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... जब एक जिद ने खोली थी वैश्विक राजनीति में भारतीयों की राह

दादाभाई नौरोजी ने जो नींव रखी थी उसे अब 10 देशों में सरकारों के भारतीय मूल के प्रमुख सशक्त कर रहे हैं। यूरोपीय देश पुर्तगाल के पीएम एंटोनियो कोस्टा का संबंध गोवा से है। उनके दादा गोवा के रुआ अबेद फारिया गांव के निवासी थे।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Thu, 10 Nov 2022 08:46 AM (IST)
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दादाभाई नौरोजी ने जो नींव रखी थी। फाइल फोटो
नेशनल डेस्क, नई दिल्लीः अमेरिकी संसद के चुनाव परिणाम वैश्विक राजनीति में भारतीयवंशियों के बढ़ते कदमों की गवाही दे रहे हैं। भारत पर करीब तीन सदी तक राज करने वाले ब्रिटेन की कमान अब एक भारतवंशी के हाथ है, अमेरिका की उपराष्ट्रपति भारत से संबंध रखने वाली कमला हैरिस हैं। आइए समझें वैश्विक राजनीति में भारतीय कदमों को मजबूती कहां से मिलीः

चर्चिल का तंज, कैमरन की भविष्यवाणी

  • वर्ष 1947 में हमारी स्वतंत्रता के मौके पर ब्रिटिश पीएम विंस्टन चर्चिल ने कहा था, 'भारतीय नेता कम क्षमताओं वाले लोग होंगे।' आज वही चर्चिल एक भारतीय मूल के व्यक्ति को अपने देश का पीएम बने देखते तो निश्चित ही अपने शब्दों और गैर जरूरी घमंड पर अफसोस जरूर करते।
  • पीएम बनने के बाद जब नरेन्द्र मोदी वर्ष 2015 में लंदन के वेंबली स्टेडियम गए तो करीब 60 हजार लोग उन्हें सुनने आए। इतनी भीड़ देखकर तत्कालीन ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने कहा था,' अब वह दिन दूर नहीं जब भारतीय मूल का कोई व्यक्ति ब्रिटेन का पीएम बनेगा।' महज सात वर्ष में ऋषि सुनक ने कैमरन की बात को सच साबित कर दिया है।

...जब 1892 में हुई दादागिरी

  • विश्व के करीब 15 देशों में 200 से अधिक भारतीय मूल के राजनेता अहम पदों पर हैं, लेकिन एक समय था जब राजनीति में भारतीयों का मखौल बनाया जाता था। इसे चुनौती दी दादाभाई नौरोजी ने जो वर्ष 1892 में चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। वह कई बार हारे भी, लेकिन जिद थी ब्रिटिश संसद में 25 करोड़ भारतीयों के प्रतिनिधित्व की।
  • वर्ष 1886 में लिबरल पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर दादाभाई नौरोजी को हार मिली तो तब के ब्रिटिश पीएम लार्ड सेलिसबरी ने कटाक्ष किया था, 'इंग्लिश संसदीय क्षेत्र किसी अश्वेत को चुनने के लिए तैयार नहीं हैं।' इस कटाक्ष ने तस्वीर ही बदल दी। नौरोजी नए उत्साह से जुटे और अगले ही चुनाव में वह हाउस आफ कामंस के सदस्य थे। यहां से विदेश में भारतीय मूल के लोगों का राजनीति सशक्त होना आरंभ हुआ।

कहीं शर्मा तो कहीं पुराणिक

  • भारतीय मूल के राजनेता सुदूर आस्ट्रेलिया से लेकर जापान, मलेशिया, केन्या और कैरेबियाई देशों में वर्चस्व बनाने में कामयाब रहे हैं। वर्ष 2019 में आस्ट्रेलियाई संसद के मई माह में हुए चुनाव में भारतीय मूल के देव शर्मा ने लिबरल पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा। देव इजरायल में आस्ट्रेलिया के राजदूत भी रहे हैं।
  • जापान में भी भारतीय मूल के व्यक्ति ने राजनीति में स्थान बना लिया है। योगेंद्र पुराणिक मुंबई के निकट अंबरनाथ से ताल्लुक रखते हैं। वह वर्ष 2019 में तोक्यो की एदोगावा सिटी के काउंसिलर बने।

ये नाम दे रहे मजबूती

एंटोनियो कोस्टा

  • दादाभाई नौरोजी ने जो नींव रखी थी, उसे अब 10 देशों में सरकारों के भारतीय मूल के प्रमुख सशक्त कर रहे हैं। यूरोपीय देश पुर्तगाल के पीएम एंटोनियो कोस्टा का संबंध गोवा से है। उनके दादा गोवा के रुआ अबेद फारिया गांव के निवासी थे। वहां उनके रिश्तेदार आज भी बसे हैं।

अनिरुद्ध और प्रविंद जगन्नाथ

भारतीय मूल के राजनेता प्रविंद जगन्नाथ मारीशस के पीएम हैं। बिहार से संबंध रखने वाले प्रविंद के पिता अनिरुद्ध जगन्नाथ इस द्वीपीय देश के राष्ट्रपति और पीएम रहे। प्रविंद जगन्नाथ ने अपने पिता की अस्थियां वाराणसी में गंगा में प्रवाहित की थीं। मारीशस के राष्ट्रपति भारतीय मूल के ही पृथ्वीराजसिंह रूपन हैं।

चंद्रिका प्रसाद संतोखी

एशिया से निकलकर लैटिन अमेरिका चलें तो वहां सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी भी भारतीय मूल के राजनेता हैं। वह भारतीय-सूरीनामी हिंदू परिवार में जन्में और भारतीयता को मान देने वाले व्यक्ति हैं। संतोखी ने राष्ट्रपति पद की शपथ संस्कृत भाषा में ली थी।

वावेल रामकलावन

रामखिलावन उत्तर व मध्य भारत के संदर्भ में एक चिर परिचित नाम है। इसी का अपभ्रंश है रामकलावन। भारतीय मूल के वावेल रामकलावन सेशेल्स के राष्ट्रपति हैं। उनका भी संबंध बिहार से है।

इनकी रही अहम भूमिका

  • कमला प्रसाद बिसेसर-त्रिनिनाद एवं टोबैगो की पीएम रहीं
  • शिवसागर रामगुलाम-मारीशस के पीएम रहे
  • छेदी भरत जगन-गयाना के राष्ट्रपिता कहे जाते हैं
  • देवन नायर-सिंगापुर के राष्ट्रपति रहे