अंतरिक्ष में जाना आपका सपना है तो इन खतरों के बारे में भी आपको पता होना चाहिए
अंतरिक्ष में जाने से कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। पृथ्वी के सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र के बाहर आपके शरीर को कैंसर होने का खतरा बढ़ा सकता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कई बार आपने चांद को निहारा होगा, उसे देखकर मन में कई बातें आई होंगी। कभी ना कभी उस पर आपके जाने की इच्छा भी हुई होगी। उसके बारे में और जानना चाहा होगा। जब कभी आपने राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बारे में पढ़ा और सुना होगा तो आप ये सोचने पर जरूर मजबूर हुए होंगे कि काश मैं भी अंतरिक्ष में जा पाता या पाती। क्या जैसे हम धरती पर रह रहें हैं, वैसे ही अंतरिक्ष में भी रहना मुमकिन है?
एक बार पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा से सवाल किया था कि चांद से भारत कैसे दिखता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा थी कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।
अंतरिक्ष में जाना हर किसी का सपना होता है, लेकिन वहां पहुंचना इतना आसान नहीं है। अंतरिक्ष में जाने के लिए एक विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, जो आपको वहां रहने लायाक बनाती है। अगर आप अंतरिक्ष में पहुंच भी गए, तो वहां से आने के बाद कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अंतरिक्ष में जाने के बाद एक इंसान के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिनकी वजह से आपके शरीर को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार तो इसकी वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का भी खतरा होता है। आज हम आपको अंतरिक्ष के बारे में कुछ ऐसी ही जानकारियां देने जा रहे हैं।
अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली और पूर्व अंतरिक्ष यात्री मार्क केली जुड़वां भाई हैं। नासा ने इन दोनों भाइयों की मदद से अंतरिक्ष में होने वाले मानव शरीर के बदलावों पर अध्ययन किया। इसे 'ट्विन्स स्टडी' नाम दिया गया। शोध कार्यक्रम में पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली शामिल थे, जो लगभग एक वर्ष तक अंतरिक्ष में रहे थे। इस दौरान उनके जुड़वा भाई मार्क धरती पर थे। जब केली वापस धरती पर आए तो उनके शरीर में आए बदलावों की तुलना उनके भाई के शरीर से की गई।
गुरुत्वाकर्षण, उच्च रेडिएशन एक्सपोजर, अंतरिक्ष-अनुकूल आहार, और कक्षा में जीवन के अन्य तथ्यों की कमी ने स्कॉट के शरीर को महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक तरीके से प्रभावित किया। शोधकर्ताओं के अनुसार यदि आप लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहते हैं तो, आपके शरीर में इस तरह के नौ जैविक बदलाव आ सकते हैं।
1. खून और अन्य तरल पदार्थ पैर से सिर की तरफ बहते हैं
अंतरिक्ष में जाने के बाद गुत्वाकर्षण बल शून्य हो जाता है और आप भार रहित हो जाते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल ना होने के कारण इसका प्रभाव शरीर में बहने वाले खून और अन्य तरल पदार्थों पर पड़ता है। अंतरिक्ष में जाने पर खून और अन्य पदार्थ पैर से सिर की तरफ बहने लगते हैं, जिससे आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आपके हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं।
2. चेहरे में बदलाव
अंतरिक्ष में कम गुरुत्वाकर्षण होने का कारण तरल पदार्थ आपके पैरो से सिर की तरफ बहना शुरू कर देता है, जिसके कारण चेहरे में सूजन आ जाती है और वह भारी दिखाई देने लगता है।
3. आंखों पर प्रभाव
तरल पदार्थों के प्रवाह में आए बदलाव के कारण मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण आपकी आंखों पर असर पड़ता है और वे खराब भी हो सकती हैं। ऑप्टिक तंत्रिका के पास तरल पदार्थ आंखों की पुतली को पीछे की तरफ धक्का देती है। अंतरिक्ष में तेज रेडिएशन के कारण मोतियाबिंद की बीमारी हो सकती है। यहां तक कि ऊंचाई पर उड़ने वाले वाणिज्यिक-एयरलाइन के कर्मचारियों को भी वातावरण की वजह से इन जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
4. हड्डियों में बदलाव
अंतरिक्ष में रहने के लिए एस्ट्रोनॉट को विशेष तरह की एक्सरसाइज कराई जाती है, वहां पर रहने के लिए यह व्यायाम बहुत आवश्यक है। यदि आप अंतरिक्ष में व्यायाम नहीं करते हैं, तो आप अपनी हड्डी के घनत्व का लगभग 12% खो सकते हैं। शोधकर्ता अब भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है, हालांकि हड्डी में माइक्रोफ्रैक्चर केवल पृथ्वी पर घूमने के कारण होता है, यह हड्डी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
5. अंतरिक्ष में जाने पर आप लंबे हो जाते हैं
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण आपको नीचे की तरफ नहीं खींचता है, इसलिए आपकी रीढ़ की हड्डी में प्रत्येक हड्डी बोनमेरो के बीच द्रव से भरे डिस्क को इकट्ठा नहीं रख पाती है, जिससे आपकी ऊंचाई लगभग 4% तक फैल जाती है। स्कॉट केली अंतरिक्ष में अपने जुड़वां भाई की तुलना में 2 इंच लंबे थे, लेकिन पृथ्वी पर वापस लौटने के बाद फिर वह उनकी ऊंचाई पहले की तरह हो गई।
6. मांसपेशियां सिकुड़ जाती है
अंतरिक्ष में आपकी मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं। जब आप भार रहित होते हैं तो आपको मांसपेशियों की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए वे अतिरिक्त ऊत्तक को अवशोषित कर लेती हैं। यही कारण है कि शारीरिक व्यायाम हर अंतरिक्ष यात्री के कार्यक्रम का हिस्सा होता है।
7. अंतरिक्ष में पूरी नहीं हो पाती नींद
अंतरिक्ष में रहने वालों को नींद ना आने की समस्या होती है। अधिकांश अंतरिक्ष यात्रियों को सोने के लिए रात में केवल 6 घंटे मिलते हैं, क्योंकि अंतरिक्ष में सोना अजीब लगता है।
8. कैंसर का खतरा बढ़ता है
अंतरिक्ष में रहना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वहां आपको कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। पृथ्वी के सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र के बाहर आपके शरीर को कैंसर होने का खतरा बढ़ा सकता है। नासा वर्तमान में पुरुष अंतरिक्ष यात्री के जीवनकाल रेडिएशन एक्सपोजर को 3,250 मिलीसिवर तक सीमित करता है, जो पेट के लगभग 400 सीटी स्कैन के बराबर है। महिला अंतरिक्ष यात्री आमतौर पर अधिक ऊत्तक होते हैं जो रेडिएशन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, इसलिए उनकी आजीवन सीमा 2,500 एमएसवी है।
9. आपका अनुवांशिक कोड अलग-अलग व्यवहार करता है।
डीएनए से ही जीवन की उत्पति होती है। जब आप अंतरिक्ष में होते हैं तो आपके जीन्स अलग व्यवहार करने लगते हैं, जिससे आपकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। वापस धरती पर आने तक इसका प्रभाव बना रहता है। ट्विन्स स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक साल अंतरिक्ष में रहने के बाद स्कॉट केली की जीन में लगभग 7% बदलाव आए।