बढ़ी सीटों के साथ हो सकता है 2029 का आम चुनाव, 2026 से शुरू हो जाएगा परिसीमन का काम
Lok Sabha Elections सब कुछ तय योजना के तहत हुआ तो वर्ष 2029 में होने वाला आम चुनाव लोकसभा की बढ़ी हुई सीटों के साथ हो सकता है। जिसमें लोकसभा की कुल सीटें 850 के आसपास हो सकती है। हालांकि नए संसद भवन में लोकसभा में सीटों की संख्या 888 करके इस बढ़ोतरी के संकेत पहले ही दिए जा चुके है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सब कुछ तय योजना के तहत हुआ तो वर्ष 2029 में होने वाला आम चुनाव लोकसभा की बढ़ी हुई सीटों के साथ हो सकता है। जिसमें लोकसभा की कुल सीटें 850 के आसपास हो सकती है। हालांकि नए संसद भवन में लोकसभा में सीटों की संख्या 888 करके इस बढ़ोतरी के संकेत पहले ही दिए जा चुके है।
2026 से शुरू हो सकता है परिसीमन का काम
यह बात अलग है कि लोकसभा सीटों को बढ़ाने से जुड़ी कवायद वर्ष 2026 के बाद ही शुरू हो सकती है, क्योंकि तब तक इस पर रोक लगी हुई है। ऐसे में जो योजना है, उसके तहत परिसीमन पर लगी रोक के हटते ही तुरंत ही नए परिसीमन की कवायद शुरू हो जाएगी। जिसे अगले तीन सालों में यानी वर्ष 2029 में होने वाले आम चुनावों से पहले पूरा करने का लक्ष्य है।
इसी चुनाव में महिलाओं के लिए पारित आरक्षण भी लागू होगा। यह पूरी योजना इसलिए अहम है, क्योंकि इसके लिए अगली जनगणना का इंतजार नहीं करना होगा। बल्कि इसे वर्ष 2024-25 में होने वाली जनगणना को ही आधार मानकर अंजाम दिया जाएगा।
ऐसे में जो लोग यह मानकर चल रहे थे कि 2026 तक परिसीमन पर लगे प्रतिबंध के हटने के बाद होने वाली जनगणना यानी वर्ष 2031 को आधार मानकर परिसीमन की तैयारी की जाएगी, अब वैसा नहीं होगा। बल्कि अब सीटों में बढ़ोतरी का काम 2029 से पहले ही पूरा हो सकता है।
यह भी पढ़ेंः Lok Sabha Election 2024 : क्या कांग्रेस इस आधार पर चुनेगी सीटें? झोली नहीं भरी तो क्या... बिहार ने दिया मुट्ठी खोलकर
फिलहाल लोकसभा की कुल सीटें 543
वैसे भी जनगणना, परिसीमन जैसे कामों को जिस तरह से तकनीक की मदद से करने की तैयारी है, उसमें यह काम तीन साल से भी कम समय में पूरा किया जा सकता है। केंद्र सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें 2026 के बाद होने वाली परिसीमन को लेकर पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। ऐसे में इसके लिए अब 2031 की जनगणना होने तक का इंतजार नहीं होगा।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में लोकसभा की कुल सीटें 543 है। इन सीटों में अंतिम बार बढ़ोतरी 1977 में की गई थी। जो 1971 की जनगणना के आधार पर की जाएगी। इस दौरान जो फार्मूला तय किया गया था, उसके तहत दस लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट सृजित करना था। हालांकि पूर्वोत्तर सहित पहाड़ी राज्यों को इस मानक से छूट दी गई थी। उनकी सीटों का निर्धारण उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए लिहाज से किया गया था।