कोलकाता रेप-मर्डर केस के बाद क्यों बढ़ गई Central Protection Act की मांग? जानिए सजा के क्या हैं प्रविधान
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बीते शुक्रवार को 31 साल की महिला डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर हुआ। इस हादसे के बाद से डॉक्टरों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच डॉक्टर मेडिकल वर्कस की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Central Protection Act: कोलकाता में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है। इस क्रूर घटना के बाद डॉक्टरों और छात्रों ने बेहतर सुरक्षा मानदंडों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई इस घटना के बाद ये सच्चाई सामने आई है कि अत्यधिक बोझ वाली स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में डॉक्टरों को किस तरह की हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे डॉक्टर
अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच, डॉक्टर मेडिकल वर्कस की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने हालिया पत्र में कहा है कि सभी 25 राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून तो हैं, लेकिन उस पर कोई काम नहीं हो रहा है।
सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट
कई प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने डॉक्टरों के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट (Central Protection Act ) की भी मांग की है। इस बिल में बिना वारंट गिरफ्तारी, 5 लाख तक जुर्माना और 5 साल तक सजा का प्रावधान शामिल है।
क्यों कर रहे CPA की मांग?
डॉक्टरों को किसी हिंसा से बचाने के लिए ये मांग की जा रही है। दरअसल, कानूनी जानकार का मानना है कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा गैर-जमानती अपराध बन जाएगा। इससे ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
डॉक्टरों के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट क्या?
'हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022', जिसे 'डॉक्टरों के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट भी कहा जाता है। ये विधेयक दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक का उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना है।
बिल में क्या-क्या है शामिल?
हिंसा के कृत्यों को परिभाषित करना, हिंसा पर रोक लगाना, संज्ञेयता और दंड की स्थापना, ऐसे कृत्यों की अनिवार्य रिपोर्टिंग, सार्वजनिक संवेदनशीलता शामिल हैं।
इस प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत आने वाले स्वास्थ्यकर्मी:
पंजीकृत चिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्सिंग पेशेवर, चिकित्सा एवं नर्सिंग छात्र, संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर और अस्पतालों में सहायक कर्मचारी होंगे।
विधेयक को लेकर क्यों नहीं लिया गया फैसला?
जब यह विधेयक 2022 में संसद में पेश किया गया था, तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि सरकार ने इसे आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। दरअसल, वर्तमान में महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 लागू है। इसके तहत हिंसा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 3 या 5 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही 50 हजार से 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लग सकता है।
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