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Anti Conversion Law: धर्मांतरण को लेकर देश के कई राज्यों में सख्त कानून, ओडिशा ने उठाई थी सबसे पहले आवाज

Conversion Law In States भारत के कई राज्यों में धर्मांतरण को लेकर सख्त कानून बनाए गए हैं। जबरन या लालच देकर किसी का धर्म परिवर्तन करने पर आरोपी को 3 से 10 सालों तक की सजा होती है। वहीं राज्यों ने अपने मुताबिक जुर्माने का भी प्रावधान रखा है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Fri, 16 Jun 2023 05:27 PM (IST)
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धर्मांतरण को लेकर भारत के कई राज्यों में है सख्त कानून
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Conversion Law In States। देश में लगातार ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है। हालांकि, स्वेच्छा से अपने धर्म को छोड़कर किसी दूसरे धर्म को अपनाना अपराध नहीं है, लेकिन यदि कोई लालच देकर, जबरन या ब्लैकमेल करके धर्मांतरण कराता है, तो इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।

संविधान में नहीं कोई स्पष्ट अनुच्छेद

भारत के संविधान में धर्मांतरण को लेकर कोई स्पष्ट अनुच्छेद नहीं है। अनुच्छेद 25 से लेकर 28 के बीच धार्मिक स्वतंत्रता का जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया है कि अपनी स्वेच्छा से भारत के हर व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार-प्रसार करने की आजादी है। इसको लेकर कई बार राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की अपील की गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया है।

देश के कई राज्यों में है कानून

इस अपराध के खिलाफ देश के कई राज्य काफी सख्त हो गए हैं। इन्होंने अपने-अपने राज्यों में धर्मांतरण को लेकर कई सख्त कानून बनाए हैं। इसको लेकर सबसे पहले ओडिशा में कानून बनाया गया था। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कौन-से राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ क्या कानून है और इसे कब लागू किया गया था।

ओडिशा में सबसे पहले बना था कानून

देश में सबसे पहले धर्मांतरण पर ओडिशा राज्य में कानून बनाया गया था। इस राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून साल 1967 में लागू किया गया। इस कानून के तहत जबरन या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने पर एक साल तक की जेल और 5,000 रुपए तक का जुर्माना तय किया गया था। इसके साथ ही, इस कानून के तहत एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर दो साल की सजा और 10,000 रुपए का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान था।  

मध्य प्रदेश के कानून में किया गया संशोधन

साल 1968 में धर्म परिवर्तन पर कानून बनाने वाला देश का दूसरा राज्य मध्य प्रदेश बना। यहां भी ओडिशा के जैसा ही कानून था, जिसमें जबरन धर्मांतरण पर एक साल तक की जेल और 5,000 रुपए तक का जुर्माना तय किया गया था। वहीं, एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर दो साल की सजा और 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाना तय किया गया था।

इसके बाद साल 2020 में शिवराज सरकार के दौरान इस कानून में संशोधन किया गया। दिसंबर, 2020 में शिवराज सिंह कैबिनेट ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 को मंजूरी दी। इस विधेयक में शादी या धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण भी अपराध माना गया, जिसके लिए अधिकतम 10 साल की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान तय किया गया।

अरुणाचल प्रदेश में तेजी से हो रहा था धर्मांतरण

अरुणाचल प्रदेश के लोगों को लालच देकर काफी तेजी से धर्मांतरण कराया जा रहा था। धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए 1978 में कानून बनाया गया। इस कानून के तहत, जबरन धर्मांतरण पर दो साल की सजा और 10,000 रुपए का जुर्माना देना होगा।

गुजरात में प्रशासन की मंजूरी अनिवार्य

साल 2003 में गुजरात पहला राज्य बना, जिसने धर्म परिवर्तन को कानूनी मान्यता देने के लिए पहले जिला धर्मांतरण के लिए प्रशासन की मंजूरी अनिवार्य की थी। हालांकि, इस कानून में अप्रैल 2021 में संशोधन किया गया था, जिसके बाद इसे गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन (अमेंडमेंट) एक्ट 2021 नाम दिया गया। यह कानून 15 जून, 2021 से लागू कर दिया गया है।

