लॉकडाउन-4: कोरोना प्रभावित देशों की सूची में 11 से 7 नंबर पर पहुंच गया भारत, मौतों का आंकड़ा कम
लॉकडाउन-4 देश के लिए काफी महंगा साबित हुआ है। इस दौरान मामले पहले की अपेक्षा कहीं अधिक तेजी से बढ़े। हालांकि इसके बाद भी देश में इससे होने वाली मौतें अन्य देशों की अपेक्षा कम हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 01 Jun 2020 09:53 PM (IST)
नई दिल्ली। लॉकडाउन-4 देश के लिए सबसे महंगा साबित हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि लॉकडाउन के इस चरण के दौरान जितने मामले सामने आए लगभग उतने मामले पहले के तीनों चरणों को मिलाकर सामने आए थे। वर्ल्डओमीटरडॉटइंफो के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन-4 के इस चरण में 21 मई तक देश में कोरोना संक्रमण के कुल 93904 मामले सामने आए। आपको यहां पर ये भी बता दें कि लॉकडाउन-4 से पहले भारत कोरोना संक्रमित देशों की सूची में 12वें नंबर पर था। लेकिन लॉकडाउन-4 के शुरुआती दिनों में ही जिस तेजी से मामले बढ़े उसके बाद ये 10वें फिर 9वें, 8वें और अब 7वें नंबर पर पहुंच गया है।
पिछले तीन दिनों में हर रोज 8 हजार से अधिक संक्रमण के मामले सामने आए जिसके चलते 72 घंटों के दौरान सामने आने वाए मामलों की संख्या 25122 तक जा पहुंची। देश में अब कुल मृतकों का आंकड़ा भी 5 हजार को पार कर गया है। हालांकि इस बीच देश में कोरोना को मात देकर स्वस्थ होने वाले रोगियों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अब तक 87 हजार से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। भारत में कोरोना से स्वस्थ होने वालों का प्रतिशत 48 फीसदी के करीब है। आपको बता दें कि हर रोज ही देश में एक लाख से अधिक कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं। आईसीएमआर का ये भी कहना है कि हाल में नमूनों के कोरोना पॉजिटिव मरीजों की दर बढ़ी है। दो सप्ताह पहले तक यह 4 फीसद के करीब रही थी, जिसमें अब कुछ तेजी आई है।
भारत में कोरोना का पहला मामला केरल में 30 जनवरी को सामने आया था। वुहान विश्वविद्यालय से भारत लौटा मेडिकल का एक छात्र संक्रमित पाया गया था। लेकिन चार महीने के अंदर भारत इस वैश्विक महामारी से सबसे अधिक प्रभावित 7वां देश बन गया। दुनिया के कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों की बात करें तो पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे पर ब्राजील, तीसरे पर रूस, चौथे पर स्पेन, पांचवें पर ब्रिटेन, छठे पर इटली, सातवें पर भारत, आठवें पर फ्रांस, नौवें पर जर्मनी और दसवें नंबर पर पूरू शामिल है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 31 मई की आधी रात को खत्म हो रहे चौथे चरण के लॉकडाउन के दौरान मिले कोरोना के मामले कुल मामलों का 47.20% हैं। गौरतलब है कि भारत में लॉकडाउन का पहला चरण 25 मार्च को लागू हुआ था जो 21 दिनों का था। इस दौरान 10,877 मामले आए थे, जबकि दूसरा लॉकडाउन 15 अप्रैल को शुरू हुआ और तीन मई तक 19 दिनों तक रहा जिसमें 31,094 मामले आए थे। 14 दिनों का तीसरा लॉकडाउन 17 मई को समाप्त हुआ और 18 मई को सुबह आठ बजे तक 53,636 मामले सामने आए। देश में 24 मार्च तक कोविड-19 के 512 मामले सामने आए थे।
लॉकडाउन-1 से लॉकडाउन-4 के बीच अर्थव्यवस्था में आई गिरावट को देखते कई बड़े फैसले लिए गए जिसके तहत उद्योगों को सशर्त खोलने की इजाजत भी दी गई। लेकिन लॉकडाउन-4 में लगभग सभी कुछ खोलने की इजाजत दे दी गई है। हालांकि ये भी चरणबद्ध तरीके से होना है। लेकिन तेजी से बढ़ते मामलों के बीच ये जरूरी है कि हर कोई अपनी जिम्मेदारी को समझे और उसको निभाए। लॉकडाउन-1 से लॉकडाउन-4 के बीच रोजाना सामने आने वाले नए मामलों के आंकड़ों को यदि देखें तो ये 5 हजार से बढ़कर 8 से भी अधिक हो गए हैं। रविवार 31 मई को भी देश में 8782 नए मामले सामने आए।
इसके साथ ही देश में संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 190609 तक पहुंच गई। जानकारों की राय में देश में कोरोना मामलों की यदि यही रफ्तार यही तो 1-2 जून के बीच ही भारत में जर्मनी और फ्रांस से भी आगे हो जाएगा, जो बेहद चिंता की बात होगी। हालांकि देश में बढ़ते नए मामलों के बीच ये भी हकीकत है कि भारत में मृत्युदर दोनों देशों के मुकाबले काफी कम है। जर्मनी में अब तक 8539 लोग जबकि फ्रांस में 28774 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि भारत में सिर्फ 5164 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यहां मृत्युदर सिर्फ 2.8 फीसदी है।