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आखिर कब लगता है चंद्रग्रहण क्‍या है इसका पीछे का विज्ञान, आइये जानें इसकी कुछ खास बातें जो आपको अब तक नहीं पता

आज इस वर्ष का आखिरी चंद्र ग्रहण है। वैज्ञानिकों के लिए ये एक खगोलीय घटना है। हालांकि हिंदू धर्म में इसको लेकर कई तरह की मान्‍यताएं हैं। वैज्ञानिकों के लिए ग्रहण कोई सा भी हो खास मायने रखता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 08 Nov 2022 09:57 AM (IST)
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Lunar Eclipse 2022 इस वर्ष का ये आखिरी चंद्र ग्रहण है
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। आज साल काआखिरी चंद्र ग्रहण है। ज्‍योतिषियों के लिए और खगोल वैज्ञानिकों के लिए आज का दिन बेहद मायने रखता है। ज्‍योतिषी जहां ग्रहण के दुष्‍प्रभावों के बारे में आम आदमी को जानकारी देते हुए इससे बचाव के तरीके बताते हैं और राशियों में होने वाले बदलावों को बताते हैं वहीं वैज्ञानिक इसके दूसरे मायने खोजते हैं। बहरहाल, इसकी जानकारी आपको सभी जगह मिल जाएगी। लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि आखिर चंद्र ग्रहण लगता क्‍यों है। यदि आप नहीं जानते हैं तो हम इसके बारे में बता देते हैं।

खगोलीय घटना 

चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण विज्ञान की नजरों में ये एक खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण की ही बात करें तो ये घटना उस वक्‍त घटती है जब चंद्रमा पृथ्‍वी के ठीक पीछे होता है और उसकी छाया धरती पर पड़ती है। इस दौरान सूरज, पृथ्‍वी और चांद एक ही क्रम में होते हैं। चंद्रमा के इस रूप को ब्‍लड मून भी कहा जाता है। ग्रहण की शुरुआत होने के बाद ये पहले काला और फिर सुर्ख लाल रंग में दिखाई देने लगता है।

सूर्य ग्रहण से इतर देखने पर मनाही नहीं 

आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण को जहां विशेष उपकरणों की मदद से देखने की बात कही जाती है, वैसा चंद्र ग्रहण के दौरान नहीं होता है। चंद्र ग्रहण को सामान्‍य तरीके से ही देखा जा सकता है। हालांकि, ज्‍योतिष शास्‍त्र में चंद्र ग्रहण को देखने की मनाही है। इसके अलावा इसकी शुरुआत से लेकर खत्‍म होने तक केवल भगवान की भक्ति करने की बात कही जाती है।

पूर्णिमा और अमावस पर क्‍यों नहीं होता ग्रहण 

आपको यहां पर ये भी बता दें कि चंद्रमा की कक्षा का तल पृथ्‍वी की कक्षा के तल से झुका हुआ है इसलिए हर पूर्णिमा और अमावस्‍या को ग्रहण नहीं होता है। ये बेहद दिलचस्‍प है कि एक वर्ष के अंदर 4-7 बार ही ग्रहण लग सकता है। आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि 7 बार ग्रहण 1901 में पड़े थे और अब ये 2100 में ही पड़ेंगे। इसके अलावा अब 2038 में 4 बार चंद्र ग्रहण और तीन बार सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इसके अलावा 2094 में चार बार सूर्य ग्रहण और तीन बार च्रदं ग्रहण होगा।

कब होता है चंद्र ग्रहण 

सूर्य ग्रहण की स्थिति में सूर्य और पृथ्‍वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है और सूर्य की रोशनी को धरती पर आने से आंशिक या पूर्ण रूप से रोक देता है। सूर्य ग्रहण को लेकर पूरी दुनिया में अलग-अलग तरह की मान्‍यताएं हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों के लिए ये खगोलीय घटना ही है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि सूर्य ग्रहण को जहां सभी जगह पर नहीं देखा जा सकता है वहीं चंद्र ग्रहण को लगभग पूरे गोलार्ध में देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण से अधिक लंबी अवधिक के लिए होता है।

चंद्र ग्रहण के तीन प्रकार 

चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। इनमें पहला है उपछाया ग्रहण या जब चंद्रमा पृथ्‍वी की उपछाया को पार करता है। दूसरा है आंशिक ग्रहण या जब चंद्रमा आंशिक रूप से पृथ्‍वी की छाया के केंद्र में आ जाता है। तीसरा होता है पूर्ण ग्रहण या जब चंद्र पूरी तरह से पृथ्‍वी की छाया में आजा जाता है। जब भी पूर्ण चंद्रग्रहण होता है तो वो इन तीनों स्थितियों से होकर गुजरता है।

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