इसके तहत, किसी दूसरे धर्म की लड़की को बहला-फुसलाकर, धोखा देकर या लालच देकर शादी करने के बाद उसका धर्म परिवर्तन करवाने पर 5 साल की कैद और 2 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है। वहीं, अगर लड़की नाबालिग हुई तो, आरोपी को 7 साल की कैद और 3 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के लिए जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी अनिवार्य

मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ ने मध्यप्रदेश में बने धर्मांतरण कानून को अपनाए रखा। इसके बाद साल 2006 में इसे संशोधित किया गया और धर्मांतरण से पहले जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया।

2006 में हिमाचल प्रदेश में बनाया गया कानून

हिमाचल प्रदेश में साल 2006 में धर्मांतरण विरोधी कानून बना, जिसे साल 2019 में संशोधित किया गया। जिसके तहत बल, जबरदस्ती, लालच या किसी अन्य तरीके से या शादी कर एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण करने को मजबूर करते हैं, तो उसके खिलाफ सजा का प्रावधान है। इसके बाद साल 2022 के अगस्त में 'द फ्रीडम ऑफ रिलीजन (संशोधित)' बिल पारित किया गया, जिसमें सजा को पहले से अधिक सख्त कर दिया गया। हिमाचल में अब सामूहिक धर्मांतरण पर 10 साल की कैद और 2 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।

झारखंड में 2017 में धर्मांतरण को बताया गया गैरकानूनी

साल 2017 में झारखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया गया, जिसमें जबरन धर्मांतरण को गैरकानूनी बताया गया है। इस अपराध के लिए आरोपी को 3 साल तक की जेल या 50 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों से दंडनीय किया जा सकता है। इसके साथ ही, यदि अपराध किसी नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के साथ किया गया है, तो जेल की सजा 4 साल और जुर्माना एक लाख रुपये तक हो सकता है।

उत्तराखंड में सख्त सजा का प्रावधान

जबरन धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ उत्तराखंड बेहद सख्त सजा का प्रावधान है। 2018 में बनाए गए कानून को और सख्त कर दिया गया है। नए कानून के तहत, जबरन धर्मांतरण कराने वाले दोषी को 10 साल की जेल और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा होगी। इसके साथ ही, पीड़ित को भी मुआवजा देना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के लिए किया गया विवाह अवैध

27 नवंबर, 2020 को 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून' लागू किया गया। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और अपराध की गुणवत्ता के मुताबिक, 15 से 50 हजार रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है।

वहीं, इस कानून के तहत एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है, जबकि जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए 3 से 10 साल की जेल और 50 हजार का जुर्माने का प्रावधान है।

इसके साथ ही, यदि कोई अपने धर्म के बाहर किसी से विवाह करना चाहता है, तो जोड़ों को शादी से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को प्रस्तावित शादी के बारे में सूचना देना अनिवार्य है। यदि किसी महिला का विवाह केवल इस उद्देश्य से किया गया है कि उसका धर्म परिवर्तन करना है, तो ऐसे में उस विवाह को अवैध घोषित कर दिया जाता है।

कर्नाटक में 2022 में बना कानून

30 सितंबर, 2022 को कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अधिनियम-2022 लागू किया गया है। इस अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति गलत बयान, बल, लालच, जबरदस्ती या किसी कपटपूर्ण तरीके किसी अन्य व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन कराने का प्रयास नहीं करेगा।

यदि कोई भी व्यक्ति किसी तरह से किसी का धर्मांतरण कराता है, तो उसे अपराध माना जाएगा। इस कानून का उल्लंघन करने वाले को तीन से पांच साल की जेल और 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा, नाबालिग, महिलाओं और एससी और एसटी समुदायों के व्यक्तियों का धर्म परिवर्तित कराने वाले लोगों को 3 से 10 साल की जेल की सजा और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।