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अब बैंक खाते और सिम के लिए आधार जरूरी नहीं, कानून में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

सरकार बैंकों और मोबाइल फोन कंपनियों को ग्राहकों के ईकेवाइसी के लिए आधार का विकल्प फिर से देने जा रही है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगा

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 18 Dec 2018 08:45 AM (IST)
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अब बैंक खाते और सिम के लिए आधार जरूरी नहीं, कानून में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार बैंकों और मोबाइल फोन कंपनियों को ग्राहकों के ईकेवाइसी के लिए आधार का विकल्प फिर से देने जा रही है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगा। आधार कानून में संशोधन कर सरकार ग्राहकों के लिए इन सेवाओं में आधार का इस्तेमाल वैकल्पिक कर रही है। अर्थात यदि ग्राहक चाहे तो वह बैंकों और मोबाइल सिम के ईकेवाइसी के लिए आधार का इस्तेमाल कर सकता है।

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इस आशय के एक प्रस्ताव पर सोमवार को मुहर लगा दी। सरकार औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा संसद में करेगी। सरकार अब इस आशय का विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश कर सकती है।

प्रस्ताव के मुताबिक इसके लिए प्रिवेन्शन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) और टेलीग्राफ एक्ट में भी संशोधन करेगी। संशोधन के बाद पीएमएलए के तहत आधार को वैध दस्तावेज की मान्यता मिल जाएगी। दैनिक जागरण ने 29 नवंबर को इस आशय का समाचार प्रकाशित किया था कि सरकार कानून में संशोधन के जरिए यह सुविधा प्रदान करने जा रही है।

संसद से कानून बन जाने के बाद लोगों के पास बैंक खातों और मोबाइल सिम खरीदने के लिए आधार के इस्तेमाल का विकल्प भी होगा। इसी साल 26 सितंबर को आधार की अनिवार्यता के मसले पर ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी से मिलने वाली विभिन्न सब्सिडी और छात्रवृत्तियों को छोड़कर बाकी चीजों के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी।

अपने फैसले में अदालत ने आधार अधिनियम की धारा 57 को ही समाप्त कर दिया था जिसके तहत केंद्र व राज्य सरकार और कंपनियों को ईकेवाइसी के लिए आधार मांगने का अधिकार मिला था।

फैसले के बाद न केवल वित्त मंत्री अरुण जेटली बल्कि कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा भी था कि बैंक या मोबाइल कंपनियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन सुनिश्चित कराने के लिए सरकार कानून में बदलाव भी करेगी। सरकार इस संशोधन को शीतकालीन सत्र में ही पारित कराना चाहती है।

यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मौजूदा सरकार के लिए संसद का यही एक पूर्णकालिक सत्र बचा है। फरवरी में अंतरिम बजट प्रस्तुत करने के लिए एक लघु सत्र बुलाया जाएगा। उसके बाद मार्च-अप्रैल 2019 में आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नियम बनाने के लिए यह आवश्यक है कि आधार अधिनियम में संशोधन संसद के इसी सत्र में ही करा लिया जाए।