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ध्रुवास्‍त्र और हेलीना जैसी घातक मिसाइलों से लैस किया जा सकता LCH, इसकी निगाह से बच नहीं सकेगा दुश्‍मन

भारतीय वायु सेना में लाइट काम्‍बैट हेलीकाप्‍टर के शामिल हो जाने के बाद देश की सुरक्षा और चाक चौबंद हो जाएगी। ये हेलीकाप्‍टर सियाचिन जैसे इलाकों में भी आसानी से उतारा जा सकता है। इसकी कई और खूबियां हैं।

By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Mon, 03 Oct 2022 10:31 AM (IST)
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कारगिल युद्ध के बाद इस तरह के हेलीकाप्‍टर की जरूरत महसूस की गई थी।

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। हिंदुस्‍तान एयरोनाटिक्‍स लिमिटेड द्वारा निर्मित LCH या लाइट काम्‍बैट हेलीकाप्‍टर (Light Combat Helicopter) के भारतीय वायु सेना में शामिल होने से निश्चित रूप से देश की हवाई और सीमा की सुरक्षा मजबूत होगी। इस प्रोजेक्‍ट के लिए भारतीय वायु सेना को काफी लंबे समय से इंतजार था। ये हेलीकाप्‍टर्स कई तरह की खूबियों से लैस हैं। इनमें कई तरह के हथियार फिट किए जा सकते हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत इनका वजन में हल्‍का होना है। इस वजह से ये दूसरे हेलीकाप्‍टर्स के मुकाबले अधिक फुर्तीले हैं। इतना ही नहीं ये 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ सकते हैं। ये खासियत इन्‍हें दुश्‍मन पर काफी भारी साबित कर सकती है। इस ऊंचाई का सीधा-सा अर्थ है कि सियाचिन जैसे इलाकों में भी इसकी आसानी से पहुंच हो जाएगी।

आइये एक नजर में हम आपको कुछ अहम बातों से परिचय करवा देते हैं।

  • 29 मार्च 20210 को पहली बार एलसीएच ने मैडेन उड़ान भरी थी। उस वक्‍त इसके केवल चार प्रोटोटाइप तैयार किए गए थे।
  • पहली बार इसको सियाचिन की बर्फीली सतह पर सफलतापूर्वक उतारा गया था। ये इस प्रोजेक्‍ट का एक अहम पड़ाव था। इसके बाद इसके हाई एल्‍टीट्यूड में लैंडिंग के कई टेस्‍ट किए गए। इनमें से कई टेस्‍ट 13600 फीट से 15800 फीट की ऊंचाई पर थे। इसका अर्थ है कि ये टेस्‍ट 4145 मीटर से 4815 मीटर के बीच की ऊंचाई वाले इलाकों में किए गए थे।
  • 2016 के मध्‍य तक इस हेलीकाप्‍टर ने सभी ट्रायल को सफलतापूर्वक पार कर लिया था। 26 अगस्‍त 2017 को इस हेलीकाप्‍टर के सीमित संख्‍या में निर्माण के लिए हरी झंडी दी गई थी।
  • ये दुश्‍मन को आसानी से चकमा दे सकता है। इसका रडार दुश्‍मन की नजरों में आने से इसको बचाता है।

  • कारगिल युद्ध के बाद इस तरह के हेलीकाप्‍टर की जरूरत महसूस की गई थी। उस वक्‍त दुश्‍मन ऊंचाई पर बैठा होने की वजह से बेहतर स्थिति में था, जबकि भारतीय सेना को निचले इलाकों में होने की वजह से इस युद्ध पर विजय पाने में कुछ समय लगा था।
  • कारगिल युद्ध के बाद ऐसे हेलीकाप्‍टर निर्माण की जरूरत महसूस हुई थी जो ऊंचाई के साथ-साथ किसी भी मौसम में उड़ान भर सकने के काबिल हो।
  • इस राकेट दागे जा सकते हैं। इसके अलावा इसमें HELINA/Dhruvastra Quad Pack Configuration को भी दागा जा सकता है।
  • दो पायलट वाले इस हेलीकाप्‍टर की लंबाई करीब 52 फीट है। चौड़ाई की बात करें तो ये करीब 15 फीट और ऊंचाई करीब 15 फीट है।
  • बिना हथियारों के इस हेलीकाप्‍टर का वजन करीब 2250 किग्रा है, जबकि इसमें 1750 किग्रा वजन के हथियारों को लोड किया जा सकता है।

  • इसमें लगा इंजन हिंदुस्‍तान एयरोनाटिक्‍स लिमिटेड ने तैयार किया है, जिसका नाम Turbomeca Shakti-1H1 और Turboshaft है, जो इसको 1032 kW की ताकत देता है।
  • इस हेलीकाप्‍टर की अधिकतम गति 330 किमी प्रतिघंटा है। हथियारों के साथ एक बार में ये करीब 550 किमी की दूरी तय कर सकता है।
  • इसमें 1X20 mm M621 cannon लगी है। इसके अलावा इसमें एयर टू एयर मिसाइल Mistral, एंटी टैंक गाइडेट मिसाइल ध्रुवास्‍त्र, क्‍लस्‍टर बम, अनगाइडेड बम, ग्रेनेड बम दागे जा सकते हैं।
  • इस हेलीकाप्‍टर में मिसाइल एप्रोच वार्निंग सिस्‍टम लगा है, जो इसकी तरफ आने वाली मिसाइल के लिए जानकारी देता है।
  • इसमें Saab रडार और लेजर वार्निंग सिस्‍टम लगा है।
  • इसमें इजरायल द्वारा निर्मित Elbit Compass optoelectronic suite भी लगा है। ये एक सेंसर और कैमरा है, जो कई तरह की लाइव इन्फार्मेशन पायलट को मुहैया करवाता है।  

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