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Lok Sabha Election 2024: विपक्ष से ध्रुवीकरण के बेलगाम दांव, भाजपा ने उठाई राम मंदिर की सनातन धर्म ध्वजा

Lok Sabha Election 2024 हिंदू और सनातन धर्म के विरुद्ध लगातार बयानबाजी बहुसंख्यक वर्ग की भावनाओं के खिलाफ है लेकिन सेक्युलर राजनीति करने वाले दलों के प्रमुख नेता इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। भाजपा के रणनीतिकार भी अब समझ रहे हैं कि यह लोकसभा चुनाव के लिए ध्रुवीकरण की जमीन तैयार करने का प्रयास है ताकि एकमुश्त मुस्लिम मत आइएनडीआइए में शामिल दलों की झोली में आएं।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 05 Sep 2023 09:44 PM (IST)
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शह पाकर स्वामी ने हिं‍दू धर्म के खिलाफ फिर टिप्पणी की और कहा कि हिंदू धर्म केवल धोखा है
नई दिल्ली, जितेंद्र शर्मा। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए कुछ क्षेत्रीय दलों को छोड़कर लगभग सभी विपक्षी दल इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आइएनडीआइए) बनाकर एक साथ आ गए हैं। इनकी चुनावी रणनीति और रूपरेखा तो अभी तैयार हो रही है, लेकिन धार्मिक मुद्दे पर इनके नेताओं ने एकस्वर होना पहले से ही शुरू कर दिया है।

आइएनडीआइए गठबंधन की पहली बैठक

इसकी शुरुआत उसी बिहार से हुई, जहां आइएनडीआइए गठबंधन की पहली बैठक हुई। राजद नेता व बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कुछ माह पहले रामचरितमानस के विरुद्ध विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस समाज में नफरत फैलाता है। बहुसंख्यक वर्ग की भावनाओं को आघात करते इस बयान का खंडन पार्टी के किसी बड़े नेता ने नहीं किया।

इसके उलट उनके सुर में सुर मिलाते हुए उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल आइएनडीआइए की सहयोगी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस के विरुद्ध विवादित टिप्पणी कर दी। उस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव न सिर्फ चुप्पी साधे रहे, बल्कि स्वामी प्रसाद को घोसी उपचुनाव में पार्टी का स्टार प्रचारक बनाकर संदेश दे दिया कि अखिलेश की स्वामी से कोई नाराजगी नहीं है। इससे शह पाकर हाल ही में स्वामी ने हिं‍दू धर्म के खिलाफ फिर टिप्पणी की और कहा कि हिंदू धर्म केवल धोखा है।

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उदयनिधि के बयान पर मची रार

उस पर छिड़ी बहस थमी भी नहीं थी कि आइएनडीआइए में ही शामिल डीएमके नेता, तमिलनाडु सरकार के मंत्री व मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दे डाला। उन्होंने सनातन धर्म को बीमारी की तरह बताकर इसे खत्म कर देने की बात कह दी।

इस पर भाजपा ने प्रश्न उठाया कि कांग्रेस व गठबंधन के अन्य नेता इस पर चुप क्यों हैं? पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने पार्टी की आस्था तो सर्वधर्म समभाव में बताई, लेकिन स्टालिन की टिप्पणी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता करार दे दिया। ठीक इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने स्टालिन के बयान से सहमति जता दी।

सेक्युलर राजनीति करने वाले दलों के प्रमुख नेता भी चुप

हिंदू और सनातन धर्म के विरुद्ध लगातार बयानबाजी बहुसंख्यक वर्ग की भावनाओं के खिलाफ है, लेकिन सेक्युलर राजनीति करने वाले दलों के प्रमुख नेता इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। भाजपा के रणनीतिकार भी अब समझ रहे हैं कि यह लोकसभा चुनाव के लिए ध्रुवीकरण की जमीन तैयार करने का प्रयास है, ताकि एकमुश्त मुस्लिम मत आइएनडीआइए में शामिल दलों की झोली में आएं। यही वजह है कि भाजपा ने भी धीरे से राम मंदिर का राग छेड़ दिया है।

'सनातन धर्म का विरोधी है घमंडिया गठबंधन'

मंगलवार को भाजपा के एक्स हैंडल से एक पोस्ट में इन सभी नेताओं के सनातन धर्म के विरुद्ध दिए गए बयानों को याद दिलाया गया। उस पर लिखा गया- सनातन धर्म का विरोधी है घमंडिया गठबंधन। उसके साथ ही एक पोस्ट किया- ''सनातन धर्म ध्वजा लहराएगी..। मंदिर वहीं बन रहा है..।'' इसके साथ में निर्माणाधीन राम मंदिर की तस्वीर भी लगाई है। उल्लेखनीय है कि ''रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे..'' का नारा दशकों तक भाजपा की राजनीति के ध्येय वाक्य की तरह रहा है। रामलहर ने ध्रुवीकरण की राजनीति का असर भी दिखाया है।

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कुछ विपक्षी नेता असहज, डैमेज कंट्रोल का प्रयास

समय-समय पर कुछ विपक्षी नेता ध्रुवीकरण की इस आशंका से सचेत होकर डैमेज कंट्रोल का प्रयास भी कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद के बयान के विरुद्ध मुरादाबाद के कांग्रेस नेताओं ने थाने में तहरीर दी तो स्टालिन के बयान के बाद सपा महासचिव रामगोपाल यादव, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आप नेता संजय सिंह ने किसी भी नेता को ऐसे बयान न देने की नसीहत दी है, जो दूसरों की भावनाओं को आहत करते हों।