'SC-ST से क्रीमी लेयर बाहर करना टिप्पणी है, निर्देश नहीं', सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले कानून मंत्री; पढ़ें खास बातचीत
Arjun Ram Meghwal Exclusive Interview सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण करने और क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू करने की टिप्पणी पर लगातार राजनीति गर्म है। ऐसे में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बारिकियों को समझाते हुए मसले पर सरकार का पक्ष रखा है। पढ़ें पूरी बातचीत।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू करने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कही गई बात पर देश के विभिन्न हिस्सों से कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। राजनीतिक दल भी अपनी-अपनी तरह से इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
ऐसे में देश के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि एससी-एसटी से क्रीमी लेयर बाहर करना सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी (आब्जर्वेशन) है, निर्देश नहीं। यानी कि सुप्रीम कोर्ट की यह बात फैसले में व्यक्त किया गया उसका विचार भर है, कोर्ट ने ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है।
'सुप्रीम कोर्ट का ऑब्जर्वेशन'
बुधवार को दैनिक जागरण से खास बातचीत में अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि क्रीमी लेयर को बाहर करने की बात सुप्रीम कोर्ट का ऑब्जर्वेशन है। निर्देश और ऑब्जर्वेशन में फर्क होता है। यह समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला क्या था जिस पर सात न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला दिया।वह कहते हैं कि पंजाब सरकार ने 2005-2006 में एक कानून बनाया, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) के आरक्षण में से 50 प्रतिशत हिस्सा वाल्मीकि और मजहबी सिखों को देने की बात थी। हाई कोर्ट ने उस कानून को यह कहते हुए रद कर दिया था कि अनुच्छेद-341 उपवर्गीकरण की बात नहीं करता है तो आप उसके विरुद्ध नहीं जा सकते। वह मामला सुप्रीम कोर्ट आया।
कोर्ट के फैसले के दो भाग: मेघवाल
उसके बाद आंध्र प्रदेश का एक मामला आया उसमें भी इसी तरह की बात थी। उपवर्गीकरण पर एक फैसला तीन जजों की पीठ का था और एक पांच जजों की पीठ का था जिसमें परस्पर विरोध था। इसलिए इन मामलों पर सात जजों की पीठ ने विचार किया और फैसला दिया। कई राज्य इस मामले में शामिल थे, जिन्होंने निर्देश मांगा था।मेघवाल कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने एक अगस्त, 2024 को जो फैसला दिया उसके दो भाग हैं। एक भाग ऑब्जर्वेशन है जो निर्देश नहीं है। एससी-एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर होनी चाहिए, यह निर्देश नहीं है, यह सुप्रीम कोर्ट का ऑब्जर्वेशन है। इस मामले में भ्रम फैला हुआ है और सरकार इस पर स्थिति साफ कर चुकी है। फैसले का दूसरा भाग निर्देश है, लेकिन वे निर्देश भी राज्यों को हैं। केंद्र को फैसले में कोई निर्देश नहीं दिया गया है और न ही केंद्र सरकार उस मामले में पक्षकार थी।