इस ट्रेन में रोजाना बंटता है हजार लोगों को लंगर, श्रद्धालुओं ने बनाई सेवा समिति
अमृतसर-सचखंड एक्सप्रेस के करीब एक हजार यात्रियों को खंडवा स्टेशन पर लंगर सेवा दी जाती है। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है।
सुमित अवस्थी, खंडवा। अमृतसर-सचखंड एक्सप्रेस के करीब एक हजार यात्रियों को खंडवा स्टेशन पर लंगर सेवा दी जाती है। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। महाराष्ट्र के नांदेड़ में गुरुगोविंद सिंह का श्रीहुजूर साहिब गुरुद्वारा और अमृतसर में गुरुनानकदेव का हरमंदिर साहिब स्वर्ण मंदिर स्थित है। दोनों को जोड़ने वाली सचखंड एक्सप्रेस ट्रेन मध्य प्रदेश के खंडवा स्टेशन से भी गुजरती है। खंडवा स्थित ओंकार पर्वत से ही गुरुनानक देव ने ओंकारवाणी कही थी। वे 1535 में तीर्थनगरी ओंकारेश्वर आए थे। इसका उल्लेख सिख समाज की धार्मिक कथाओं और प्रवचनों में है।
नानक ने कहा था, इकओंकार सतनाम करतापुरख...। यानी प्रभु एक हैं और सभी में समाए हुए हैं...। गुरु के इसी उपदेश का अनुसरण करते हुए सिख समाज द्वारा अनेक सेवा कार्य किए जाते हैं। लंगर सेवा इनमें अहम है।
सचखंड एक्सप्रेस में रोजाना एक हजार लोगों को लंगर बांटा जाता है। श्रद्धालुओं ने सचखंड ट्रेन लंगर सेवा समिति बनाई है, जिसके सदस्य बड़े ही सेवा भाव से यात्रियों को भोजन कराते हैं। ये लोग ट्रेन आने से पहले प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाते हैं। रात 8.40 बजे आने वाली ट्रेन के हर कोच में जाकर यात्रियों को लंगर बांटते हैं। कोई भी मौसम हो या ट्रेन देरी से आए, लंगर हर हाल में बंटता है।
गुरुसिंघ सभा गुरुद्वारा, खंडवा के ज्ञानी जसबीर सिंह राणा ने बताया कि 1 अप्रैल 1535 को गुरुनानक देव ओंकारेश्वर आए थे, यहां उन्होंने ओंकारवाणी कही। अलवर के ज्ञानी संतसिंह मस्कीन ने अपने प्रवचन और धार्मिक किताबों में भी गुरुनानक के ओंकारेश्वर आने का उल्लेख किया है। यहां ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर के पास ही गुरुद्वारा बना हुआ है। मान्यता है कि गुरु नानकदेव खंडवा के प्राचीन भवानी माता मंदिर भी आए थे। अब भी मंदिर के पास एक गुरुद्वारा बना हुआ है।