एक राष्ट्र एक चुनाव पर यूयू ललित समेत चार पूर्व CJI की क्या है राय? पढ़िए 16 जजों का 'मत'
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को एक राष्ट्र एक चुनाव पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी। रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाने की सिफारिश की। हालांकि हाई कोर्ट के तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त ने इस पर चिंता जाहिर की।
पीटीआई, नई दिल्ली। One Nation One Election: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी। रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाने की सिफारिश की। हालांकि, हाई कोर्ट के तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त ने इस पर चिंता जाहिर की।
वहीं, पूर्व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा सहित चार पूर्व सीजेआई एक देश एक चुनाव को लेकर सहमत दिखाई दिए।
क्या सिफारिशें की गईं?
- पहली सिफारिश: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं को एक साथ कराया जाना चाहिए।
- दूसरी सिफारिश: लोकसभा चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की बात कही गई।
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असहमति के स्वर भी दिखे
प्रमुख हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से नौ ने एक साथ चुनाव कराये जाने का समर्थन किया, जबकि तीन ने चिंता या आपत्ति जाहिर की। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश शाह ने एक साथ चुनाव कराये जाने के सवाल का विरोध किया। उन्होंने कहा,
कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गिरीश चंद्र गुप्ता ने एक साथ चुनाव कराने का विरोध करते हुए कहा कि यह विचार लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है, जबकि मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी ने इस वजह से एक साथ चुनाव कराये जाने का विरोध किया कि यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और क्षेत्रीय मुद्दों के लिए हानिकारक साबित होगा। यह भी पढ़ें: 2029 में होंगे एक साथ चुनाव? केंद्र सरकार बना रही ये प्लानवहीं, एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर परामर्श किए गए वर्तमान और पूर्व राज्य चुनाव आयुक्तों में से सात ने समर्थन किया, जबकि तमिलनाडु के चुनाव आयुक्त वी पलानीकुमार ने चिंता व्यक्त की।एक साथ चुनाव राजनीतिक जवाबदेही में खलल पैदा करते हैं।