Lok Sabha Election 2024: 'जेल में बंद अपराधियों के सांसद बनने पर दखल दे संसद', विशेषज्ञों ने की संविधान में संशोधन की मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने जेल में बंद प्रत्याशियों के संसद सदस्य बनने को लेकर संसद से इस प्रक्रिया में दखल देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि ऐसे लोग भी संसद में निर्वाचित होकर आएंगे। इसलिए इन आरोपों की पहचान करने को संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, एएनआई। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने जेल में बंद प्रत्याशियों के संसद सदस्य बनने को लेकर संसद से इस प्रक्रिया में दखल देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह अजब विडंबना है कि जेल में बंद लोग वोट तो नहीं डाल सकते लेकिन चुनाव लड़ और जीत सकते हैं। इसीलिए आपराधिक मामलों वाले विधायकों और सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है।
संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता-वरिष्ठ अधिवक्ता
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि ऐसे लोग भी संसद में निर्वाचित होकर आएंगे। इसलिए इन आरोपों की पहचान करने को संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता है। संशोधन के बाद ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के प्रति अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। विडंबना यह है कि जेल में बंद लोग वोट डालने के अधिकारी नहीं हैं, लेकिन चुनाव लड़ सकते हैं और उसे जीत भी जाते हैं।
नहीं दी जानी चाहिए दोबारा चुनाव लड़ने की अनुमति
एक संसदीय सीट को साठ से अधिक दिनों तक खाली नहीं रखा जा सकता है, फिर चाहे उसने शपथ ले ली हो। इसलिए संसद को इसमें दखल देना चाहिए और ऐसे लोगों को निर्वाचित होने से रोकना चाहिए। सिंह ने कहा कि अगर इन लोगों को अपनी सीट खाली करनी पड़ती है तो उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। चूंकि इन लोगों के हिरासत में रहने तक इनके संसदीय क्षेत्र में जनप्रतिनिधि अनुपस्थित रहता है।उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि इस मुद्दे पर एक कानून लाया जाए। ऐसा कोई प्रविधान है जिसके जरिये अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से अपना नामांकन पत्र भर सकते हैं और इसीलिए यह चुनाव लड़ पाते हैं।
होनी चाहिए मैराथन सुनवाई- प्रशांत पदनामभन
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के हवाले से सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पदनामभन ने कहा, 'संविधान की खूबसूरती इसी में है कि यह उनकी भी रक्षा करता है जो इसमें विश्वास ही नहीं रखते।' पदमनाभन ने कहा कि संसद में ऐसे मामलों से बचने के लिए एक मैराथन सुनवाई होनी चाहिए। इसके जरिये जेल में बंद उम्मीदवारों को या तो बरी कर दिया जाए या उन्हें सजा दे दी जाए।उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा-8(3) के तहत अगर किसी व्यक्ति को किसी अपराध में दोषी माना जाता है और उसे कम से कम दो साल या उससे अधिक समय के लिए सजा सुनाई जाती है तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है।