NRI से जुड़ी शादियों में धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी चिंताजनक, विधि आयोग ने कानून मंत्रालय से की यह सिफारिश
एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच धोखाधड़ी वाली शादियों के बढ़ते मामलों को चिंताजनक बताते हुए विधि आयोग ने सरकार से एक व्यापक कानून बनाने की सिफारिश की। जस्टिस (रिटायर) रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले पैनल ने कानून मंत्रालय को एक रिपोर्ट पेश कर यह सिफारिश की और कहा कि भारत में यह शादियां अनिवार्य रूप से रजिस्टर होनी चाहिए।
पीटीआई, नई दिल्ली। एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच धोखाधड़ी वाली शादियों में बढ़ोतरी को चिंताजनक बताते हुए विधि आयोग ने सरकार से एक व्यापक कानून बनाने की सिफारिश की। साथ ही कहा कि इन लोगों के बीच शादियां अनिवार्य रूप से भारत में रजिस्टर होनी चाहिए।
कानून मंत्रालय को रिपोर्ट की गई पेश
जस्टिस (रिटायर) रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले पैनल ने कानून मंत्रालय को 'अनिवासी भारतीयों और भारत के प्रवासी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून' संबंधी रिपोर्ट पेश की। इस जस्टिस (रिटायर) रितु राज अवस्थी ने कहा,
यह भी पढ़ें: विधि आयोग ने की आपराधिक मानहानि का कानून बनाए रखने की सिफारिश, प्रतिष्ठा के अधिकार को बताया संवैधानिकआयोग की राय है कि प्रस्तावित केंद्रीय कानून एनआरआई के साथ-साथ भारतीय नागरिकों के साथ ही भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त व्यापक होना चाहिए।
जस्टिस (रिटायर) रितु राज अवस्थी ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने कवरिंग लेटर में कहा कि एनआरआई द्वारा भारतीय साझेदारों से धोखाखड़ी वाली शादियों की बढ़ती घटनाएं एक चिंताजनक प्रवृति है। कई रिपोर्ट्स इस तरह के पैटर्न को उजागर कर रही हैं, जहां पर शादियां फ्रॉड साबित हो रही है, जिसकी वजह से भारतीय पतियों खासकर महिलाओं को विकट स्थिति का सामना करना पड़ता है।
पैनल ने क्या कुछ कहा?
पैनल ने आगे सुझाया कि इस तरह के कानून न सिर्फ एनआरआई, बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू किया जाना चाहिए, जो नागरिकता अधिनियम 1955 में निर्धारित ओसीआई के तहत आते हैं।बकौल रिपोर्ट, एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों की शादियों को भारत में अनिवार्य रूप से पंजीकृत किये जाने की सिफारिश की गई। जस्टिस अवस्थी ने कहा,
यह भी पढ़ें: देश में एक साथ चुनाव पर कोविन्द समिति के साथ खाका साझा करेगा विधि आयोग, हो सकते हैं कई बड़े फैसलेव्यापक केंद्रीय कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरणपोषण, बच्चों की कस्टडी और भरणपोषण, एनआरआई और ओसीआई पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की तामील के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए।