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Lok Sabha Election: अमित शाह ने ईश्वरप्पा से उम्मीदवारी वापस लेने को कहा, बागी भाजपा नेता इरादा बदलने के पक्ष में नहीं

75 वर्षीय बागी भाजपा नेता ने कहा “अमित शाह ने मुझसे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने और नामांकन पत्र वापस लेने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सभी मांगों पर गौर किया जाएगा। तीन महीने पहले मैं दिल्ली गया था और मैंने उन्हें (पार्टी में मौजूदा स्थिति) समझाया था लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Tue, 02 Apr 2024 05:37 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 05:37 PM (IST)
भाजपा नेता ने कहा, “अमित शाह ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने और नामांकन पत्र वापस लेने के लिए कहा है।

पीटीआई, शिवमोग्गा (कर्नाटक)। भाजपा के वरिष्ठ नेता के एस ईश्वरप्पा ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें फोन किया और इस लोकसभा क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए कहा लेकिन वह चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर अडिग रहे।

अपने बेटे केई कंथेश को पड़ोसी हावेरी से चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिए जाने से नाराज पूर्व उपमुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि वह शिवमोग्गा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, जहां भाजपा ने फिर से पार्टी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे और सांसद बीवाई राघवेंद्र को मैदान में उतारा है।

ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया था कि पार्टी के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य येदियुरप्पा ने उनके बेटे को टिकट देने का वादा किया था लेकिन उन्हें धोखा दिया है। बता दें कि उन्होंने भाजपा में पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में भी काम किया था।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए दौरे पर आये शाह ने उन्हें फोन किया और अपनी उम्मीदवारी वापस लेने को कहा लेकिन वह नहीं माने।

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उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "आज सुबह गृह मंत्री अमित शाह ने मुझे फोन किया था। उन्होंने मुझसे कहा कि आप इतने वरिष्ठ नेता हैं और चुनाव लड़ रहे हैं, यह आश्चर्य की बात है। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं चुनाव क्यों लड़ रहा हूं।"

75 वर्षीय बागी भाजपा नेता ने कहा, “अमित शाह ने मुझसे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने और नामांकन पत्र वापस लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सभी मांगों पर गौर किया जाएगा। तीन महीने पहले मैं दिल्ली गया था और मैंने उन्हें (पार्टी में मौजूदा स्थिति) समझाया था, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ।"

उनके मुताबिक, शाह ने उन्हें 3 अप्रैल को दिल्ली में मिलने के लिए कहा था। ईश्वरप्पा ने कहा कि वह सहमत हैं लेकिन उनसे अनुरोध किया कि वह उन पर अपना फैसला वापस लेने के लिए दबाव न डालें, क्योंकि इससे उन्हें समस्या होगी।" ईश्वरप्पा ने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के पीछे मेरी भावनाओं को समझा होगा।

ईश्वरप्पा ने कहा, मैं चुनाव जीतूंगा और इससे उन सभी उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी जिनके लिए मैं चुनाव लड़ रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि शाह ने उनके बेटे के राजनीतिक भविष्य का ख्याल रखने का वादा किया है। मैंने अपने बेटे से बात की जिसने मुझसे कहा कि मैं उसके भविष्य के बारे में चिंता न करूं और अगर इससे राज्य भाजपा इकाई को मदद मिलेगी तो यह काफी होगा। मैं कल दिल्ली में शाह से मिलने जा रहा हूं।”

उन्होंने कहा, "मैंने उनसे (शाह से) कहा कि मैं चुनाव लड़ रहा हूं क्योंकि मैं बहुत आहत हूं, क्योंकि सभी कार्यकर्ता दर्द में हैं जो पार्टी का 'शुद्धिकरण' चाहते हैं।" ईश्वरप्पा ने कहा कि कर्नाटक इकाई में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात का पालन करना चाहिए - वंशवादी राजनीति को खत्म करने के लिए।

ईश्वरप्पा ने कहा, "नरेंद्र मोदी ने एक राजनीतिक दल को एक परिवार से मुक्त करने का आह्वान किया है, लेकिन भाजपा की कर्नाटक इकाई में कांग्रेस की संस्कृति बढ़ रही है।" उन्होंने कहा कि यह अन्यायपूर्ण है कि राज्य में पूरी पार्टी एक परिवार के नियंत्रण में है। इससे उन लोगों को ठेस पहुंची है जिन्होंने पार्टी को खड़ा किया और इसके लिए मेहनत की। उन्होंने येदियुरप्पा और उनके बेटों राघवेंद्र, जो शिवमोग्गा से सांसद हैं और राज्य इकाई के अध्यक्ष और शिकारीपुरा विधायक बी वाई विजयेंद्र का जिक्र करते हुए कहा, "मैं भाजपा को 'पिता और पुत्रों' के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए यह चुनाव लड़ रहा हूं।"

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उनके मुताबिक, येदियुरप्पा के परिवार को जो प्रमुखता मिली है, उससे उन सभी लोगों को ठेस पहुंची है, जिन्होंने उन्हें पार्टी में आगे बढ़ने में मदद की। ईश्वरप्पा ने कहा, “इसके अलावा, जो लोग हिंदुत्व के लिए लड़ रहे हैं, जैसे कि पूर्व मंत्री सी टी रवि, सांसद प्रताप सिम्हा, उत्तर कन्नड़ सांसद अनंत कुमार हेगड़े, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल या पूर्व मुख्यमंत्री डी वी सदानंद गौड़ा या यहां तक कि मैं भी...पार्टी में एक भावना है कि क्या हिंदुत्व के लिए काम करना गलत है।”


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