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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा के दौरान राममय हुई संसद, सभी दलों ने राम के अनेक स्वरूपों का किया गुणगान

सत्तापक्ष और विपक्ष ही नहीं तटस्थ पार्टियों के सांसदों ने भी अपने-अपने तरीके से भावांजलि देते हुए राम नाम का गुणगान किया। भगवान राम के तमाम रूपों का कुछ ऐसा गुणगान हुआ कि पूरा सदन राममय नजर आया। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने दूसरे वक्ता के रूप में भगवान राम के करुणामयी निर्मल और त्याग से लेकर लोकहितकारी रूपों की भावमय व्याख्या की।

By Sanjay Mishra Edited By: Sonu Gupta Updated: Sat, 10 Feb 2024 08:46 PM (IST)
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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा के दौरान राममय हुई संसद।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। बीते कुछ दशकों के दौरान संसद अयोध्या मुद्दे पर कई बार हंगामेदार चर्चा की साक्षी रही है, मगर 17वीं लोकसभा के आखिरी सत्र की अंतिम बैठक के दिन रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हुई चर्चा में अध्यात्म, भक्ति, संस्कृति और शुचिता के भावों की धारा खूब बही। चंद तंज-तीरों को छोड़ राम मंदिर निर्माण की चर्चा सद्भाव के ट्रैक पर ही रही। भगवान राम के तमाम रूपों का कुछ ऐसा गुणगान हुआ कि पूरा सदन राममय नजर आया।

संसद में हुआ राम नाम का गुणगान

सत्तापक्ष और विपक्ष ही नहीं, तटस्थ पार्टियों के सांसदों ने भी अपने-अपने तरीके से भावांजलि देते हुए राम नाम का गुणगान किया। रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हुई चर्चा से पहले द्रमुक ने तमिलनाडु के मछुआरों की समस्या उठाने की अनुमति नहीं मिलने के विरोध में वाकआउट कर इसमें हिस्सा नहीं लिया। तृणमूल कांग्रेस के सांसद अंतिम दिन की बैठक के लिए लोकसभा में पहुंचे ही नहीं।

जय श्रीराम के नारों से गूंजा संसद

राम मंदिर पर चर्चा के लिए चूंकि सत्र को विशेष रूप से एक दिन के लिए बढ़ाया गया था, इसलिए बैठक शुरू होने के तत्काल बाद भाजपा के सत्यपाल सिंह ने इस पर चर्चा शुरू कर दी। सत्तापक्ष के सदस्यों के जय श्रीराम और जय-जय श्रीराम के नारों की गूंज के बीच सिंह ने राम के अस्तित्व को नकारने का कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए हमला किया, तो विपक्षी खेमे ने इसका प्रतिवाद किया।

सत्यपाल सिंह क्या कहा?

आजादी के बाद राम मंदिर आंदोलन का इतिहास बताने के क्रम में सत्यपाल सिंह ने दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलजारीलाल नंदा की एक अहम भूमिका का जिक्र कर प्रमुख विपक्षी दल को नसीहत दी। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की देश की स्वतंत्रता के मौके पर दिए गए प्रसिद्ध भाषण की एक चर्चित पंक्ति को उद्धृत करते हुए प्राण प्रतिष्ठा से देश की आध्यात्मिक चेतना के बंदिशों से मुक्त होने की बात कही।

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कवि हरिओम पवार की राम पर लिखी कविताओं का हुआ उल्लेख

राम के स्वरूपों का गौरव गान करने के क्रम में सिंह ने कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, दिनकर और स्वामी विवेकानंद की राम और राष्ट्र चेतना जगाने वाली पंक्तियों का उल्लेख किया। कवि हरिओम पवार की राम पर लिखी कविताओं का उल्लेख तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई सांसदों ने किया।

गौरव गोगोई ने राम के रूपों की भावमय व्याख्या की

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने दूसरे वक्ता के रूप में भगवान राम के करुणामयी, निर्मल और त्याग से लेकर लोकहितकारी रूपों की भावमय व्याख्या की। हालांकि, गोगोई ने जब राहुल गांधी को असम में शंकरदेव मंदिर नहीं जाने देने का मुद्दा उठाते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को घेरा, तब भाजपा सांसदों ने शोर-गुल करते हुए पलटवार किया। गोगोई ने यह कहते हुए सत्तापक्ष पर निशाना साधा कि घृणा और हिंसा का भाव रखने वाला राम भक्त हो ही नहीं सकता। उनकी इस टिप्पणी पर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी मेज थपथपाती नजर आईं।

साध्वी निरंजन ज्योति ने राम मंदिर को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना

ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की जब बारी आई, तो उन्होंने राम मंदिर निर्माण की राह में अड़चनों को लेकर कांग्रेस को निशाने पर रखा। उन्होंने गोगोई द्वारा राम नाम के गुणगान पर भी तंज कसा और कहा कि कांग्रेस के लिए न उगलते बनता है, न निगलते बनता है वाली स्थिति है। साध्वी ने राम मंदिर निर्माण का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देने से भी गुरेज नहीं किया।

रामप्रीत मंडल ने सुनाई मैथिली गीत

शिवसेना के श्रीकांत शिंदे ने छत्रपति शिवाजी और बालासाहब ठाकरे का जिक्र किया तो जदयू के रामप्रीत मंडल ने भगवान राम के मिथिला के दामाद होने की बात कहते हुए एक मैथिली गीत की पंक्तियां 'ए पहुना मिथिले में रहू ना..' सुना दी।

संसद में बार-बार लगे जय श्रीराम के नारे

बसपा के मलूक नागर ने विपक्ष के रूप में कांग्रेस के मजबूत रहने की जरूरत बताते हुए उसे सलाह दी कि मंदिर निर्माण को लेकर देश की खुशी की लहर को वह समझे। राम मंदिर पर चर्चा के दौरान सदन में उपस्थिति सामान्य दिनों से कुछ कम दिखी, मगर गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन के दौरान भाजपा के सांसदों की मौजूदगी में अचानक इजाफा दिखा और इस दौरान बार-बार जय श्रीराम के नारे की गूंज होती रही।

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