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India-Britain: भारत को असहज करने वाली रही हैं लेबर पार्टी की नीतियां, कश्मीर को लेकर हो चुकी है काफी गहमागहमी

ब्रिटेन के आम चुनाव में बड़ी जीत के साथ लेबर पार्टी सरकार बनाने जा रही है। समय के साथ लेबर पार्टी ने भारत को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव किया है। लेकिन यह तथ्य है कि बीते वर्षों में पार्टी की नीतियां भारत को असहज करने वाली रही हैं। खास कर कश्मीर के मसले पर। लेबर पार्टी ने माना हैअतीत में कश्मीर के मुद्दे पर गलतियां हुई हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 06 Jul 2024 06:00 AM (IST)
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भारत को असहज करने वाली रही हैं लेबर पार्टी की नीतियां (फोटो-एक्स)

 जागरण डेस्क, नई दिल्ली। ब्रिटेन के आम चुनाव में बड़ी जीत के साथ लेबर पार्टी सरकार बनाने जा रही है। समय के साथ लेबर पार्टी ने भारत को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव किया है। लेकिन यह तथ्य है कि बीते वर्षों में पार्टी की नीतियां भारत को असहज करने वाली रही हैं। खास कर कश्मीर के मसले पर। आइये जानते हैं उस घटनाक्रम के बारे में जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने ब्रिटेन को तीसरे दर्जे की ताकत बताया था।

कूटनीतिक आपदा साबित हुई क्वीन एलिजाबेथ की यात्रा

वर्ष था 1997, भारत अपनी आजादी की 50 वीं वर्षगांठ मना रहा था। ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी। ब्रिटेन और भारत ने इस समारोह के लिए ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय की यात्रा की योजना बनाई। लेकिन क्वीन एलिजाबेथ की भारत यात्रा एक कूटनीतिक आपदा साबित हुई। कश्मीर पर मध्यस्थता के प्रस्ताव से भड़का भारत अक्टूबर में क्वीन एलिजाबेथ और उनके पति प्रिंस फिलिप भारत पहुंचने से पहले पाकिस्तान में रुके।

राजकीय भोज में उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को पाकिस्तान पर अपने मतभेदों को सुलझाने की जरूरत है। उनके साथ ब्रिटेन के विदेश मंत्री राबिन कुक भी थे। उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ निजी बातचीत में कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर दी। इससे माहौल ज्यादा ही खराब हो गया।

कश्मीर पर बयानबाजी से भारत भड़क गया था

भारत में उनके इस प्रस्ताव की भ‌र्त्सना की गई और प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने ब्रिटेन को तीसरे दर्जे की ताकत बताया। कश्मीर पर बयानबाजी से भारत भड़क गया था और क्वीन एलिजाबेथ की भारत यात्रा एक औपचारिक यात्रा बन कर रह गई। जाहिर है कि भारत की तरफ से किसी तरह की गर्मजोशी नहीं दिखाई गई।

भारत और लेबर पार्टी के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं

2019 में लेबर पार्टी का भारत विरोधी प्रस्ताव जेरेमी कार्बिन की अगुवाई में लेबर पार्टी ने 2019 में एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का समर्थन किया गया और संयुक्त राष्ट्र की देख रेख में जनमत सर्वेक्षण की मांग की गई। यह प्रस्ताव कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आया था। इसके अलावा लेबर पार्टी में कुछ लोगों की राय खालिस्तान के पक्ष में रही है। यह एक और मुद्दा है जिसकी वजह से भारत और लेबर पार्टी के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं।

क्यों हारे सुनक

- नेशनल हेल्थ सर्विस का ढांचा चरमरा गया था।

-ब्रिटेन की खराब अर्थव्यवस्था एक बड़ा मुद्दा था।

- लोग महंगाई और बढ़ती कीमतों से परेशान थे।

-अवैध प्रवासियों पर अंकुश नहीं लगा सकी सरकार

कैसे होंगे भारत-ब्रिटेन के रिश्ते

- लेबर पार्टी ने माना है,अतीत में कश्मीर के मुद्दे पर गलतियां हुई हैं

- कीएर स्टार्मर ने भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी का वादा किया है

- भारतीय प्रवासियों के साथ रिश्ते सुधारने की पहल कर चुकी लेबर पार्टी

-प्रवासी नीतियों और व्यापार समझौते को लेकर स्टार्मर की नीतियां हैं चुनौती

-भारत अपने वर्कर्स के लिए कर रहा है अस्थाई वीजा की मांग