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कोविन्द समिति ने एक साथ मतदान कराने के मुद्दे पर अर्थशास्त्रियों संग किया मंथन, गुजरात के चुनाव आयुक्त से भी की चर्चा

एक राष्ट्र एक चुनाव पर गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने बुधवार को समिति सदस्य व वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह द्वारा लिखे शोधपत्र पर अर्थशास्त्रियों के साथ चर्चा की। सिंह व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सिस्टमिक डिवीजन से संबंधित मुद्दों की प्रमुख प्राची मिश्रा ने मैक्रोइकोनामिक इंपैक्ट ऑफ हॉर्मोनाइजिंग इलेक्टोरल साइकल्स शीर्षक से शोधपत्र लिखा है।

By Shoyeb AhmedEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Thu, 15 Feb 2024 10:53 AM (IST)
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कोविन्द समिति ने एक साथ मतदान कराने के मुद्दे पर अर्थशास्त्रियों संग किया मंथन (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। एक राष्ट्र, एक चुनाव पर गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने बुधवार को समिति सदस्य और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह द्वारा लिखे शोधपत्र पर अर्थशास्ति्रयों के साथ चर्चा की।

सिंह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सिस्टमिक डिवीजन से संबंधित मुद्दों की प्रमुख प्राची मिश्रा ने 'मैक्रोइकोनामिक इंपैक्ट ऑफ हॉर्मोनाइजिंग इलेक्टोरल साइकल्स' शीर्षक से शोधपत्र लिखा है।

ये लोग बैठक में हुए शामिल

इसे उच्चस्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। शोधपत्र के अनुसार, देश में अलग-अलग चुनाव कराने से खर्च के अलावा व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ता है। कोविन्द समिति ने शोधपत्र पर व्यापक चर्चा की जरूरत बताते हुए मंथन सत्र में अर्थशास्त्रियों से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित कीं।

बैठक में आर्थिक विकास संस्थान के निदेशक प्रो. चेतन घाटे, भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद के निदेशक और मुख्य कार्यकारी डॉ. दीपक मिश्रा, अनिवासी मानद प्रतिष्ठित फेलो, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान के प्रो. इंदिरा राजारमन ने भाग लिया।

समिति ने असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी की चर्चा

समिति ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी चर्चा की। ओवैसी ने एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर समिति के समक्ष पार्टी के विचार रखे। राज्य चुनाव आयुक्तों के साथ विमर्श जारी रखते हुए समिति ने गुजरात के चुनाव आयुक्त संजय प्रसाद से मुलाकात की।

प्रसाद ने विधानसभाओं और लोकसभा के साथ-साथ स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के लिए आवश्यक विभिन्न तार्किक और विधायी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला।