Manipur Violence: मणिपुर हिंसा की जांच में राेड़ा बन रही अफसराें की कमी, एक अधिकारी कर रहा 500 मामलों की निगरानी
मणिपुर में कुछ माह पूर्व हुई हिंसा की जांच के लिए दिल्ली समेत छह राज्यों से 14 IPS और छह इंस्पेक्टरों को भेजा गया है। वहां बनाई गईं 42 SIT 3 हजार मुकदमों की जांच कर रही हैं लेकिन बेहतर ढंग से जांच करने में अधिकारियों की कमी आड़े आ रही है। जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस संख्या बल के अनुसार एक इंस्पेक्टर पर 7 SIT यानी करीब 500 केसों की निगरानी करने की जिम्मेदारी है जो व्यावहारिक नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Sat, 28 Oct 2023 10:42 AM (IST)
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। मणिपुर में कुछ माह पूर्व हुई हिंसा की जांच के लिए दिल्ली समेत छह राज्यों से 14 IPS और छह इंस्पेक्टरों को भेजा गया है। वहां बनाई गईं 42 SIT 3 हजार मुकदमों की जांच कर रही हैं, लेकिन बेहतर ढंग से जांच करने में अधिकारियों की कमी आड़े आ रही है।
जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस संख्या बल के अनुसार, एक इंस्पेक्टर पर 7 SIT यानी करीब 500 केसों की निगरानी करने की जिम्मेदारी है, जो व्यावहारिक नहीं है।
एक इंस्पेक्टर पर 500 मुकदमे होने पर जांच में होगी परेशानी
मणिपुर हिंसा की जांच CBI को सौंपे जाने पर केंद्र सरकार ने दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश से 14 IPS (डीसीपी व एसपी रैंक) व छह इंस्पेक्टरों को जांच में मदद के लिए भेजा है। ये अधिकारी SIT जांच की निगरानी करेंगे। दिल्ली से सबसे अधिक तीन IPS हरेंद्र कुमार सिंह, श्वेता चौहान और ईशा पांडे का जांच के लिए चयन किया गया है।अधिकारियों का कहना है कि एक IPS तीन SIT की निगरानी तो कर सकते हैं, लेकिन एक इंस्पेक्टर को सात SIT की निगरानी करने में दिक्कत आ सकती है, क्योंकि एक इंस्पेक्टर के जिम्मे 500 मुकदमे होंगे। इससे कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
भाषा को लेकर हो रही दिक्कत
मणिपुर में हुई हिंसा में चर्च और अन्य धार्मिक स्थलों, घरों, दुकानों और कार्यालयों में आग लगा दी गई थी। बड़ी संख्या में लोगों की हत्या कर दी गई, लोगों को जिंदा जला दिया गया, लूटपाट, दुष्कर्म और छेड़खानी की घटनाएं हुईं। लोगों को गंभीर चोट पहुंचाई गई। इससे संबंधित मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जांच के लिए चार श्रेणी बनाई गई है।दिल्ली से गए एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि वहां भाषाई दिक्कत है। स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है। दोनों समुदाय एक-दूसरे को दुश्मन की नजर से देख रहे हैं। लोगों में अब भी भय का माहौल है। बड़ी संख्या में लोग राहत शिविर में रह रहे हैं। इलाका भी एक जैसा नहीं है, कहीं मैदानी तो कहीं पहाड़ी क्षेत्र है। इसके लिए इंस्पेक्टरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही मणिपुर हिंसा की जांच के लिए दूसरे राज्यों से अधिकारियों को भेजा गया है। 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट सौंपी जानी है।
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