा निर्यात

भारत ने कृषि के क्षेत्र में लगातार बढ़त हासिल की है। इस दौरान भारत ने अनाज उगाने के क्रम में अपने देश के लिए अनाज की पूर्ति तो की ही है इसके साथ ही दूसरे देशों को भी अनाज की लगातार आपूर्ति कर रहा है।

इन उत्पादों में ये शामिल हैं- चावल, गेहूं, कई प्रकार के अनाज, दालें, तम्बाकू अनिर्मित, तम्बाकू विनिर्मित, काजू, तिल के बीज, नाइजर बीज, मूंगफली, अन्य तिलहन, वनस्पति तेल, अरंडी का तेल, चपड़ा, गुड़, चीनी, फल/सब्जियां के बीज, ताज़ा फल, ताजा सब्जियां, प्रसंस्कृत सब्ज़ियाँ, प्रसंस्कृत फल और जूस, कोको उत्पाद, मिल्ड उत्पाद, जानवरों के आवरण, डेयरी उत्पाद, मुर्गी पालन उत्पाद, फ्लोरिकल्टर उत्पाद, आयुष और हर्बल उत्पाद, कपास और भी अन्य कई ऐसे पदार्थ हैं जो भारत अन्य देशों को निर्यात करता है।

मिलेट्स के क्षेत्र में बढ़त

मिलेट्स के क्षेत्र में भी भारत ने एक मुकाम हासिल किया है। आज के समय में भारत अन्य कई देशों को तरह तरह के अनाजों की आपूर्ति करता है। इन अनाजों में ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो बाजरा, हरी कंगनी बाजरा, सनवा, सांवा, कुटकी बाजरा और अन्य कई ऐसे उत्पाद हैं जो भारत अन्य देशों को पहुंचाता है।

यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

भारत यूरिया और DAP के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर हो गया है। यूरिया का उत्पादन लगातार भारत में बढ़ रहा है। यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 LMT के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 LMT हो गया है। 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 LMT हो गई है। नैनो यूरिया संयंत्र के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक भारत यूरिया के क्षेत्र में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा।

कृषि के क्षेत्र में बदल रहा भारत

भारत लगातार कृषि के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। हर दिन हर क्षेत्र में भारत को सफलता मिल रही है। मत्सय पालन, दुग्ध उत्पाद, अनाज, चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थ, पोल्ट्री और मांस के क्षेत्र में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।