LK Advani Bharat Ratna: भारत रत्न पाने वाले 50वीं शख्सियत हैं आडवाणी, पढ़ें सबसे पहले किसे मिला था देश का सर्वोच्च पुरस्कार
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले से देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पाने वालों की संख्या 50 हो गई है। सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर के प्रदर्शन की मान्यता के लिए प्रदान किया जाता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले से देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पाने वालों की संख्या 50 हो गई है। सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर के प्रदर्शन की मान्यता के लिए प्रदान किया जाता है।
प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को सिफारिश
भारत रत्न के लिए सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती हैं। भारत रत्न के लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की आवश्यकता नहीं है। भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या किसी विशेष वर्ष में अधिकतम तीन तक सीमित है। एक बार चार लोगों को मिला पुरस्कार भारत रत्न के लिए एक वर्ष में केवल तीन लोगों को प्रदान करने की व्यवस्था है, लेकिन 1999 में इसे चार लोगों को दे दिया गया था।
तीन लोगों को मिला पुरस्कार
आखिरी भारत रत्न पुरस्कार 2019 में प्रणब मुखर्जी को प्रदान किया गया था। इनके साथ ही यह पुरस्कार मरणोपरांत भूपेन्द्र कुमार हजारिका और नानाजी देशमुख को भी प्रदान किया गया था। 1997, 1992, 1991, 1955 और 1954 में भी एक वर्ष में तीन व्यक्तियों को भारत रत्न दिया दिया गया थादो लोगों को मिला भारत रत्न
2015, 2014, 2001, 1998, 1990, 1963 और 1961 में भारत रत्न पुरस्कार केवल दो-दो व्यक्तियों को दिया गया।
चार साल तक किसी को नहीं मिला पुरस्कार
2020 से 2023 के बीच यह पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया। पहले दो पुरस्कार भारत सरकार ने 1954 में दो नागरिक पुरस्कार भारत रत्न और पद्म विभूषण स्थापित किए थे। बाद में इसे तीन वर्गों में बांटा गया, पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग।1955 में बदला नाम
8 जनवरी, 1955 को राष्ट्रपति के अधिसूचना के माध्यम से इनका नाम बदलकर पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री कर दिया गया।