Iran-Israel dispute: क्या शांत हो जाएगा ईरान-इजरायल के बीच का युद्ध? विशेषज्ञों ने बताई यह दो बड़ी वजह
रविवार सुबह इजरायल पर ईरान (Middle East Tension) की तरफ से दागे गये मिसाइलों के बाद समूचे खाड़ी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तनाव देखा जा रहा है । ईरान ने स्वयं ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश भेजना शुरू कर दिया है कि वह हालात को और बिगाड़ने के पक्ष में नहीं है। इसे इजरायल की विजय के तौर पर भी चिन्हित किया जा रहा है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। रविवार सुबह इजरायल पर ईरान की तरफ से दागे गये मिसाइलों के बाद समूचे खाड़ी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तनाव देखा जा रहा है। लेकिन, कुछ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि स्थिति यहां से बहुत ज्यादा बिगड़ने की आशंका कम है। एक वजह तो यह है कि ईरान ने स्वयं ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश भेजना शुरू कर दिया है कि वह हालात को और बिगाड़ने के पक्ष में नहीं है।
क्या है वो दो वजह?
इसे इजरायल की विजय के तौर पर भी चिन्हित किया जा रहा है। दूसरी बड़ी वजह यह है कि अमेरिका व दूसरे सहयोगी देश इजरायल को मनाने में पूरी तरह से जुटे हुए हैं कि उसकी तरफ से किये जाने हमले का बहुत ही व्यापक असर हो सकता है। यह असर सिर्फ युद्ध के तौर पर नहीं दिखाई देगा बल्कि भारत जैसे देशों को युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हुए भी बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
किसका बन रहा है दबाव
पूर्व राजदूत व कूटनीतिक विशेषज्ञ अशोक सज्जनहार का मानना है कि, 'ईरान की तरफ से इजरायल पर किया गया हमला बहुत हद तक वहां की सरकार का अपने घरेलू मोर्चे पर संदेश देने की कोशिश थी। इरान के दमाकस (सीरिया) स्थित कंसुलेट पर इजरायल के घातक हमले के बाद से ही वहां की सरकार पर कार्रवाई करने का दवाब था। निश्चित तौर पर ईरान ने पहली बार इजरायल पर सीधे तौर पर हमला किया है। लेकिन हमले के पैटर्न को देख कर यह लगता है कि इसका मकसद गंभीर तरीके से नुकसान पहुंचाने का नहीं था बल्कि सिर्फ संदेश देना था।ईरान अब हमले करने से क्यों बच रही?
यह भी देखना चाहिए कि इस हमले के तुरंत बाद ईरान की तरफ से घोषणा की गई है कि उसकी तरफ से अब दूसरा हमला नहीं किया जाएगा। मेरा मानना है कि ईरान को यह बखूबी पता है कि अगर इजरायल व उसके सहयोगी देशों की तरफ से कार्रवाई होती है तो वह टिक नहीं पाएगा। ऐसे में ईरान की तरफ से अब कोई कोशिश नहीं होगी कि मौजूदा तनाव की स्थिति और बिगड़े।'देश के एक अन्य प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया एक्स में लिखा है कि, 'ईरान ने जवाबी हमले से पहले कई बार चेतावनी दी थी, जिससे लगता है कि यह पूर्वनियोजित दिखावा था।
नुकसान पहुंचाने से बच रही ईरान
इसका उद्देश्य कम से कम नुकसान पहुंचाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा ड्रामा करना रहा है। इनकी प्लानिंग इस तरह से की गई थी कि इजरायल व अमेरिका के एयर सिस्टम उन्हें रोक सके।' सनद रहे कि इरान सरकार की तरफ से बताया गया है कि उनके यहां घरेलू स्तर पर निर्मित दो तरह के कुल 267 द्रोन मिसाइलें इजरायल पर दागी गई हैं। इजरायल की तरफ से बताया गया है कि तकरीबन सभी द्रोन मिसाइलों को निशाने पर पहुंचने से पहले ही नेस्ताबूद कर दिया गया है। भारत ने भी इस हमल पर तत्काल प्रतिक्रिया दी और दोनों देशों को संयम बरतने व शांति लाने को कहा। वैसे अभी भी इजरायल की तरफ से ईरान पर जवाबी कार्रवाई की संभावना कायम है।अगर इजरायल की तरफ से कार्रवाई होती है तो
सज्जनहार का कहना है कि अगर इजरायल की तरफ से कार्रवाई होती है तो बहुत संभव है कि वह सीमित नहीं रहे। इसका भारत पर भी बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत का इजरायल और ईरान दोनों के साथ बहुत ही अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं। इजरायल भारत का रणनीतिक साझेदार है। जबकि ईरान के साथ एतिहासिक रिश्ता है। ईरान में भारत चाबहार पोर्ट विकसित कर रहा है जो हमारे रणनीतिक हितों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ईरान में भी 10 हजार के करीब भारतीय रहते हैं जबकि इजरायल में 20 हजार भारतीय हैं।