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Lok Sabha Elections 2024: चुनावी स्याही अब पांच सेकेंड में छोड़ेंगी अपनी छाप, मतदाताओं के हाथों की भी होगी सफाई

Lok Sabha Elections आम चुनाव में अमिट स्याही का इस्तेमाल पहली बार 1962 में किया गया था। इसके बाद तो देश में होने वाले प्रत्येक आम चुनावों में इसका इस्तेमाल होते रहा है। अब तो पंचायत सहित दूसरे सभी चुनावों मेंइस अमिट स्याही का इस्तेमाल होता है। खास बात यह है कि इस अमिट स्याही को बनाने का फॉर्मूला नई दिल्ली स्थित सीएसआइआर की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ने खोजा था।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 14 Feb 2024 08:08 PM (IST)
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Lok Sabha Elections 2024: चुनावी स्याही अब पांच सेकेंड में छोड़ेंगी अपनी छाप (File Photo)
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। चुनावों में अंगुलियों पर लगने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा। बल्कि यह अंगुलियों पर लगने के पांच सेकेंड के भीतर ही अपनी छाप छोड़ देगी। इतना ही नहीं, अंगुलियों में इसे लगाने से पहले अब यह भी देखा जाएगा, कि मतदाता ने अपने हाथों में तेल या फिर चिकनाई वाली कोई चीज तो नहीं लगाई है। यदि ऐसा है तो पहले उनकी अंगुलियों को कपड़े से साफ किया जाएगा। फिर उसे लगाया जाएगा।

चुनाव सामग्री की किट में बदलाव

यही वजह है कि चुनाव के दौरान मतदान कर्मियों को दी जाने वाली चुनाव सामग्री की किट में अब हाथों को साफ करने के लिए एक कपड़ा भी मुहैया कराने के निर्देश दिए गए है। चुनाव आयोग ने यह पहल तब की है, जब चुनाव में गड़बड़ी करने वाले लोग पहचान को छुपाने और फिर से वोट डालने के लिए हाथों में लगने वाली अमिट स्याही को लगने के तुरंत बाद मतदान कर्मियों की आंख बचा कर मिटा देते थे। यह इसलिए भी हो जाता था, क्योंकि उनके हाथों में लगने वाली अमिट स्याही को अपनी छाप छोड़ने में थोड़ा वक्त लगता था।

चुनावी स्याही अब पांच सेकेंड में छोड़ेंगी अपनी छाप

चुनाव आयोग ने इस चुनौती को समझा और इससे निपटने के लिए अमिट स्याही बनाने वाली मैसूर (कर्नाटक) की कंपनी से संपर्क साधा। जिसके बाद इसमें कुछ इस तरह का बदलाव किया गया है, इसके चलते अब यह स्याही अंगुलियों में लगने के पांच सेकेंड के भीतर ही अपनी छाप छोड़ देगी। वैसे तो यह दो सेंकेंड में ही काम शुरू कर देगी।

अमिट स्याही का इस्तेमाल पहली बार 1962 में किया गया

गौरतलब है कि आम चुनाव में अमिट स्याही का इस्तेमाल पहली बार 1962 में किया गया था। इसके बाद तो देश में होने वाले प्रत्येक आम चुनावों में इसका इस्तेमाल होते आ रहा है। अब तो पंचायत सहित दूसरे सभी चुनावों मेंइस अमिट स्याही का इस्तेमाल होता है। खास बात यह है कि इस अमिट स्याही को बनाने का फॉर्मूला नई दिल्ली स्थित सीएसआइआर की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ने खोजा था। बाद में इसको बड़े स्तर पर तैयार करने का लाइसेंस कर्नाटक स्थित मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड ( एमपीवीएल) को दिया गया। जो देश में इस बनाने वाली सिर्फ एक मात्र कंपनी है। साथ ही इसका फॉर्मूला भी इसी कंपनी के पास है।

दुनिया के ये 30 देश भी चुनाव में इस्तेमाल के लिए भारत से लेते है यह स्याही

चुनाव में इस्तेमाल होने वाली इस अमिट स्याही की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि दुनिया के 30 देशों में भी चुनाव के दौरान इसका इस्तेमाल होता है। जो इसे बनाने वाली कर्नाटक स्थित एक मात्र कंपनी मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) से मंगाई जाती है। इनमें प्रमुख रूप से मलेशिया,कनाडा, कंबोडिया, घाना, अफगानिस्तान,आइवरी कोस्ट, तुर्किए, नाइजीरिया, पपुआ न्यूगिनी, नेपाल,¨सगापुर,दुबई,मंगोलिया, साउथ अफ्रीका, डेनमार्क आदि देश शामिल है।

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